- सेफी ने पूर्व में केन्द्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुलाई 2023 में अनुरोध किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी इस्पात उपक्रमों का रणनीतिक विलय किया जाए।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। राष्ट्रहित में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के लिए स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी के अनुरोध का प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान ले लिया है।
सेफी के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के रणनीतिक विलय कर मेगा स्टील पीएसयू बनाने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 03.10.2023 को पत्र दिया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सेफी के इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के प्रस्ताव को संज्ञान में लिया गया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) से सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर (SEFI Chairman Narendra Kumar Banchhor) को प्रेषित पत्र (PMOPG/D/2023/0227347) में यह बताया गया है कि इस प्रस्ताव को सेल प्रबंधन को इस्पात मंत्रालय के माध्यम से भेजा गया था। सेल प्रबंधन ने इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के प्रस्ताव को केन्द्र शासन के नीतिगत विषय माना है।
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इसी कड़ी में सेफी ने पूर्व में केन्द्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुलाई 2023 में अनुरोध किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी इस्पात उपक्रमों का रणनीतिक विलय किया जाए। इस्पात मंत्रालय द्वारा सेफी को सूचित किया गया कि ऐसा प्रस्ताव वर्तमान में सरकार के विचाराधीन नहीं है।
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इस्पात मंत्रालय के अवर सचिव श्री एन एस वेंकटेश्वरन ने यह पत्र सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर को प्रेषित किया था। तदोपरांत सेफी ने इस विषय को प्रधानमंत्री के समक्ष रखा।
सार्वजनिक इस्पात क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।
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सेफी ने दिया है सुझाव
सेफी ने आग्रह किया कि विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है, जिसमें इन इकाईयों को विनिवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
सरकार के इस्पात नीति 2030 के तहत क्षमता विस्तार पर जोर
विदित हो कि भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार सेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न कंपनी को सरकार के इस्पात नीति 2030 के तहत क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है। इसके तहत सेल को विस्तारीकरण का बड़ा लक्ष्य दिया गया है। जिसके तहत एक लाख दस हजार करोड़ रूपये की राशि का निवेश वित्त वर्ष 2030-31 तक करने की योजना है।
सेफी का मानना है कि भविष्य में इस मद में की जाने वाली निवेश की राशि से आर.आई.एन.एल. एवं नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफ.एस.एन.एल. जैसी इकाईयों का रणनीतिक विलय कर जहां सेल के विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है।
वहीं, इन कंपनियों के कार्मिकों के हितों की रक्षा तथा क्षेत्र के सामाजिक दायित्वों का निवर्हन को भी प्राथमिकता देते हुए इसका बेहतर संचालन किया जा सकता है। इन राष्ट्रीय संपत्तियों को बिकने से बचाया जा सकेगा जिससे इन इकाईयों से जुड़े परिवारों, समाजों को प्राप्त प्रत्यक्ष रोजगार तथा इससे सृजित अपरोक्ष रोजगार को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
सरकार का यह कदम जहां क्षेत्र के विकास को एक नई गति देगा वहीं बस्तर जैसे दुर्गम वनांचल क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक एवं अधोसंरचना विकास को नई दिशा देने में सफल हो सकेगी। वर्तमान में भारत सरकार ने राष्ट्रीय एवं सामाजिक विकास को पहली प्राथमिकता दी है अतः इस संदर्भ में इसतरह की रणनीतिक विलय से एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का उदय होगा जो भारत सरकार के विकास की रणनीति को सफल बनाने में योगदान देगा।
इस संदर्भ में ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा इस तरह के रणनीतिक विलय बैंको में किया गया जहां इसका बेहतर परिणाम प्राप्त हुआ है।
नगरनार स्टील प्लांट (Nagarnar Steel Plant) का भी जिक्र
NMDC
के बस्तर में स्थापित नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) लगभग 24000 करोड़ रूपये की लागत से तैयार किया गया है। इसके पास लौह अयस्क प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। परंतु इसे चलाने के लिए मात्र 200 अधिकारी एवं 1000 कर्मचारी उपलब्ध है जो कि अपर्याप्त है।
इस संयंत्र के प्रचालन हेतु वर्तमान में मेकॉन को जिम्मेदारी दी गयी है, मेकॉन को इस्पात संयंत्र प्रचालन का कोई पूर्व अनुभव नहीं है। इन परिस्थितियों में इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है। अतः आरआईएनएल, नगरनार इस्पात संयंत्र एवं सेल के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा।
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वहीं, दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार इस्पात मंत्रालय के अधीन ये सार्वजनिक उपक्रम एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी जो भारत सरकार को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।
आरआइएनएल और एफएसएनएल की भी फिक्र
राष्ट्रहित में लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) तथा एफएसएनएल को बेचने के बजाए इनका रणनीतिक विलय महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सेफी अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि प्रस्तावित संयंत्र एक दूसरे के अनुपूरक बन सकते हैं। इस्पात मंत्रालय को सेफी के रणनीतिक विलय के सुझाव पर विचार करना चाहिए। यदि सेल, आर.आई.एन.एल. व नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को एक मेगा कंपनी बनाया जाता है, तो इस मेगा कंपनी के पास उन्नत इस्पात संयंत्र तथा प्रचुर मात्रा में आयरन अयस्क और निर्यात हेतु स्वयं का पोर्ट उपलब्ध रहेगा।
इससे यह राष्ट्र के लिए अत्यंत ही लाभकारी होगा। अतः राष्ट्रहित में केन्द्र शासन को सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों का निजीकरण के स्थान पर इसके पुर्नगठन व रणनीतिक विलय कर इसका सुनियोजित संचालन हेतु प्रयास किया जाना चाहिए।
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