वर्तमान में भिलाई नगर पूरे देश के विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक समूहो का अनूठा संगम है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई टाउनशिप में हाउस लीज, बुनियादी सुविधाओं आदि को लेकर एक साथ कई संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। बीएसपी के नगर सेवाएं विभाग के सामने शनिवार दोपहर ढाई बजे से 5 बजे तक विरोध-प्रदर्शन की तैयारी है। इसलिए अगर, आप इस अवधि में यहां कामकाज के लिए आने की तैयारी कर रहे हैं तो अपना प्लान बदल दीजिए। यहां भीड़-भाड़ और हंगामे की वजह से आपको परेशानी हो सकती है।
भिलाई लोक सृजन समिति, हाउसलीज संयुक्त संघर्ष समिति, लोकतांत्रिक इस्पात एवं इंजीनियरींग यूनियन, सहकारिता संघर्ष समिति, रोहणी आशा ट्रस्ट, युवा कांग्रेस भिलाई एवं आदिवासी मातृशक्ति संगठन ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन का एलान किया है। अब से कुछ घंटे में ही यह शुरू हो जाएगा।
हाउसलीज संयुक्त संघर्ष समिति के राजेंद्र सिंह परगनिहा का कहना है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत के अंदर विपरीत परिस्थितियों मे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के सहारे हमारे देश के आर्थिक- सामाजिक विकास की कल्पना की थी, जिसके फलस्वरुप छत्तीसगढ़ के अत्यंत पिछड़े क्षेत्र में विशाल इस्पात उद्योग की स्थापना उनके माध्यम से की गई थी।
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के पूर्व भिलाई एक छोटा सा गांव था जिसकी आबादी मात्र 700 थी, इसी भिलाई के नाम पर इस उद्योग नगरी का नाम आज भिलाई नगर के नाम से जाना जा रहा है। वर्तमान में भिलाई नगर पूरे देश के विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक समूहो का अनूठा संगम है।
वर्तमान में जिसकी आबादी आठ लाख से ऊपर हो गई है, जो कि छत्तीसगढ़ राज्य का दूसरा व सबसे बड़ा शहर है भिलाई नगर निगम एवं रिसाली नगर निगम भिलाई नगर के ही दायरे में आते हैं।
दुर्ग सहित जामुल नगर पालिका एवं भिलाई चरोदा नगर निगम, भिलाई इस्पात संयंत्र सहित और इसके सहारे स्थापित अन्य उद्योगो के आधार पर लगातार विकसित हो रहे है, परन्तु सरकार की नई आर्थिक नीतियों ने जहां औद्योगिक श्रमिकों के आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा पर सबसे ज्यादा कुठाराघात किया है, वहीं, भिलाई इस्पात संयंत्र के नये श्रमिकों की पीढ़ी जहां इन्हीं शहरो के स्लम एरिया सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आते है तथा संयंत्र के सारे कुशल कार्यों को आज संचालित कर रहें हैं।
लीज लाइसेंस योजना को लंबित रखने का आरोप
संगठनों का कहना है कि सेल प्रबंधन ने वैकल्पिक लीज-लाइसेंस योजनाओं को जानबूझकर पिछले कई वर्षों से लंबित रखा गया है। दूसरी तरफ वर्तमान केन्द्र सरकार ने एक कदम और आगे बढ़कर सारे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की जमीन के लिये “मंत्री मंडल का एक समूह” ही गठित कर दिया है, जो खाली जमीन सहित आवास पर अपना निर्णय देगी अर्थात वे निजीकरण की दिशा में ही कार्य करेगी।
ऐसे में इस बदहाली एवं सारी समस्याओं के निराकरण हेतु लगातार अंदोलन हैं, जिसकी अगली कड़ी में आंदोलन के 9 वर्ष पूर्व होने पर नगर सेवाएं विभाग के समक्ष एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया है।