ओडिशा की मूल निवासी सोमा मंडल के पास मेटल इंडस्ट्री का 35 वर्षों से ज्यादा का अनुभव।
अज़मत अली, भिलाई। एशिया की शक्तिशाली महिलाओं में शामिल सोमा मंडल अब स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority Of India Limited) की पूर्व चेयरमैन हो गई हैं। SAIL Chairman Soma Mandal का कार्यकाल रविवार शाम को समाप्त हो गया है। सेल का साथ छूटने से पहले ही लोक उद्यम चयन बोर्ड यानी Public Enterprises Selection Board (PESB) से रिश्ता बन गया है। नई जिम्मेदारी पीईएसबी में संभालेंगी। फिलहाल, कुछ समय परिवार के साथ गुजारेंगी। इसके बाद नए सफर पर रवाना हो जाएंगी।
फोर्ब्स (Forbes) की लिस्ट में शामिल सोमा मंडल ने सेल के इतिहास में पहली महिला चेयरमैन बनने का खिताब भी अपने नाम ही किया है। इन्हीं के कार्यकाल में सेल इतिहास रचा और पहली बार एक लाख करोड़ से ज्यादा का कैश कलेक्शन किया। हर परिस्थिति से सामना किया। बहादुरी की भी दाद दी जाती है।
सोमा मंडल भिलाई स्टील प्लांट के दौरे पर पिछले साल पहुंची थी तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र रावघाट तक जाने के लिए कारवां रवाना हो गया था। नक्सलियों के मूवमेंट की वजह से खदान क्षेत्र में कदम नहीं रख पाई थीं। फोर्स ने सुरक्षा कारणों से रोक दिया था। लेकिन अंतागढ़ रेलवे साइडिंग तक पहुंची और सेल के रावघाट प्रोजेक्ट का जायजा लिया था।
बता दें कि फोर्ब्स एशिया ने 20 एशियाई महिला उद्यमियों की सूची जारी की थी, जिन्होंने अपनी अलग रणनीति की बदौलत बीते तीन वर्षों में कोरोना जैसी चुनौतियों के बावजूद अपने व्यवसायों को ऊंचाई पर पहुंचाया है।
एनआइटी राउरकेला से की इंजीनियरिंग
सोमा मंडल का जन्म और पालन-पोषण भुवनेश्वर के एक ओडिया मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता एक कृषि अर्थशास्त्री थे। उन्होंने 1984 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला (National Institute of Technology, Rourkela) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।
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Metal Industry में 35 साल से ज्यादा का अनुभव
पूर्व चेयरमैन सोमा मंडल को धातु उद्योग (Metal Industry) में 35 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने नाल्को (NALCO) में एक ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी के रूप में अपना करियर शुरू किया और वर्ष 2014 में नाल्को में निदेशक (वाणिज्यिक) का पद संभाला। इसके बाद स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल में मार्च 2017 में निदेशक (वाणिज्यिक) के रूप में शामिल हुईं। पूर्व चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी के रिटायर होने के बाद एक जनवरी 2021 को सेल चेयरमैन का कार्यभार संभाला। उन्हें केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था, स्टैंडिंग कांफ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज (SCOPE) की चेयरपर्सन के रूप में चुना गया।
वेतन समझौता, एरियर, ट्रांसफर पर रहीं मौन
सोमा मंडल के कार्यकाल को स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया सेफी के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर सफल बता रहे हैं। उपलब्धियां गिना रहे हैं। वहीं, कर्मचारी वर्ग की बात करें तो मायूस करने वाले बयान सामने आ रहे हैं। श्रमिक नेता हों या आम कर्मचारी आधा-अधूरा वेतन समझौता, बकाया 39 माह का एरियर और कर्मचारियों के ट्रांसफर के विषय पर बतौर चेयरमैन सोमा मंडल कभी भी खुलकर नहीं बोलीं।
प्लांट के मुखिया डायरेक्टर इंचार्ज और कारपोरेट आफिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर विश्वास करती रहीं। इसलिए जब भी इन विषयों पर सोमा मंडल से सवाल होता तो जवाब डायरेक्टर इंचार्ज आदि देते…। बीएसपी में ट्रांसफर का मुद्दा उठाने पर डायरेक्टर इंचार्ज अनिर्बान दासगुप्ता ने चेयरमैन को मिले सवाल का जवाब देते हुए कहा था, किसी के ट्रांसफर को सजा न समझा जाए….।
बिजनेस की रणनीति रही कारगर
सोमा मंडल 2017 में भारत की सबसे बड़ी स्टील उत्पादन कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) में बतौर निदेशक (Director) के रूप में शामिल हुईं। कंपनी में शामिल होने के बाद उन्होंने SAIL में वर्ष 2017 से ही कंपनी के लिए व्यापक टर्नअराउंड रोडमैप तैयार किया और मार्केटिंग स्ट्रेटजी के कार्यान्वयन का नेतृत्व किया। जिसका नतीजा यह हुआ कि SAIL ने अपनी बिक्री में वृद्धि देखी और इसके साथ-साथ सेल्स और बाजार का दायरा लगातार बढ़ता चला गया। एक साल के अंदर कंपनी की बाजार में पहुंच व्यापक हो गई। जब छत्तीसगढ़ आईं तो सीएम भूपेश बघेल, राउरकेला गईं तो सीएम नवीन पटनायक और बोकारो पहुंची तो हेमंत सोरेन से मुलाकात की।
कंपनी ने 2017-18 से 2019-20 तक तीन वित्तीय वर्षों मे लगातार सर्वश्रेष्ठ बिक्री हासिल की। इतना ही नहीं, COVID-19 के दौरान उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद बेहतर रिजल्ट दिए। उत्पादों के ब्रांडिंग प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए, उन्होंने नए ब्रांड लॉन्च करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नए विदेशी ग्राहकों से बेहतर रिश्ते बने।