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SAIL Biometric: बिलासपुर हाईकोर्ट से BMS को झटका, कोर्ट ने बायोमेट्रिक को ठहराया सही, कहा-BSP का साथ दें याचिकाकर्ता चन्ना केशवलू

SAIL Biometric: बिलासपुर हाईकोर्ट से BMS को झटका, कोर्ट ने बायोमेट्रिक को ठहराया सही, कहा-BSP का साथ दें याचिकाकर्ता चन्ना केशवलू

कोर्ट ने फैसले में लिखा-याचिकाकर्ता एसोसिएशन से संगठन में डिजिटल प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग के लिए नियोक्ता संगठन के साथ सहयोग करने की अपेक्षा की जाती है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट में बायोमेट्रिक का मामला नया मोड़ ले चुका है। आपको आधी-अधूरी जानकारी अब तक दी जाती रही है। बायोमेट्रिक को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट जाने वाली यूनियन को बड़ा झटका लग चुका है, लेकिन इस बात को छुपाया गया।

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बायोमेट्रिक पर रोक लगाने से कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। प्रबंधन के पक्ष में फैसला है। इस आधार पर केंद्रीय उप श्रमायुक्त ने भी इस पर रोक लगाने से मना कर दिया है। इससे यह साफ हो गया है कि बायोमेट्रिक पर रोक किसी कीमत पर नहीं लगने जा रही है। इससे संबंधित यूनियन नेताओं को होने वाली परेशानियों पर बातचीत हो सकती है। इसीलिए प्रबंधन ने समय मांगा है।

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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के न्यायाधीश दीपक कुमार तिवारी के फैसले की प्रति सार्वजनिक हो चुकी है। Bhilai Ispat Mazdoor Sangh के महामंत्री चन्ना केशवलू की तरफ से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। याचिकाकर्ता ने सचिव, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, नई दिल्ली, उप श्रम आयुक्त (केंद्रीय) कार्यालय क्षेत्रीय श्रम आयुक्त, अवंती विहार, रायपुर, और Bhilai Steel Plant के Director-In-Charge को पार्टी बनाया था।

न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी के 10 जुलाई के फैसले में क्या लिखा है…

1. यह याचिका प्रमाणित स्थायी आदेश में कोई समावेश/संशोधन किए बिना और इस तरह के बदलाव की कोई सूचना दिए बिना, बायोमेट्रिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने से संबंधित याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए औद्योगिक विवाद के खिलाफ दायर की गई है।
याचिकाकर्ता. उक्त मुद्दा 26.06.2024 को प्रतिवादी संख्या 2 के समक्ष उठाया गया था लेकिन प्रतिवादी संख्या 2 ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं की।

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2. पक्षों के विद्वान वकील को सुनने के बाद, याचिका के साथ दायर किए गए संयंत्र के स्थायी आदेश का आगे अध्ययन करने पर, ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त स्थायी आदेश का खंड 7 ‘उपस्थिति और देर से आने’ और खंड 7 (बी) से संबंधित है।)

निर्धारित करता है कि जिन कर्मचारियों को उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है, वे ड्यूटी पर रिपोर्ट करने और ड्यूटी छोड़ने का समय अंकित करेंगे।

प्रौद्योगिकी का उपयोग समय की मांग

3. वर्तमान याचिका में, एकमात्र शिकायत यह उठाई गई है कि, याचिकाकर्ता को ध्यान में रखे बिना प्रबंधन द्वारा बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली शुरू की गई है। अब प्रौद्योगिकी का उपयोग समय की मांग है और नई संचार प्रणाली हमारे जीवन का हिस्सा बन गई है।

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इस प्रकार, इस न्यायालय का विचार है कि उक्त तकनीक की शुरूआत के पीछे का उद्देश्य कर्मचारियों और नियोक्ता के बीच बेहतर संबंध विकसित करना और किसी को भी पूर्वाग्रह पैदा किए बिना मशीन के माध्यम से पारदर्शी तरीके से उपस्थिति दर्ज करना है और प्रमाणित स्थायी आदेश केवल इस पर विचार करता है।

याचिका में कोर्ट को कोई मेरिट ही नहीं लगी

4. उपरोक्त के मद्देनजर, इस न्यायालय को तत्काल याचिका में कोई योग्यता नहीं मिली और तदनुसार इसका निपटारा किया जाता है

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5. इसके अलावा, याचिकाकर्ता एसोसिएशन से संगठन में डिजिटल प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग के लिए नियोक्ता संगठन के साथ सहयोग करने की अपेक्षा की जाती है।
6. यदि कोई अन्य मुद्दा या मांग अभी भी बनी हुई है, तो याचिकाकर्ता संगठन कानून के अनुसार त्वरित तरीके से उचित कार्रवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष उसका विवरण दाखिल कर सकता है।

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