23 महीने होने जा रहे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को, EPS 95 पेंशनभोगियों पर सरकार खामोश

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा EPS पेंशनभोगियों के पक्ष में निर्णय दिए जाने के 23 महीने होने जा रहे हैं। लेकिन सरकार या EPFO ने इस निर्णय को गंभीरता से नहीं लिया है।

पेंशनभोगियों का कहना है कि सरकार ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि उन्हें भारत की सर्वोच्च अदालत के निर्णय से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में सभी EPS पेंशनभोगियों, उनके परिवार के सदस्यों और मित्रों से विनम्र अनुरोध है कि वे इस बार भाजपा को वोट न दें, जहाँ विधानसभा चुनाव प्रक्रिया चल रही है।

साथ ही इन 2 राज्यों के सभी EPS पेंशनभोगियों से अनुरोध है कि वे भाजपा उम्मीदवारों को हराने के लिए कड़ी मेहनत करें। कृपया महाराष्ट्र और अन्य 2 राज्यों में भी यही रवैया अपनाया जाए जहाँ नवंबर/दिसंबर में चुनाव होने वाले हैं।

ये खबर भी पढ़ें: ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन: 8 साल का संघर्ष, नेताओं का चक्कर, पीएम मोदी भी नहीं कर सके फैसला, अब चलो मुंबई…

वहीं, पेंशनर्स Kalluri Narayana Rao ने कहा-सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। किसी भी राजनैतिक दल के घोषणा पत्र में ईपीएस 95 वालों के लिए कुछ भी उल्लेख नहीं है। अतः वोट सिर्फ नोटा को देना चाहिए।

सुब्रमण्य एवी का मत है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को पता होना चाहिए कि भाजपा सरकार ईपीएस-95 पेंशनर्स को 800 रुपये मासिक पेंशन दे रही है।

ये खबर भी पढ़ें: पेंशनभोगियों को चाहिए 7500 रुपए न्यूनतम पेंशन, EPFO, सीबीटी ट्रस्ट, केंद्र सरकार पर तिलमिलाए

वादीराजा राव ने कहा-निश्चित रूप से सरकार को लगता है कि वे अपनी जेब से पेंशन दे रहे हैं और एनडीए सरकार को सरकारी फैसले का सम्मान करने की कोई परवाह नहीं है।