बाप रे…! SAIL से इतनी नाराजगी, कर्मियों ने BSL प्रबंधन को कहा-अंधेर नगरी चौपट राजा

मिनिमम वेज के अतिरिक्त 8% मोटिवेशनल एलाउंस, योग्यतानुसार समयबद्ध ग्रेड प्रमोशन, वर्ष में पांच छुट्टी, पांच घंटे कार्य अवधि आदि प्रमुख मांग है।

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सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारी गुरुवार को आक्रामक मूड में नजर आए। बोकारो इस्पात संयंत्र के कोक ओवन के सुदर्शन कैंटीन में ठेका मज़दूरों के विभिन्न मांगों एवं समस्याओं के निराकरण के लिए क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) ठेका मजदूर प्रकोष्ठ ने प्रदर्शन किया।

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संघ के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज बोकारो इस्पात प्रबंधन ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ वाली कहावत को हू बहू चरितार्थ करती है। वर्षों के आंदोलन के बाद सहायक श्रमायुक्त (केन्द्रीय) धनबाद के समक्ष हुए त्रिपक्षीय (सेल/बोकारो प्रबंधन,विभिन्न ठेका कम्पनी प्रबंधन तथा मजदूर युनियन प्रतिनिधि) समझौते के आधार पर मज़दूरों को कुछ सुविधाएं प्राप्त हुई हैं।

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जिसमे मिनिमम वेज के अतिरिक्त 8% मोटिवेशनल एलाउंस, योग्यतानुसार समयबद्ध ग्रेड प्रमोशन, वर्ष में पांच छुट्टी, पांच घंटे कार्य अवधि प्रमुख हैं। मगर आज बैट्री नंबर 7 एवं 8 की निविदा जो पटल पर है, उसके बजट में समझौते में उदृत उक्त बिंदुओ के लिए धनराशि का प्रावधान हीं नहीं किया गया है। एक तरफ प्रबंधन के उच्च अधिकारी समझौते पर हस्ताक्षर कर सहमति जताते है।

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वहीं, दूसरी तरफ समझौते के अनुपालन हेतु अपेक्षित धनराशि को निविदा के बजट से गायब कर देती है। सीधे-सीधे समझौते के उल्लंघन एवं अधिकारियों के मानसिक दिवालियापन का परिचायक है। अविलंब निविदा में सुधार कर उचित बजट के आधार पर निविदा प्रकाशित हो। अन्यथा मजदूरों के अधिकारों में कटौती होने पर रिकॉर्ड उत्पादन एवं अनुशासन पर ग्रहण लग सकता है।

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आज प्रबंधन के तानाशाही के कारण बैट्री नंबर 2 में कार्य दुर्घटना के शिकार मृतक नन्द कुमार के आश्रित न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं। एक गरीब को न्याय से वंचित रख अधिकारी कुम्भकरणी निन्द्रा में मस्त हैं। सेल के अन्य ईकाइयों में ठेका मजदूरों के लिए ग्रेच्युटी की व्यवस्था है।

मगर संयंत्र को उत्पादन का रिकॉर्ड तक पहुंचाने वाले बोकारो के ठेका मजदूरों को ग्रेच्युटी से वंचित कर अधिकारी पीआरपी का मलाई चांप रहें है। ग्रुप इंश्योरेंस पर कई दौर के वार्ता के बाद भी कोई निर्णय ना होना इनकी शोषण की नीति को ही दर्शाती है। ठेका मजदूरों के वेज रिवीजन पर एनजेसीएस की बैठक ना बुलाकर टाल-मटोल करना शोषण नहीं तो क्या है?

अंत में राजेंद्र सिंह ने प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि प्रबंधन ठेका मजदूरों को वाजिब अधिकारों से वंचित रखने से बाज आए। अन्यथा औद्योगिक अशान्ति की सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। मीटिंग को श्री सिंह के अलावा शशिभूषण, प्रमोद देव, एसएन.सिंह, राजेश महतो, जुम्मन खान, टुनटुन सिंह, नागेंद्र कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

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