दो गाड़ी में जाने लायक लोग एक ही गाड़ी में ठूंस-ठूंसकर जाने को मजबूर हो गए।
सूचनाजी न्यूज, राजहरा। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel plant) की माइंस राजहरा रेलवे स्टेशन (Rajhara Railway Station) पर रविवार रात जमकर हंगामा हुआ। रेल यात्री (Rail Passengers) खासा परेशान हुए। ट्रेन में तकनीकी खराबी आने पर यात्रियों को नीचे उतार दिया गया। स्टेशन मास्टर के रूम में गहमा-गहमी का महौल रहा।
दो-ढाई घंटा बीतने के बाद ट्रेन को कैंसिल (Cancelled) कर दिया गया। यात्री भटकते नजर आए। कोई बस स्टैंड की ओर दौड़ा तो कोई स्टेशन के आसपास ही रात काटने को विवश हुआ। सोमवार सुबह ट्रेन दुर्ग (Durg) के लिए रवाना हुई तो खचाखच भीड़ उमड़ी, क्योंकि रविवार के पैसेंजर भी ट्रेन में सवार हो रहे थे। 2 ट्रेन के यात्री को एक ट्रेन में ठूंस-ठूंसकर सफर करना पड़ा।
प्रत्यक्षदर्शी सीटू (Citu) महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने राजहरा रेलवे स्टेशन में हुए हंगामा के मद्देनज़र बताया कि राखी त्यौहार से दुर्ग राजहरा के बीच चलने वाली सभी लोकल गाड़ियां खचाखच भरी हुई है।
ऐसे में 10 अगस्त शाम 6:55 पर राजहरा से दुर्ग तक जाने वाली डेमू के राजहरा स्टेशन से रवाना होने के लिए शाम 7:19 सिग्नल हुआ। गाड़ी आधा फीट चली और रुक गई। थोड़ी देर बाद फिर आधा फीट चली और रुक गई।
बहुत देर तक कोई हलचल न होता देख जब इंजन के पास पैसेंजर पहुंचे तो पता चला कि इंजन के एक्सेल का तापमान 104 डिग्री सेल्सियस दिखा रहा है। 2 घंटे से ज्यादा देर तक स्टेशन एवं स्टेशन मास्टर के रूम में बातचीत चलती रही एवं लोग स्टेशन में हंगामा करते रहे। आखिर में 2 घंटे के बाद गाड़ी रद्द होने की घोषणा की गई।
मैकेनिक ने साफ कहा कि इस गाड़ी को चलाने की मैं नहीं दे सकता इजाजत
- सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी को रेल कर्मचारियों ने बताया डेमू जो डीजल से चलती है, उसका मेंटेनेंस गोंदिया में किया जाता है।
- गाड़ी की जानकारी रखने वाला मैकेनिक जब एक्सेल पर टेंपरेचर गन से तापमान लिया तो उसका तापमान 104 डिग्री सेल्सियस दिख रहा था, जबकि उसका तापमान 84 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
- ऐसे में मैकेनिक ने साफ कह दिया कि मैं इतने टेंपरेचर में इस गाड़ी को चलाने की इजाजत नहीं दे सकता हूं, क्योंकि इस टेंपरेचर पर गाड़ी चलाना खतरनाक हो सकता है।
- गाड़ी कहीं पर भी रास्ते में रुक सकती है अथवा अन्य कोई परेशानी भी आ सकती है।
- पिछले सप्ताह कुसुमकसा के पास कुछ इसी तरह से गाड़ी रुक गई थी। ऐसे में यदि ऊपर के अधिकारी अनुमति देंगे तभी गाड़ी चल सकती है।
2 घंटे तक नहीं लिए ऊपर के अधिकारियों ने कोई निर्णय
सीटू नेता ने बताया कि मेमू के एक्सेल के तापमान को बढ़ा हुआ देख मैकेनिक ने हर उस अधिकारी को टेलीफोन से सूचित किया, जिन्हें निर्णय लेकर गाड़ी चलाने अथवा ना चलाने का आदेश नीचे भेजना था। किन्तु भारी जद्दोजहद के बाद भी ऊपर के अधिकारी 2 घंटे तक कोई निर्णय लेकर नीचे सूचित नहीं किया।
