- डी टाइप के आवास की पात्रता मात्र से ही कर्मियों को संतोष करना पड़ रहा है।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल (SAIL) के बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारियों का दर्द कम नहीं हो रहा है। आवास आवंटन के नाम पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं। यह आरोप खुद बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant) के कर्मचारियों ने लगाया है। Suchnaji.com को डी टाइप आवास आवंटन की कहानी सुनाई है। बीएसएल (BSL) के कर्मियों की दर्द भरी इस कहानी को आप जस का तस पढ़ने जा रहे हैं। इसकी भावनाओं के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया गया है। शब्द भी कर्मियों के ही हैं।
कर्मी ने लिखते हैं-बोकारो प्रबंधन ने एक बहुत ही सराहनीय काम किया। जानते हैं क्या काम? सभी कर्मियों को डी टाइप आवास के लिए पात्र कर दिया। आपने बिल्कुल सही पढ़ा, सिर्फ पात्र किया…। डी टाइप के आवास की पात्रता मात्र से ही कर्मियों को संतोष करना पड़ रहा है।
अब सवाल ये है कि आखिर संतोष ही क्यों करना पड़ रहा? क्योंकि डी प्रकार के आवास की सूची तो उपलब्ध होती है,जिसके आधार पर आपको अपना विकल्प भरना होता है। इसमे या तो आवास की स्थिति जर्जर है या तो उक्त आवास में किसी ने कब्जा कर रखा है।
और ये बात आपको क्वार्टर आवंटन होने के बाद ही पता चल पाएगी, क्योंकि बीएसएल प्रबंधन आवंटन से पहले आपको सिर्फ क्वार्टर नंबर उपलब्ध करवा देती है, जिससे की आप क्वार्टर बंद ताले में पड़े होने के बाद भी बाहर की दीवार देख कर अनुमान लगा लें और विकल्प का चयन कर दें। प्रबंधन के द्वारा रचित जाल में आप फंस जाएंगे और वो घड़ी आ जाएगी जब आपको क्वार्टर आवंटित हो जाएगा।
अब असली कहानी शुरू होती है यहां से…। क्वार्टर जर्जर है या तो कब्जा में है। दोनों ही सूरत में कर्मचारी की गलती कुछ भी नहीं है। लेकिन सजा का प्रावधान सिर्फ और सिर्फ कर्मियों के लिए ही है,आखिर क्यों? क्या हमने आवासों को कब्जा या जर्जर किया? नहीं न, तो सजा कर्मचारी को क्यों?
बीएसएल प्रबंधन की पॉलिसी से भड़के कर्मचारी ने नगर सेवा विभाग को नरक सेवा भवन बोल दिया। खून चूसी विभाग (आवास आवंटन) के चक्कर लगाने होंगे। वहां से आपको सिर्फ आश्वासन रूपी चूरन दिया जाएगा। जल्द ही आपका आवास अनुरक्षण कर दिया जाएगा या कब्जा मुक्त कर दिया जाएगा। इसके बाद तारीख पर तारीख पड़ती रहेगी और जब आपका धैर्य साथ छोड़ना प्रारंभ करेगा तो इस समय नगर सेवा के कर्मचारि आपके द्वारा आपदा में देख अवसर तलाशेंगे और आपको सलाह देंगे कि आप उक्त क्वार्टर को छोड़े दें।
इतने पर चैन नहीं मिलने वाला तो आपको डिबार कर दिया जएगा। इसके बाद आप दौड़ते रहेंगे…। अपना डिबार हटवाने के लिए चक्कर लगाते रहेंगे। नगर सेवा विभाग में बैठे कर्मी आपने को ज्येष्ठ-श्रेष्ठ समझेंगे और आपको तुच्छ…।
इसे देखकर आप अपने किस्मत को कोसते हुए पुनः अपने घर आ जाते हैं तथा भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु, इस नर्क से छुटकारा कब मिलेगा? कर्मियों को इस प्रकार असहाय और दुर्बल किसने बनाया, यह प्रश्न स्वाभाविक हो जाता है ऐसे में? उत्तर पता नहीं? आखिर कब तक ऐसे ही चलता रहेगा? क्या डी प्रकार के आवास की कामना करना कोई जघन्य अपराध है? नहीं न, तो इतनी भारी सजा क्यों?