- प्रधानमंत्री मोदी का पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर शोक व्यक्त किया।
- प्रधानमंत्री ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन को भारतीय संगीत जगत के लिए बताया एक अपूरणीय क्षति।
- काशी के हर उत्सव को उन्होंने अपने स्वरों और गीतों से समृद्ध किया।
- प्रधानमंत्री ने कहा की भारत का हर संगीत प्रेमी पंडित छन्नूलाल मिश्र के जीवन से प्रेरणा लेता रहेगा, उनके स्वजन की पीड़ा मेरी पीड़ा।
सूचनाजी न्यूज, वाराणसी। बनारस घराने के पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे। भारतीय संगीत जगत को रुला गए। बालीवुड तक पड़क रखने वाले पंडित जी साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक थे। वाराणसी से पहला लोकसभा चुनाव लड़ने पहुंचे मोदी के प्रस्तावकों में छन्नू लाल मिश्र का नाम भी शामिल था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित छन्नूलाल मिश्र का जाना भारत के संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित छन्नूलाल मिश्र जीवन भर कला और संस्कृति के लिए समर्पित रहे और उन्होंने बनारस घराने की संगीत परंपरा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि काशी की परंपराओं और उत्सवों को पंडित मिश्र जी ने अपने स्वरों और गीतों से समृद्ध किया। मणिकर्णिका घाट पर होने वाली होली हो या सावन की उनकी कजरी-उनके संगीत से काशी सदा गुंजायमान होता रहेगा। उन्होंने लोकगायन की महत्वपूर्ण विधाओं को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाने के लिए पंडित मिश्र द्वारा किये गए कार्य की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें कई बार पंडित मिश्र जी से मिलने और उनका स्नेह पाने का अवसर मिला। 2014 के चुनाव में पंडित छन्नूलाल मिश्र जी उनके प्रस्तावक बने थे- इस बात को स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के प्रति पंडित मिश्र जी का आत्मीय भाव अद्वितीय था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के विकास और परंपराओं पर पंडित मिश्र ने उन्हें कई बार महत्वपूर्ण सुझाव दिए। साथ ही प्रधानमंत्री ने यह भी कहा की महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती पर वे उनके आवास पर पधारे थे, जिसकी स्मृति आज गाँधी जयंती के दिन यह सन्देश लिखते हुए उनके लिए जीवंत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यद्यपि पंडित मिश्र आज सशरीर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन भारत का हर संगीत प्रेमी उनके जीवन से प्रेरणा लेता रहेगा तथा काशी उनके भजनों से उन्हें हर उत्सव में स्मरण करती रहेगी।
प्रधानमंत्री ने पंडित मिश्र के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि पंडित मिश्र के स्वजनों की पीड़ा उनकी व्यक्तिगत पीड़ा है। प्रधानमंत्री ने प्रार्थना की कि बाबा विश्वनाथ पंडित छन्नूलाल मिश्र जी को अपने चरणों में स्थान दें और उनके शुभचिंतकों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करें।
90 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार
उपशासत्रीय गायक पंडित छन्नूपलाल मिश्र का गुरुवार को तड़के निधन हो गया। 90 वर्षीय छन्नूलाल मिश्र लंबे से बीमार चल रहे थे। बीएचयू अस्पलताल में उपचार के बाद डिस्चागर्ज होने पर वे मिर्जापुर में अपनी बेटी के पास रह रहे थे। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली।
अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में कलाकार-संगीत प्रेमी, काशीवासी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए। अंतिम संस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया गया। आजमगढ़ में जन्मे पंडित छन्नूालाल मिश्र ठुमरी के लिए प्रसिद्ध थे। वे पूरब अंग की ठुमरी के प्रमुख प्रतिपादक माने जाते हैं। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती और होरी से उन्हें नई पहचान मिली। उनकी गायकी में गंगा-घाटों की मिठास, बनारसी बोली की आत्मीगयता और लोक संस्कालरों की गहराई थी।
जानिए कब-क्या मिला पुरस्कार
भारत सरकार ने 2010 में पद्मभूषण और 2020 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, नौशाद पुरस्कार, यश भारती पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से भी वे अलंकृत किए गए थे।