इधर स्टेशन में उपस्थित यात्री परेशान हो रहे थे। मैकेनिक से लेकर स्टेशन मास्टर तक लगातार ऊपर के अधिकारियों को फोन लगाते रहे। किंतु ऊपर के अधिकारियों का फैसले वाला कोई जवाब नहीं आया।
मेमू के लिए नहीं मिला कोई क्रू मेंबर
दल्ली राजहरा स्टेशन में डेमू के बगल में इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाड़ी मेमू खड़ी थी। स्टेशन में मौजूद सीटू नेताओं ने सवाल उठाया कि जब बगल वाली पटरी पर मेमू खड़ी है तो उसे क्यों नहीं चला रहे हैं। इस पर स्टेशन मास्टर ने कहा कि मेमू एवं डेमू को चलाने वाले क्रू मेंबर अलग-अलग होते हैं डीजल इंजन चलाने वाला ड्राइवर इलेक्ट्रिक इंजन नहीं चला सकता।
वैसे ही इलेक्ट्रिक मालगाड़ी चलाने वाला ड्राइवर इलेक्ट्रिक मेमू नहीं चला सकता, इसीलिए ऊपर के अधिकारियों ने चर्चा करके बताया है कि आधे घंटे में मेमू का क्रू मेंबर का इंतजाम किया जा रहा है। किंतु 45 मिनट बाद घोषणा कर दिया गया कि क्रू मेंबर उपलब्ध नहीं हो पाया है। इसीलिए रात को कोई भी गाड़ी मरोदा एवं दुर्ग के लिए नहीं जा पाएगी।
टिकट कैंसिल कराने लगी भारी भीड़
रात का समय था। किसी को भिलाई पहुंच कर अपने पीजी में जाना था। किसी को आगे की यात्रा करनी थी, तो किसी को भिलाई स्टील प्लांट में रात्रि पाली में ड्यूटी जाना था। इस बीच दो घंटा होते होते यात्रियों का सब्र का बांध टूटने लगा। वे नाराज होकर स्टेशन मास्टर से ट्रेन की वास्तविक स्थिति बताने एवं ट्रेन ना चलने पर घोषणा कर टिकट का पैसा लौटाने के लिए दबाव बनाने लगे।
एक बच्ची ने तो यहां तक कह दिया कि ट्रेन के अंदर काफी सारी महिलाएं एवं लड़कियां हैं। यदि स्टेशन मास्टर या ऊपर के अधिकारी हमारे तकलीफ को नहीं समझ पा रहे हैं तो वक्त बितने के साथ और तकलीफ बढ़ जाएगी। इस घटना के चंद मिनट बाद ट्रेन रद्द करने की घोषणा की गई। इस घोषणा के बाद टिकट काउंटर में टिकट कैंसिल करवा कर पैसा लेने वालों की भीड़ उमड पड़ी।
11 अगस्त को भी अधिकारियों का फैसला रहा उल्टा-पुल्टा
- 11 अगस्त को अंतागढ़ से आने वाली सुबह 5:40 की गाड़ी एक घंटा विलंब होने के कारण राजहरा में 6:40 को आ रही थी।
- वहीं, 6:20 बजे राजहरा से दुर्ग तक जाने वाली गाड़ी थी जिसे समय पर छोड़ा जा सकता था।
- किन्तु ऊपर के अधिकारियों ने निर्णय लिया कि पहले अंतागढ़ से आने वाली गाड़ी छोड़ेंगे। इसके बाद ही राजहरा से जाने वाली गाड़ी को रवाना किया जाएगा।
- अर्थात जिस गाड़ी को समय पर छोड़ा जा सकता था, उस गाड़ी को भी लेट करा दी गई।
- जानबूझकर 50 मिनट लेट किया गया। लोग स्टेशन मास्टर पर गुस्सा उतारते नजर आए।
- स्टेशन मास्टर ऊपर के अधिकारियों को वस्तु स्थिति बताते रहे।
- किंतु ऊपर के अधिकारी है कि उन्हें स्टेशन में बैठे लोगों से क्या लेना देना। आखिर में स्थिति यह हो गई कि दो गाड़ी में जाने लायक लोग एक ही गाड़ी में ठूंसकर जाने को मजबूर हो गए।