अधिशासी निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) बोकारो इस्पात संयंत्र को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए निर्देश दिया गया था।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने गलत तरीके से एक व्यक्ति को मान्यता प्राप्त यूनियन लीडर का लाभ देने पर बीएसएल प्रबंधन के विरुद्ध औद्योगिक परिवाद दायर किया है। इसको लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है।
इसके साथ वर्कर कमेटी तथा शिकायत निवारण कमेटी का गठन नहीं करने और अनुचित श्रम व्यवहार के खिलाफ भी वाद दायर किया गया है।
इसके पूर्व उक्त विषय पर संज्ञान लेकर अधिशासी निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) बोकारो इस्पात संयंत्र को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए निर्देश दिया गया था। परंतु आज तक यूनियन को उक्त शिकायत के संदर्भ मे कोई जानकारी नहीं दी गई है।
अभी भी बोकारो इस्पात संयंत्र में एक खास व्यक्ति को तथा बगैर निबंधित यूनियनों को कुछ कमेटी में जगह दी गई है। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 का सेक्शन 3 में वर्णित कई कमेटी का गठन ही नहीं किया गया है।
वहीं, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की पांचवीं अनूसुची के बिंदु संख्या 2 में वर्णित है कि कोई भी नियोक्ता किसी खास व्यक्ति या यूनियन को अनुचित लाभ नहीं पहुंचा सकता है। न ही उनको समर्थन कर सकता है।
यूनियन ने इंटक नेता के खिलाफ पढ़िए क्या कहा
बीएकेएस बोकारो के अध्यक्ष हरिओम का कहना है कि इसके बावजूद बोकारो इस्पात प्रबंधन और सेल कारपोरेट कार्यालय द्वारा बोकारो स्टील वर्कर यूनियन के एक गुट के तथाकथित महामंत्री बीरेंद्र नाथ चौबे को रिकॉगनाईजेशन का लाभ दिया जा रहा है।
तथाकथित इसलिए लिखा गया है, क्योकि बीएन चौबे के पास कोई अपना ट्रेड यूनियन नहीं है, क्योंकि झारखण्ड सरकार द्वारा बोकारो स्टील वर्कर यूनियन के महामंत्री के रूप में चंद्रशेखर दुबे को मान्यता दी गई है।
इसके बावजूद सेल कारपोरेट कार्यालय तथा बोकारो इस्पात प्रबंधन द्वारा 20.01.2024 को होटल रायल प्लाजा में एनजेसीएस मीटिंग में बोकारो इस्पात संयंत्र मे रिकॉगनाईज्ड यूनियन लीडर के रूप में बीरेंद्र नाथ चौबे को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
वहीं, खुले तौर अभी भी बोकारो इस्पात संयंत्र में पीएफ कमेटी और कैंटीन कमेटी में बीएन चौबे की तरफ से यूनियन प्रतिनिधियों का मनोयन किया जा रहा है। एटक, सीटू, एचएमएस तथा बीएमएस से सम्बद्ध यूनियनों का झारखण्ड सरकार ने निबंधन रद्द कर दिया है। फिर भी निबंधन रद्द वाली यूनियनों को कमेटी काउंसिल में जगह दिया गया है।
इसके साथ ही बोकारो इस्पात संयंत्र में गैरकार्यपालक कर्मियों की गठित विभिन्न कमेटी जैसे सुरक्षा कमेटी, विभागीय सुरक्षा कमेटी में झारखण्ड सरकार द्वारा निबंधन रद्द किए गए यूनियनों के प्रतिनिधियों को स्थान दिया गया है, जो कि घोर अनूचित श्रम व्यवहार की श्रेणी मे आता है।
वहीं, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 मे अनूचित श्रम व्यवहार के लिए छह माह सजा अथवा एक हजार रुपया जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान किया गया है।
बोकारो स्टील प्लांट में इन कमेटी का गठन ही नहीं हुआ
1 . वर्कर कमेटी
2 . मेडिकल कमेटी
3 . आवास आवंटन कमेटी
4 . शिकायत निवारण कमेटी
5 . कर्मचारी कल्याण कमेटी
बीएसएल प्रबंधन एकतरफा फैसले ले रहा
बीएकेएस बोकारो के अध्यक्ष हरिओम का कहना है कि यूनियन ने अपने पत्र में श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन कर रहे दोषी पदाधिकारियों पर कड़ा एक्शन लेने हेतु भी आवेदन दिया है। जब डीपीई मंत्री ने संसद में बताया है कि प्रबंधन में कार्मिकों के साथ बंटवारा करना है, फिर भी सभी निर्णय एकतरफा तरीके से बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन वर्षों से कर रहा है। यह पूरी तरह अनुचित श्रम व्यवहार है।