SAIL NEWS: इस्पात बिरादरी की रायशुमारी से ही सेल-विजन के प्रारूप का होगा निर्माण, SEFI, यूनियन भी साथ, बढ़ी तारीख

  • फॉर्म भरने की तिथि दो दिन के लिए बढ़ाई गई।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भारत के विश्व गुरु बनने की दिशा में एक और सशक्त कदम और मेक इन इंडिया के इस चुनौती भरे दौर में भारतीय उद्योगों को नई ऊर्जा, दृष्टि और सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए पुर्ननिर्माण और व्यावसायिक सोच के साथ आगे आना होगा। महारत्न कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) (Steel Authority of India Limited-SAIL) का कहना है कि विश्वगुरु बनने के इस परिवर्तनशील समय में कंपनी ने अपने विजन (दृष्टि पथ) के पुनः प्रारूप के निर्माण की दिशा में प्रयास प्रारम्भ किए हैं।

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कंपनी के नये विजन (दृष्टि पथ) के निर्माण के लिए सेल बिरादरी के सदस्यों की राय शूमारी और विचार एकत्र किया जा रहा है। यह तिथि दो दिन 7 दिसम्बर 2023 तक के लिए बढ़ा दी गई है।

भिलाई इस्पात संयंत्र में 18 नवंबर 2023 को एक समारोह में निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने इससे संबंधित एक साइट और प्रश्नावली का औपचारिक विमोचन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते उन्होंने कहा कि ‘एक नया विजन स्टेटमेंट हमारी आकांक्षा है। मैं सभी कर्मचारियों और हितधारकों से इस पहल में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह करता हूं।’

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उन्होंने कहा कि “हमारे लिए प्रत्येक की राय महत्वपूर्ण है, जिससे हम अपने विजन स्टेटमेंट को सामूहिक रूप से अपना सकें। हमें अपने दृष्टिकोण से कंपनी को नई दिशा, सोच और स्थायित्व की ओर प्रेरित कर सकें।”

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किसी भी संगठन का दृष्टिपथ (Vision Statement) संगठन के दीर्घकालिक लक्ष्यों की घोषणा है, जिसमें बताया जाता है कि वह संगठन क्या बनना चाहता है। यह किसी भी संगठन के लिए एक लक्ष्य के रूप में कार्य करता है।

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सेल अपने दृष्टिपथ को तैयार करने की प्रक्रिया में हैं और इसमें सभी कार्मिकों का विचार महत्वपूर्ण हैं। कार्मिकों के विचार और सुझाव प्राप्त करने के लिए एक द्विभाषी सर्वेक्षण प्रश्नावली एएससीआई हैदराबाद (Bilingual survey questionnaire, ASCI, Hyderabad) द्वारा डिजाइन किया गया है, जिसे ऑनलाइन भरा जा सकता है। इस ऑनलाइन प्रश्नावली का लिंक/क्यूआर कोड संयंत्र के होम पेज पर उपलब्ध हैं।

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आजादी के बाद देश के लिए इस्पात की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सोवियत संघ के सहयोग से भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant), जर्मनी के सहयोग से राउरकेला इस्पात संयंत्र (Rourkela Steel Plant) और ब्रिटिश सहयोग से बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना की 1959 की गई।

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लौह एवं इस्पात उद्योग से जुड़े कई संस्थानों और हिन्दुस्तान स्टील कंपनी को मिलाकर 4 फरवरी, 1972 में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ‘सेल’ (भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड) की स्थापना की गई। स्थापना के बाद 90 के दशक में निर्मित दृष्टि पथ, ध्येय पथ और लक्ष्य को बदलती वैश्विक व्यवसायिक परिस्थितियों में पुर्ननिर्माण किया जाना आवश्यक हो गया है।

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नए प्रारूप के निर्माण हेतु प्रश्नावली के माध्यम से सभी कार्मिकों को शामिल किया जा रहा है। देश की इस्पात निर्माता कंपनी ‘सेल’ के 50 वर्ष से अधिक समय पूरा होने पर अब कंपनी को नई दृष्टि, सोच और ऊर्जा की आवश्यकता है। इसलिए कंपनी ने यह पहल की है।

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कंपनी के इस उन्नतशील प्रयासों का अधिकारियों, कार्मिकों और सेल बिरादरी से जुड़े अन्य संगठनों ने स्वागत किया है। इस पर सेफी के चेयरमैन और आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री नरेंद्र बंछोर ने कहा कि बदलते परिवेश में सार्वजनिक संस्थाओं को कैसे आगे बढ़ना है और अपने लक्ष्य निर्धारित करना है, इसके लिए हमारी कंपनी सेल अपने प्रत्येक कर्मचारी की राय ले रही है।

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यह हम सभी के लिए एक सुअवसर है कि हम अपनी कंपनी को अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप बनाने में योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित के इस कार्य में इस्पात बिरादरी के प्रत्येक सदस्य को स्वयं आगे बढ़कर भाग लेना चाहिए। कंपनी उन्नति करेगी तो देश उन्नत होगा। कार्मिक भी आगे बढ़ेंगे।
इसी कड़ी में ‘बीएसपी वर्कर्स यूनियन’ के अध्यक्ष उज्वल दत्ता ने इसके संबंध में कहा कि यह अच्छी पहल है। कंपनी सबके विचार जानने का प्रयास कर रही हैं। मेरा कहना है कि सभी स्वतंत्र रुप से अपने विचार रखें। किसी के प्रभाव में नहीं।

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‘एटक’ के महासचिव विनोद कुमार सोनी ने इस पर कहा कि यह बहुत अच्छा प्रयास है। कार्मिकों को अपने विचार रखने का अवसर मिला है। एक तरह से यह महत्वपूर्ण विषय पर कार्मिकों की भागीदारी हैं। इस अवसर को गंवाना नहीं हैं। सेल के विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर भी इसी तरह से कार्मिकों के विचार लिया जाना चाहिए। इससे कंपनी, सरकार और व्यक्ति विशेष के हितों की रक्षा होगी।

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संयंत्र के स्टील मेल्टिंग शॉप-2 में कार्यरत संजीव सिंह ने कहा कि यह बहुत अच्छा प्रयास है। हम सभी को उसके उद्देश्य को समझना चाहिए। मिशन बिल्डिंग में हमारी क्या भागीदारी है। कंपनी ने ग्रासरूट लेबल के कार्मिकों के विचार जानने का प्रयास किया है, यह बहुत ही अच्छी कोशिश है।

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मैं सभी से आग्रह करता हूं कि इसके माध्यम से अपने विचार जरूर रखें। मर्चेंट और वायर रॉड मिल में कार्यरत सुमन पांडे ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि मैंने भरा है। सभी प्रश्न कंपनी को लेकर है और इसमें आम कार्मिकों की राय ली जा रही है। इसमें शत प्रतिशत भागीदारी होना चाहिए।

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