International Labor Day 2023: भारत में मई दिवस के 100 साल पूरे, शाम ढलने तक कराते थे मजदूरी, फिर उसी ढर्रे पर आ रहे मजदूर

  • रोजाना 8 घंटे की मांग का वो आंदोलन जिसकी याद में मजदूर दिवस अर्थात मई दिवस मनाया जाता है।

Suchnaji.com न्यूज, भिलाई। मई दिवस की पूर्व संध्या पर सीटू यूनियन कार्यालय में गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारत में बदलते श्रम कानून और मई दिवस की प्रासंगिकता पर केवेंद्र सुंदर, श्यामलाल भार्गव, केके देशमुख, एसपी डे ने केंद्र सरकार द्वारा 29 श्रम कानूनों को चार संहिताओं में बदलने से श्रमिक वर्ग पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से जानकारी देते हुए अपने विचार व्यक्त किए।

आज भारत में मई दिवस को मनाये जाने के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जो एक मई 1923 को मद्रास में श्रीसिंगार वेलु चेट्टियार के नेतृत्व में मनाने की शुरुआत हुई थी तब से मजदूर दिवस भारत में शानदार तरीके से मनाया जाता है।

एसपी डे ने कहा कि जहां विश्व में 110 देशों में मई दिवस को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। वहीं, भारत में अभी भी राष्ट्रीय अवकाश नहीं है, जबकि देश के कई राज्यों ने सरकारी छुट्टी घोषित कर रखा है।

मई दिवस की यात्रा अमेरिका कनाडा जैसे देशों से शुरू होकर विश्व के अनेक देशों में मनाया जाता है। रोजाना 8 घंटे की मांग का वो आंदोलन जिसकी याद में मजदूर दिवस अर्थात मई दिवस मनाया जाता है।

क्या थी शिकागो में घटी मई दिवस की घटना

पश्चिम में तेजी से उभरते औद्योगिकरण में मजदूरों से सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम लिया जाता था, अक्टूबर 1884 में अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठनों ने तय किया कि मजदूर 1 मई 1886 के बाद रोजाना 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे। जब वह दिन आया तो अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों श्रमिक हड़ताल पर चले गए।

इन विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में शिकागो शहर था। यहां 2 दिन तक हड़ताल शांतिपूर्ण तरीके से चली। लेकिन 3 मई की शाम को कार्मिक हार्वेस्टिंग मशीन कंपनी के बाहर के मार्केट में भड़की हिंसा में 2 मजदूर पुलिस फायरिंग में मारे गए। उसके अगले ही दिन 4 मई को फिर दोनों पक्षों के बीच झाड़ पर हुई, जिसमें 7 पुलिसकर्मी सहित कुल 12 लोगों की मौत हुई।

इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय देशों के श्रमिक संगठनों ने 1 मई को मजदूर दिवस के लिए चुना। शुरुआत में दुनिया भर के मजदूरों से सिर्फ रोजाना 8 घंटे काम की मांग को लेकर एकजुट होने के लिए कहा गया था। दुनिया भर में मजदूरों के लगातार लंबे संघर्ष के द्वारा मजदूरों के हक में श्रम कानून बनाए गए थे।

चारों श्रम संहिताओं के खिलाफ देश में संघर्ष जारी
29 श्रम कानूनों को सरलीकरण करने के नाम पर विलोपित कर चार श्रम संहिता में समाहित कर 4 श्रम संहिता बनाया गया
1.वेतन संहिता।

  1. औद्योगिक संबंध संहिता।
  2. सामाजिक सुरक्षा संहिता।
  3. कार्यस्थल पर व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संहिता।

महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा कि सरलीकरण करने के नाम पर इन संहिताओं में सिर्फ विभिन्न कानूनों को समाहित ही नहीं किया गया, बल्कि कई महत्वपूर्ण कानूनों को संशोधनों द्वारा कर्मियों के अधिकारों को छीन लिया गया। इससे इनके लागू होते ही कर्मियों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी।