EPS-95 क्या है। किस तरह से गणना होती है। आदि सवालों का जवाब पढ़ें।
अज़मत अली, भिलाई। EPS-95 का अर्थ इम्प्लाइज पेंशन स्कीम 95 (Employee Pension Scheme 95) है। 16 नवंबर 1995 को EPS-95 लागू हुआ था। ईपीएस 95 को तीन चरणों में लागू किया गया था। 16 नवंबर 1995 से 7 अक्टूबर 2001 तक 5000 की बेसिक लिमिट रखी गई थी तथा 8 अक्टूबर 2001 से 31 अगस्त 2014 तक 6500 की और 1 सितंबर 2014 को कैपिंग बढ़ाकर 15000 किया गया।
इसमें इम्प्लायर का 12% का जो कॉन्ट्रिब्यूशन होता है, उसका 8.33% ईपीएस में जमा होता है। इसके अनुसार 5000 पर 417, 6500 की बेसिक पर 941 रुपए और एक सितंबर 2014 से 15000 बेसिक पर 1250 इम्प्लायर का कॉन्ट्रिब्यूशन ईपीएस-95 स्कीम में जमा होता है।
ये खबर भी पढ़ें:EPS 95: उच्च पेंशन के ब्याज को लेकर EPFO ने कही ये बात
इस जमा हुए पैसे के आधार पर ही ईपीएफओ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन कर्मचारियों को पेंशन प्रदान करता था। यह पेंशन आज के समय में अपर्याप्त है। इसे देखते हुए देखते हुए मार्च 1996 को बेसिक और डीए का 8.33% जमा करने के लिए जॉइंट ऑप्शन फॉर्म भरने का सुविधा प्रदान किया गया।
कुछ कर्मचारियों ने यह जॉइंट ऑप्शन फॉर्म सबमिट किया। परंतु जानकारी नहीं होने की वजह से या गलत फॉर्म भरने की वजह से ईपीएफओ ने उनका जॉइंट ऑप्शन फॉर्म निरस्त कर दिया। ऐसे कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट गए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 04 नवंबर 2022 को कर्मचारियों के हक में फैसला देते हुए यह निर्णय दिया कि वह कर्मचारी जो 01.11.2014 से पहले तक सर्विस में थे और जिन्होंने ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म भरा था, परंतु रिजेक्ट हो गया था वे पात्र होंगे। और जो 2014 से पहले जो रिटायर हो गए हैं, इसके पात्र होंगे।
इसका फायदा यह होगा कि अब कर्मचारियों को बढ़ी राशि पेंशन के रूप में मिल पाएगी, जो कि सम्मानजनक होगा। इसे हम ऐसा समझते हैं यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान में 100000 बेसिक और DA है तो इस पर एंप्लॉय जो 12% के हिसाब से 12000 का कॉन्ट्रिब्यूशन देता है, जिसमें से 15000 की लिमिट की वजह से पहले ईपीएस में 15000 का 8.33% अर्थात 1200 रुपए इपीएफ स्कीम में चला जाता था। शेष राशि नियोक्ता के द्वारा 10800 ईपीएफ/CPF में जमा हो जाता था।
अब यह एक लाख पर 8.33% के अनुसार 8330 पेंशन फंड में जमा करना होगा, क्योंकि उसने पहले 1200 ही जमा किया है। इसलिए शेष राशि 7130 उसे जमा करना होगा। आज की तारीख में 12000 में से 8330 घटाने पर बचे हुए 3670 आपके सीपीएफ (CPF) अकाउंट में जमा हो जाएगा, जो कि पहले 10800 जमा हो रहा था। इसका अर्थ यह हुआ कि रिटायरमेंट के समय पर कम पैसा मिलेगा। परंतु आपको एक सम्मानजनक पेंसन हर महीने प्राप्त होता रहेगा।
ओपीएस (Old Pension Scheme) क्या है
ओपीएस (OPS) यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme)। पहले वर्ष 1 अप्रैल 2004 को इस योजना को सरकार के द्वारा बंद कर दिया गया। इस योजना की जगह पर एनपीएस (NPS) नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) लागू किया गया। इसमें 12% का कॉन्ट्रिब्यूशन इस फंड में जमा करना होता है।
इस स्कीम में रिटायरमेंट के बाद आप जमा पैसे की 60% राशि निकाल सकते हैं। 40% की राशि किसी एनुटी प्लान जमा रहता है, जिससे पेंशन प्राप्त होता है, जो कि बहुत कम होती है, क्योंकि यह बाजार पर आधारित होता है।
ये खबर भी पढ़ें: Bhilai Steel Plant: 105 जवानों के CISF बैरक का बरामदा ढहा, हादसे से मचा हड़कंप
कांग्रेस शासित राज्यों में मिल रही पुरानी पेंशन का लाभ
कांग्रेस शासित हिमांचल प्रदेश, राजस्थान और समर्थन से चल रही झारखंड सरकार ने ओपीएस को पुनः बहाल किया है। इस पेंशन योजना में कर्मचारियों को बेसिक डीए का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता है। इस पेंशन स्कीम में सीधा-सीधा अंतिम वेतन का 50% राशि आपको पेंशन के रूप में प्राप्त होता है। इस स्कीम में डीए वेरिएबल होता है। समय के साथ डीए जैसे-जैसे बढ़ते जाता है। वैसे वैसे पेंशन बढ़ता जाता है।
सेना में OROP (वन रैंक वन पेंशन) लागू है
सेना में OROP ( वन रैंक वन पेंशन) लागू किया गया है, बाकि सभी जगह पर NPS लागू है। रेलवे में एनपीएस लागू है। एनपीएस बाजार पर आधारित है। ओपीएस सीधा सरकार के नियंत्रण में होता है।
इस योजना में अभी छत्तीसगढ़ में 30 वर्ष कि सेवा अवधि पूरा करने पर अंतिम वेतन का 50% राशि आपको पेंशन के रूप में दिया जाता है। इस योजना में समय-समय पर डीए रिवाइस होता है। अर्थात यह पेंशन डीए बदने के साथ बढ़ता जाता है।