श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव ने एक बैठक के दौरान, उच्च पेंशन के आवेदनों और संयुक्त विकल्पों के जांच पड़ताल में हुए, "अत्यंत धीमी प्रगति" पर अत्यंत असंतोष प्रकट किया है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (पेंशन) नई दिल्ली ने अपने समस्त अतिरिक्त केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त, जोनल कार्यालयों, सभी क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त और अन्य क्षेत्रीय कार्यालयों को पेंशन की गणना का फॉर्मूला तो सूचित कर दिया था। साथ ही आंतरिक परिपत्र जारी कर, ज्वाइंट ऑप्शन की छानबीन के प्रोग्रेस में अत्यंत धीमी गति से हो रही प्रगति पर अप्रसन्नता जाहिर की है।
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पत्र में कहा गया है कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव ने एक बैठक के दौरान, उच्च पेंशन के आवेदनों और संयुक्त विकल्पों के जांच पड़ताल में हुए, “अत्यंत धीमी प्रगति” पर अत्यंत असंतोष प्रकट किया है, क्योंकि अधिकतर आवेदन अभी तक फील्ड ऑफिस में ही लंबित हैं। और आज तक एक भी प्रकरण योग्य (eligible) नहीं पाया गया है।
यद्यपि बहुत सारे मामलों में छानबीन होने की बात कही गई है। लेकिन फिर भी, परिपत्र क्रमांक Pension/Supreme Court/Judgment/HPM/2022/405 dated 23-4-2023 के निर्देशानुसार संबंधित को अपना पक्ष रखने अथवा त्रुटि ठीक करने के लिए एक महीने का समय नहीं दिया गया है। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने निर्देशित किया कि आवेदनों और संयुक्त विकल्पों पर आवश्यक कार्यवाही, अन्य प्रकरणों की भांति 20 दिनों के अंदर किया जाए।
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वहीं, ईपीएफ स्कीम 1952 के तहत ज्वाइंट ऑप्शन देने की प्रक्रिया का तरीका जारी किया गया है। कार्यरत कर्मचारियों को अब (यदि उन्होंने पूर्व में ज्वाइंट ऑप्शन नहीं दिया है) तो पीएफ में सीमित वेतन से अधिक (वर्तमान में रुपए 15000) होने पर वास्तविक वेतन पर अंशदान देने के लिए अपने एंप्लॉयर के साथ संयुक्त विकल्प देना होगा, जो कि वे फाइनल क्लेम सेटलमेंट के समय भी दे सकते हैं।
यह ध्यान रखने योग्य है कि नियोक्ता को भी संलग्न प्रोफार्मा में, वास्तविक वेतन के ऊपर, प्रशासनिक शुल्क देना होगा। संयुक्त विकल्प प्राप्त होने के बाद, भविष्य निधि आयुक्त को सात दिनों के अंदर कर्मचारी और नियोक्ता को वास्तविक वेतन के ऊपर अंशदान देने हेतु सूचीबद्ध करना होगा।