- मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने कोशियारी समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन और हायर पेंशन का विवाद थम नहीं रहा है। उच्च पेंशन के लिए लगातार संघर्ष जारी है। वहीं, न्यूनतम पेंशन 7500 की मांग की जा रही है।
इसी बीच सरकार के बचाव में कुछ पेंशनभोगियों का कहना है कि EPFO की वार्षिक रिपोर्ट से देख सकते हैं कि लगभग 7 लाख ईपीफओ सदस्यों में से लगभग 3% पेंशनभोगी हैं। इसलिए, EPS कोष का कम से कम 97% हिस्सा उन सदस्यों का है जो अभी सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
उनका पैसा पेंशनभोगियों को वितरित नहीं किया जा सकता। उनके पैसे को अलग रखें, फिर औचित्य सिद्ध करने का प्रयास करें।
सांसद और अन्य लोग अपने तर्कों के आधार पर सिफारिशें करते हैं, लेकिन EPFO और सरकार को पैसे का इंतज़ाम करना पड़ता है। यही कारण है कि मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने कोशियारी समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
पेंशनभोगी कहते हैं कि मुझे यकीन है कि जिन लोगों ने 11-15 साल से कम समय के लिए EPS में योगदान दिया है, उन्हें पूंजी को शामिल करने के बाद भी पेंशन के रूप में अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा है। मैं इस बात से सहमत हूं कि EPS में लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले लोग EPF की तुलना में नुकसान में हैं।
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अब तक सरकार पहले से किए गए वादे के अलावा कोई अतिरिक्त बोझ नहीं उठाना चाहती है। आप सरकारी कर्मचारियों की पेंशन की तुलना ईपीएस पेंशन से नहीं कर सकते, क्योंकि सरकार ईपीएस सदस्यों की नियोक्ता नहीं है।
क्या आपका नियोक्ता बिना किसी सीमा के वर्तमान 10/12% के बजाय ईपीएफ में वेतन का 18% योगदान करने को तैयार है और क्या उनके पास इतना योगदान करने की क्षमता है? कृपया इस पर विचार करें।
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