- 27 अक्टूबर को सीटू ने किया बोनस को लेकर बैठक।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल बोनस (SAIL Bonus) को लेकर बवाल जारी है। 27 अक्टूबर को बीएसपी (BSP) के बोरिया गेट पर कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन होना था। लेकिन, आचार संहिता (Code of conduct) और बीएसपी से अनुमति न लेने की वजह से प्रोटेस्ट को स्थगित कर दिया। शुक्रवार सुबह सीटू के नेता बोरिया गेट पर पहुंचे और वहां से यूनियन दफ्तर पहुंचकर आगे की रणनीति बनाई।
यूनियन नेताओं ने चर्चा की। कहा-पिछली बार जितनी ही राशि दे देते तो प्रतिकर्मी को इस बार 43000 से ज्यादा बोनस मिलता। सीटू नेताओं ने कहा-वित्त वर्ष 2021-22 में संयंत्र में 51677 कर्मी कार्यरत थे, जो वित्त वर्ष 2022-23 में घटकर 47418 रह गए।
अर्थात 1 वर्ष में सेल से सेवानिवृत हुए कर्मियों की संख्या 4259 है पिछले बार प्रबंधन ने 51677 कर्मियों को 205 करोड़ रूपया बोनस के रूप में बांटा था।
यदि वही 205 करोड़ रुपए इस बार 47418 कर्मियों के बीच बाटा जाए तो प्रत्येक कर्मी को 43000 रुपए से ज्यादा बोनस प्राप्त होगा। ज्ञात हो की पिछली बार ट्रेनी कर्मियों को 32100 बोनस दिया गया था जो इस वर्ष 18063 रुपए है।
17 अक्टूबर 2023 को बोनस बैठक असफल हो जाने के बाद स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया सीटू की अखिल भारतीय कार्यकारिणी समिति की जूम मीटिंग 20 अक्टूबर को संपन्न हुई। जिसमें लिए गए निर्णय के अनुसार सीटू ने कर्मियों के बीच बैठक कर फीडबैक लेने के साथ-साथ वास्तविकता से अवगत करवा रहा है कि बोनस के लिए 23000 रुपए पर प्रबंधन एवं यूनियनों के बीच सहमति नहीं बनने के बावजूद प्रबंधन द्वारा एक तरफा निर्णय लेकर कर्मियों के बैंक खाते में पैसा डालने की घटना गलत है। 8 फरवरी 2023 को बहुमत के आधार पर बनाए गए बोनस फार्मूला को सभी यूनियनों ने संयुक्त रूप से रद्द करने एवं पिछले वर्ष से ज्यादा बोनस देने की मांग की है। साथ ही साथ उत्पादन एवं उत्पादकता के आंकड़ों को भी कर्मियों के बीच स्पष्ट कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज यूनियन कार्यालय में बैठक हुई।
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उत्पादन बढ़ाने के बाद भी बोनस को घटाया प्रबंधन में
बैठक में सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि 2021-22 का टर्नओवर 102805 करोड़ था, जो 2022-23 में बढ़कर 103768 करोड़ हो गया। वहीं, उत्पादन पर नजर डाले तो हम पाते हैं कि 2021-22 की तुलना में 2022-23 में हॉट मेटल 18.71 मिलियन टन से बढ़कर 19.4 मिलियन टन, क्रूड स्टील 17.37 मिलियन टन की से बढ़कर 18.29 मिलियन टन तथा सिलेबल स्टील 16.89 मिलियन टन से बढ़कर 17.24 मिलियन टन हो गया।
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लेबर प्रोडक्टिविटी 474 टन प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष से बढ़कर 589 टन प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष हो गया। अर्थात प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष उत्पादन में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी हुई है। किंतु बोनस में जबरदस्त गिरावट आई है। यदि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में हॉट मेटल के उत्पादन में जहां 0.69 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है।
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वहीं, इस वर्ष प्रबंधन द्वारा एक तरफा निर्णय लेकर बोनस के मद में कर्मियों के खाते में डाली गई राशि 23000 रुपए है जो पिछले वर्ष बोनस के मद में मिली राशि 40500 रुपए के तुलना में ₹17500 कम है जो किसी भी हाल में मंजूर नहीं है।
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मार्केट पर निर्भर करता है मुनाफा या घाटा
सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा कि प्रबंधन जिस घाटे की बात कर रहा है। वह सब मार्केट पर निर्भर करता है। यदि आयरन ओर, डोलोमाइट, कोल से लेकर बिजली तक किसी का भी दाम बढ़ने पर बनने वाले लोह उत्पादन का दाम बढ़ जाता है। इसके साथ मार्केट में लोह उत्पादन का दाम भी ऊपर नीचे होता रहता है, जिससे मुनाफे पर भारी असर पड़ता है एवं मार्केट देखने का काम प्रबंधन करती है।
इसमें मजदूरों की कोई भागीदारी नहीं होती, मजदूर केवल संयंत्र के अंदर उत्पादन करता है। इसीलिए सीटू हमेशा से ही उत्पादन पर आधारित बोनस का पक्ष धर रहा है। किंतु जब भी कर्मियों को उनके हक का पैसा देने की बात आती है, प्रबंधन संयंत्र में बढ़ रहे उत्पादन के बजाय मुनाफा या घाटा का आंकड़ा पेश करने लगता है।