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सीटू की दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय नेताओं ने व्यक्त किए अपने उद्गार

सीटू की दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय नेताओं ने व्यक्त  किए अपने उद्गार
  • भिलाई में सीटू को मान्यता मिलने के 7 माह के भीतर हुआ था वेतन समझौता

सूचनाजी न्यूज | हिंदुस्तान स्टील एम्पलॉइज़ यूनियन, भिलाई (सीटू) (Hindustan Steel Employees Union, Bhilai (CITU)) की 2 दिवसीय सांगठनिक कार्यशाला के पश्चात गुरुवार को सेक्टर-5 मार्केट स्थित डोम शेड सत विजय ऑडिटोरियम में सामान्य सभा संपन्न हुआ, जिसमें सीटू एवं स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय नेतृत्व ने कर्मियों के साथ सीधे संवाद में एक एक प्रश्नों का उत्तर दिया।

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National leaders expressed their views in the two-day workshop of CITU

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बदतमीजी है सर्वसम्मति की परिपाटी तोड़कर बहुमत से फैसला करना

70 वर्षों के इतिहास में बदतमीजी का मुकाबला साझा संघर्ष से किया

इस अवसर पर सीटू के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड तपन सेन ने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि एनजेसीएस में पहली बार प्रबंधन ने सर्वसम्मति की उच्च परिपाटी को तोड़ कर बहुमत द्वारा निर्णय लेने की एक नई परिपाटी शुरु की। प्रबंधन की यह हरकत एक तरह से बदतमीजी है।

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केवल टेबल टॉक से नहीं हो सकता है मजदूर विरोधी निर्णय का मुकाबला

सर्वसम्मति की परिपाटी तोड़ने की कोशिश 2009 में भी हुई थी। तब प्रबंधन सीटू को अलग-थलग करने के लिए बाकी सभी यूनियनों से हस्ताक्षर करवा लिया था किंतु सीआईटीयू ने कर्मचारियों पर भरोसा किया और अकेले ही हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया, जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रबंधन को आखिरकार बहुमत द्वारा लिए गए कर्मचारी विरोधी फैसले को बदल कर कर्मचारियों के नुकसान वाले प्रावधानों को समझौते से हटाना पड़ा था।

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सीटू ने सभी यूनियनों से विनती की थी कि मजदूर विरोधी एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर नहीं करें

स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव कॉमरेड ललित मोहन मिश्र ने कहा कि 21 अक्टूबर 2021को हमने अन्य सभी यूनियनों से हाथ जोड़कर विनती किया था कि प्रबंधन ने एरियर्स भुगतान की जो शर्त रखी है वह सही नहीं है इसीलिए ऐसी शर्त के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर ना करें। सीटू के आग्रह पर पहले दिन तो किसी यूनियन ने हस्ताक्षर नहीं किया, किन्तु अगले दिन 22 अक्टूबर 2021 को एरियर्स भुगतान पर किसी भी तरह के उल्लेख के बिना ही बाकी तीन यूनियनों ने हस्ताक्षर कर दिया।

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पीएचडी की आवश्यकता नहीं है बोनस फार्मूला समझने के लिए

लाभ में हिस्सेदारी कर्मियों का अधिकार

कॉमरेड ललित मिश्रा ने कहा कि बोनस फार्मूला को समझने के लिए किसी पीएचडी की जरुरत नहीं है। प्रबंधन ने जब बोनस के लिए विगत 5 वर्षों के औसत को आधार मानकर फॉर्मूला प्रस्तुत किया तो उसी समय स्पष्ट हो गया था कि हमें पिछले वर्ष मिले अधिकतम बोनस को आधार बनाकर बोनस भुगतान नहीं किया जाएगा बल्कि विगत 5 वर्षों के औसत के आधार पिछले वर्ष प्राप्त अधिकतम बोनस से कम राशि को आधार बनाकर बोनस दिया जाएगा। सीटू नेताओं ने उस समय अन्य नेताओं से बोनस फॉर्मूला पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया था क्योंकि इस फॉर्मूला पर हस्ताक्षर करने का अर्थ, पिछले वर्ष से कम बोनस पर अपनी सहमति देना था किंतु उस समय भी अन्य यूनियन नेताओं ने सीटू नेताओं की बातों को नजरअंदाज किया।

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कार्य स्थल पर अस्थाईत्व निर्मित करने की साज़िश

सीटू के राष्ट्रीय नेता तपन सेन ने कहा कि प्रबंधन को इस तरह की बदतमीजी करने की ताकत सरकार से प्राप्त होती है क्योंकि वेतन समझौते के लिए सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया हुआ है कि घाटे के वर्षों का कोई वेतन समझौता लाभ नहीं दिया जाना है।

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सीटू नेता ने कहा कि कुछ दिन पूर्व राष्ट्रीय उत्पादन कौंसिल द्वारा भिलाई इस्पात संयंत्र के मेन पॉवर की गहन समीक्षा की गई। उक्त समीक्षा के आधार पर भिलाई इस्पात संयंत्र में कुल मैन पावर को लगभग 10500 के आसपास किया जाएगा जिसमें खदान और अधिकारियों की संख्या भी शामिल है। इसका अर्थ कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 7500 हजार रह जाएगी। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर सभी महत्वपूर्ण कार्यों को ठेके पर दिया जा रहा है।

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सरकार के वर्तमान प्रावधानों के बाद अब ठेका कर्मियों की जगह अप्रेंटिस की नियुक्ति होगी, जिसका परिणाम यह होगा कि कार्यस्थल पर धीरे धीरे कौशल स्थायित्व समाप्त हो जाएगा और निरंतर अस्थायित्व तथा अस्थिरता बढ़ती जाएगी।

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युवा कर्मियों को नेतृत्व में लाने सीटू कर रहा है विशेष पहल

सीटू नेताओं ने कहा कि सीटू द्वारा शुरु से युवा नेतृत्व को विकसित करने विशेष पहल किया जाता है । भिलाई इस्पात संयंत्र मे भी सीटू द्वारा निरंतर युवा साथियों को नेतृत्वकारी जिम्मेदारी दी जा रही है।

एच.एस.ई.यू., भिलाई (सीटू)

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