- सीटू नेता बोले-आज अडानी समूह गंगावरम बंदरगाह का स्वामित्व और संचालन करता है, जो कि आरआईएनएल के स्वामित्व में माना जाता था।
सूचनाजी न्यूज, राउरकेला। विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर चल रही कवायद पर बड़ी खबर आ रही है। राउरकेला में स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए गए, जिस पर चर्चा कर सर्वसम्मति से पारित किया गया।
विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का निजीकरण का विरोध करने का फैसला लिया गया है। सीटू का मानना है कि मौजूदा केंद्र सरकार सार्वजनिक उद्योगों को खत्म कर उसे औने पौने दाम पर अपने निजी कॉर्पोरेट मित्रों को सौंपना चाहती है। इसके खिलाफ पूरे देश में संघर्ष को तेज करना होगा। सम्मेलन के दौरान उपस्थित प्रतिनिधियों एवं राउरकेला के कार्मिक साथियों ने सड़क पर प्रदर्शन भी किया।
वायजाग स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध करें
सीटू नेताओं ने कहा-1982 में आंध्र प्रदेश की जनता की इच्छा से परिलक्षित और स्थापित यह अनोखा तटीय इस्पात संयंत्र निजीकरण के कई प्रयासों के बावजूद कई चुनौतियों का सामना कर चुका है। इस संयंत्र की स्थापना के लिए 32 शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इस संयंत्र की भूमि 22,000 एकड़ है।

गंगावरम समुद्र तट का जिक्र भी
इन तमाम बाधाओं के बावजूद उत्पादन शुरू हुआ और “विशाखा उक्कू” आगे बढ़ रहा था। लेकिन केंद्र सरकार, एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) के इशारे पर, 1994 से धीरे-धीरे आरआईएनएल का निजीकरण करने की योजना बना रहा था।
सीटू ने निजीकरण के खिलाफ आम लोगों और पूरे इस्पात उद्योग के मज़दूरों को संगठित किया। स्वतंत्रता सेनानी विशाखा उक्कू जैसी राष्ट्रीय संपत्ति को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए गंगावरम समुद्र तट पर गए थे।
गंगावरम बंदरगाह के बाद अब विशाखापत्तनम स्टील प्लांट को सौंपना चाहती है अडानी समूह को
सीटू के केंद्रीय नेताओं ने कहा-आज अडानी समूह गंगावरम बंदरगाह का स्वामित्व और संचालन करता है, जो कि आरआईएनएल के स्वामित्व में माना जाता था। भाजपा सरकार की नीति ने आरआईएनएल को निजी बंदरगाह का उपयोग करने के लिए अडानी को पर्याप्त शुल्क देने के लिए मजबूर किया है।
प्लांट ने ना केवल लाभ कमाया बल्कि यूपीए शासन में 2004 तक अपना पूरा ऋण चुका दिया। समय के साथ वीएसपी ने राज्य और केंद्र दोनों के खजाने में करों और लाभांश के रूप में 42,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है।
देश के आठ प्रमुख उद्योगों में से एक है स्टील उद्योग
सम्मेलन में सीटू भिलाई अध्यक्ष विजय जांगडे ने कहा-मौजूदा केंद्र सरकार अपने मित्र गौतम अडानी को विशाखापट्टनम स्टील प्लांट सौपना चाहता है। वायजाग स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले का राज्य भर में जोरदार विरोध हुआ, जिसमें सभी वर्गों के लोग, ट्रेड यूनियन, राजनीतिक दल, धार्मिक और वाणिज्यिक निकाय और सामाजिक और सांस्कृतिक मंच के सभी संगठन शामिल थे।

स्टील उद्योग भारत के आठ प्रमुख उद्योगों में से एक है। यह महत्वपूर्ण है कि वायजाग स्टील प्लांट, जो भारत का सबसे बड़ा एकल-स्थान, तटीय स्टील उत्पादक बनने की राह पर है, जनता के हाथों में रहे।
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सरकार के सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण के खिलाफ जारी है संघर्ष
सरकार के निजीकरण के कदम का प्रतिकार करने के लिए, संयंत्र में कार्यरत सभी ट्रेड यूनियनों और संघों ने “उक्कू परिरक्षक संघर्ष समिति” के नाम से एक संयुक्त संघर्ष मंच का गठन किया और 100% निजीकरण के सरकारी फैसले का सामना करने के लिए विभिन्न आंदोलन कार्यक्रम किए गए।
बड़े पैमाने पर गेट मीटिंग, निरंतर क्रमिक भूख हड़ताल, स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रमों का बहिष्कार, 15000 श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को शामिल करने वाली सामूहिक बैठक और भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने पूरे राज्य में विरोध की लहरें पैदा कीं।
सीटू भिलाई महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा-एसडब्ल्यूएफआई का 10 वां अखिल भारतीय सम्मेलन अपनी सभी इकाइयों से “विशाखा उक्कू” को बचाने के संघर्ष को और तेज करने का आह्वान किया।













