अज़मत अली, भिलाई। एनडीए सरकार तीसरी बार बन चुकी है। पीएम मोदी ने लगातार तीन बार शपथ लेने के बाद अब मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंप दी है। राष्ट्र निर्माण में मजबूत भूमिका निभाने वाले इस्पात मंत्रालय की कमान एचडी कुमार स्वामी संभालेंगे। इनके साथ आंध्र प्रदेश के बीजेपी नेता भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा इस्पात राज्यमंत्री के रूप में रहेंगे।
इस्पात मंत्रालय की कुर्सी इतनी आसान नहीं होगी, क्योंकि स्टील प्लांट के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई भी चल रही है। पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के सेलम, अलॉय स्टील प्लांट और विश्वेश्वरैया स्टील प्लांट को बेचने का फैसला कर लिया था। इस बात की जानकारी खुद तत्कालीन इस्पात राज्यमंत्री एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने लोकसभा में दी थी।
इसके बाद सरकार ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्टील प्लांट को बेचने का फैसला लिया। साथ ही एनएमडीसी नगरनार स्टील प्लांट पर भी आफत आई। फिलहाल, प्लांट को बचाने के लिए ट्रेड यूनियनों की ओर से आंदोलन जारी है। नए इस्पात मंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन सभी स्टील प्लांट को निजी हाथों में जाने से रोकने और इन्हें आत्मनिर्भर करना है।
क्या वास्तव में नए इस्पात मंत्री और राज्य मंत्री ऐसा कुछ कर पाएंगे या बाकी मंत्रियों की तरह कामकाज करते रहेंगे। देश में 2014 से मोदी सरकार है। इनके कार्यकाल में इस्पात मंत्री के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर, चौधरी बीरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, आरसीपी सिंह, ज्योतिरादित्यय सिंधिया के बाद एचडी कुमार स्वामी कार्य करने जा रहे हैं। विष्णु देव साय और फग्गन सिंह कुलस्ते रहे। फग्गन सिंह कुलस्ते को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।
स्टील प्लांट को बचाने के लिए चंद्राबाबू नायडू ने कहां किया था वादा
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (Rashtriya Ispat Nigam) विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजीकरण के खिलाफ पिछले 3 साल से आंदोलन चल रहा है। आरआइएनएल की मान्यता प्राप्त यूनियन एटक के एडिशनल जनरल सेक्रेटरी जे.रामाकृष्णा ने सूचनाजी.कॉम को बताया लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समय चंद्रबाबू नायडू ने वादा किया था कि प्लांट को बचाएंगे।
इसको बिकने नहीं देंगे। प्लांट को सेल में मर्ज कराएंगे। मर्ज करने से आरआइएनएल को जीवनदान मिल जाएगा। सेल के पास खुद की आयरन ओर माइंस है, जबकि आरआइएनएल को एनएमडीसी पर निर्भर रहना पड़ता है। लागत अधिक होने से नुकसान होता है।
चंद्रबाबू नायडू ने विशाखापट्टम लोकसभा सीट, विधानसभा क्षेत्र गाजुवाका में रैली को संबोधित करते हुए वादा किया था। चंद्र बाबू नायडू से आरआइएनएल के यूनियन नेताओं ने मुलाकात की थी। सबके सामने उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार बनने पर सेल में आरआइएनएल को मर्ज कराएंगे। तेलुगूदेशम पार्टी से ही एम श्रीभरत सांसद हैं और विधायक पल्ला श्रीनिवास राव हैं। ये दोनों भारी बहुमत से जीते हैं।
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स्टील सेक्टर को बढ़ाना, सेल के प्रोजेक्ट को तेजी से कराना…
नए इस्पात मंत्री पर सेल कर्मचारियों की नजर टिक गई है। कर्नाटक से एचडी कुमार स्वामी आते हैं। सेल का विश्वेश्वरैया स्टील प्लांट भी कर्नाटक में है। इस प्लांट को बचाने के लिए वह क्या कर पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। इधर-सेल के एक्सपांशन प्रोजेक्ट को समय पर कराना भी चुनौती होगा।
पिछला प्रोजेक्ट लेट हुआ था। कंपनी पर 9 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार हुआ। कंपनी नुकसान में गई। 52 हजार करोड़ का कर्ज हुआ था। वहीं, सेल का वेज एग्रीमेंट 2017 से आधा-अधूरा है। ठेका मजदूरों का शोषण हो रहा है।
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