अज़मत अली, भिलाई। केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त दिल्ली के कार्यालय में सेल प्रबंधन और एनजेसीएस यूनियनों के बीच वार्ता भयानक रूप ले चुकी है। करीब 5 घंटे तक लगातार बैठक चली, लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका है। रात सवा 8 बजे मीटिंग का मिनट्स टाइप होना शुरू हो गया।
सेल प्रबंधन की तरफ से कहा गया है कि बोनस पर रिव्यू कर सकते हैं। लेकिन, एरियर पर कोई भी फैसला नहीं होगा। इस्पात मंत्रालय के दिशा-निर्देश पर अमल हो रहा है। इसलिए एरियर का भुगतान नहीं किया जा सकता है। वार्ता विफल हो गई। अब 28 अक्टूबर को हड़ताल होगी।
इसको लेकर एनजेसीएस यूनियनों ने गुस्सा जाहिर किया। केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त भी भड़क गए। उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2017 से भुगतान करना होगा। अगर, नहीं किया जाता है तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा।
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चीफ लेबर कमीशनर के शेखर, डिप्टी चीफ लेबर कमीशन तेग बहादुर सिंह, रिजनल लेबर कमिशनर ओपी सिंह के अलावा एनजेसीएस यूनियन से सीटू से ललित मोहन मिश्र, इंटक से हरजित सिंह, एटक से विद्यासागर गिरी, बीएमएस से संजीत बनर्जी, एचएमएस से एसडी त्यागी बैठक में शामिल हुए।
यूनियन ने कहा एरियर कर्मचारियों की लाइफलाइन है। इसको छोड़ नहीं सकते हैं। ग्रेच्युटी, पीएफ भी बढ़ेगा, इसको खारिज नहीं किया जा सकता है। प्रबंधन को चीफ लेबर कमिशनर ने कहा कि एमओयू का लीगल वैल्यू है।
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डिप्टी चीफ लेबर कमिशनर ने पूछा-ये नोशनल शब्द कहां से आया। श्रम मंत्रालय से भी बात की जा रही है। चेयरमैन और डायरेक्टर से बात करेंगे। यूनियन ने कहा-इस्पात मंत्रालय को पत्र किसने लिखा। प्रबंधन ने एमओयू के खिलाफ पत्र लिखा-यह आपराधिककृत है। डायरेक्टर फाइनेंस और डायरेक्टर पर्सनल ने कहा था कि 2000 करोड़ प्रॉफिट होगा तो हम एरियर देंगे। अब नोशनल की बात की जा रही है।
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श्रम विभाग की तरफ से कहा-एक जनवरी 2017 से वेतन समझौता लागू है। स्केल बन गया है तो आप इससे इन्कार नहीं कर सकते हैं। आप पर केस चल सकता है। डिप्टी चीफ लेबर कमिशनल और ज्वाइंट सेक्रेटरी स्टील से फोन पर बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन वार्ता नहीं हो सकी।