ट्रांसफर की मार झेल रहे SAIL कर्मचारी झांसेबाजी से उब चुके, चेयरमैन-DIC, NJCS के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का दावा

- NJCS नेताओं और चेयरमैन, बोकारो डीआई के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला जल्द से जल्द किया जाए।

अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) में काफी उथल-पुथल चल रहा है। कर्मचारियों का एक वर्ग यूनियन और प्रबंधन से खासा नाराज है। इसकी झलक आपको देखनी हो तो सोशल मीडिया पर नजर डाल लीजिए।

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ट्रांसफर निरस्त कराने के नाम पर कर्मचारियों का वोट बटोरने की झांसेबाजी, एनजेसीएस के कुछ नेताओं का चक्रव्यू, सियासी नेताओं की पैतरेबाजी और सेल प्रबंधन के रवैये के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली जा रही है। ये हम नहीं, बल्कि सेल के कर्मचारी सोशल मीडिया पर बयां कर रहे हैं। कर्मचारी के नाम का जिक्र नहीं किया जा रहा है, क्योंकि नाम के आधार पर प्रबंधन विभागीय कार्रवाई करती है।

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हड़ताल के बाद ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों का गुस्सा अब इतना भड़क चुका है कि वे सेल चेयरमैन और डायरेक्टर इंचार्ज के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात तक कर रहे हैं। बकायदा लिखित में यह दावा किया गया है।

सेल (SAIL) के एक कर्मचारी ने लिखा कि अब ILO के साथ-साथ उच्च न्यायालय जाना होगा, क्योकि ट्रांसफर नहीं, बल्कि आपराधिक साजिश रची गई थी, जिसमे कई बड़े चेहरे शामिल हैं। NJCS नेताओं और चेयरमैन, बोकारो डीआई के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला जल्द से जल्द किया जाए।

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कर्मी ने दावा किया कि जितना मेरे पास डॉक्यूमेंट है, उससे कई लोगों की नौकरी पर संकट आ जाएगा। कई का बुढ़ापे का सत्यानाश हो जाएगा। एक NJCS नेता के कहने पर बोकारो-भिलाई के कर्मचारियो को निलंबित किया गया तथा स्थानांतरित किया गया। वहीं, बाकि चार यूनियनों के नेता उस मीटिंग में मुंह में दही जमाए बैठे थे। पिछले 15-16 माह से तमाशा दिखा रहे हैं।

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घर वापसी के नाम पर वोटों की बरसात कराने वाले युवा कर्मचारी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सेल के एक वाट्सएप ग्रुप पर भड़के कर्मचारी ने लिखा- …नेताओ के साथ-साथ तथाकथित राष्ट्रवादी भारत माता वाली यूनियनों के नेता भी कुछ नहीं कर पाए।

एक अन्य कर्मचारी ने लिखा कि पिछले पांच-सात वर्षों में शोषण का क्रमागत विकास समझिए…। 2017 से 2020 तक किसी यूनियन ने वेज रिवीजन के लिए सांस डकार ही नहीं लिया। जबकि वेज रिवीजन मद की राशि का उल्लेख साल दर साल वार्षिक बही खाते में प्रबंधन करती थी।

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नेता डीपीई गाइडलाइंस का हवाला देते रहे, जबकि गाइडलाइंस सिर्फ गैर यूनियनकृत सुपरवाइजर और अधिकारी से संबंधित रही। बोनस की बारी आई तो बर्बाद स्थिति से बेहतर स्थिति की सभी महारत्न पीएसयू PBT का 6 से 11% तक कर्मचारियों में बोनस बांटती रही, पर अपने यहां फॉर्मूला में ही झोल कर बोनस की अधिकतम मांग राशि 45 हज़ार पर सीमित कर दी। इनका घड़ा फिर भी न भरा और इस बार तो अधिकतम 28 हजार का फॉर्मूला अगले तीन वर्षो के लिए स्वीकार कर लिया।

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