INTUC के संस्थापक सम्मेलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू, जगजीवन राम, ओपी मेहताब, अरुणा आसफ अली, राम मनोहर लोहिया आदि नामचीन चेहरे शामिल हुए थे। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में नींव रखी।
अज़मत अली, भिलाई। ट्रेड यूनियन के इतिहास में अहम भूमिका इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस यानी इंटक निभा रही है। देश की आज़ादी और श्रमिक आंदोलन में योगदान है। इंटक ने 77वें साल में कदम रख दिया है। आज़ादी से तीन माह पहले 3 मई 1947 को इंटक की नींव रखी गई थी। सुरेश चंद्र बनर्जी पहले अध्यक्ष रहे। गुलजारी लाल नंदा 2 बार अध्यक्ष रह चुके हैं।
खास बात यह है कि 3 अगस्त 1994 से डाक्टर जी संजीवा रेड्डी यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लगातार 29 साल से अध्यक्ष की कुर्सी पर बने हुए हैं,जबकि इनके पहले किसी का भी कार्यकाल इतना लंबा नहीं रहा है। वर्तमान में संजीवा रेड्डी की उम्र 95 साल है। इंटक में गुटबाजी को खत्म करने की दिशा में कांग्रेस आलाकमान ने भी मोर्चा संभाल रखा है। बातचीत का दौर अब भी जारी है। अब देखना यह है कि रेड्डी गुट, ददई गुट आदि का मामला कब हल होता है।
यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ परिसंघ से संबद्ध है । श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2013 में INTUC की सदस्यता 33.95 मिलियन थी, जिससे यह भारत में सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन का खिताब भी लिया। वर्तमान आंकड़े जारी होने का इंतजार किया जा रहा है।
INTUC के संस्थापक सम्मेलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू, शंकरराव देव, जगजीवन राम, बीजी खे , ओपी मेहताब, अरुणा आसफ अली, राम मनोहर लोहिया, अशोक मेहता, रामचंद्र सखाराम रुइकर आदि नामचीन चेहरे शामिल हुए थे। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में संस्थापकों ने नींव रखी।
इंटक को दूर नहीं रख सकी कांग्रेस, 1976 से रिश्ता मजबूत
स्थापना के बाद से इंटक अखिल भारतीय कांग्रेस के साथ जुड़ी रही। खास बात यह है कि INTUC और AICC के बीच नियमित बातचीत करने के लिए 1967 में AICC द्वारा एक पांच सदस्यीय समिति बनाई गई। गुलज़ारी लाल नंदा इसके संयोजक थे। इसी तरह 2002 के दौरान प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति का गठन किया गया था। इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी. संजीव रेड्डी को सीडब्ल्यूसी में शामिल किया गया।
इंटक के अब तक के अध्यक्ष व कार्यकाल
इन उद्देश्य को लेकर इंटक उतरी है मैदान में
-उद्योग के प्रशासन में कामगारों की बढ़ती हुई संगति और उसके नियंत्रण में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना।
-मजदूर वर्ग के आम तौर पर सामाजिक नागरिक और राजनीतिक हित को बढ़ावा देना।
-श्रमिकों की सभी श्रेणियों के प्रभावी और पूर्ण संगठन को सुरक्षित करना।
-संबद्ध संगठनों की गतिविधियों का मार्गदर्शन और समन्वय करना।
-ट्रेड यूनियनों के गठन में सहायता करना।
-राष्ट्रव्यापी आधार पर प्रत्येक उद्योग के श्रमिकों के संगठन को बढ़ावा देना।
-क्षेत्रीय या प्रदेश शाखाओं या संघों के गठन में सहायता करना।
-काम और जीवन की स्थितियों और उद्योग और समाज में श्रमिकों की स्थिति में तेजी से सुधार लाने के लिए।
-श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न उपाय प्राप्त करना, जिसमें दुर्घटनाओं, मातृत्व, बीमारी, वृद्धावस्था और बेरोजगारी के संबंध में पर्याप्त प्रावधान शामिल हैं।
-सामान्य रोजगार में प्रत्येक श्रमिक के लिए मजदूरी सुनिश्चित करना और श्रमिकों के जीवन स्तर में उत्तरोत्तर सुधार लाना।
-कामगारों की दशाओं को ध्यान में रखते हुए काम के घंटों और अन्य शर्तों को विनियमित करना और श्रम के संरक्षण और उत्थान के लिए कानून के उचित प्रवर्तन को सुनिश्चित करना।
-सिर्फ औद्योगिक संबंध स्थापित करने के लिए।
-काम को रोके बिना, बातचीत और सुलह के माध्यम से शिकायतों का निवारण सुरक्षित करने के लिए और मध्यस्थता या अधिनिर्णय द्वारा ऐसा न होने पर।
-श्रमिकों के बीच एकजुटता, सेवा, भाईचारा सहयोग और आपसी मदद की भावना को बढ़ावा देना।
-श्रमिकों में उद्योग और समुदाय के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करना।
-कार्यकुशलता और अनुशासन के कर्मचारियों के मानक को ऊपर उठाना।