Suchnaji

Tax Regime: SAIL कर्मचारियों-अधिकारियों को फायदा कम नुकसान ज्यादा, CA ने दिए जवाब

Tax Regime: SAIL कर्मचारियों-अधिकारियों को फायदा कम नुकसान ज्यादा, CA ने दिए जवाब
  • कर्मचारियों-अधिकारियों को पुरानी कर व्यवस्था में फायदा ही फायदा, नए में कोई छूट का प्रावधान नहीं।

अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) के कर्मचारियों और अधिकारियों को न्यू और Old Tax Regime में से किसी एक का चयन करना है। इसी आधार पर कर गणना (Tax Calculation) की जाएगी। इसे लेकर कर्मचारियों की तरफ से तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। Suchnaji.com में प्रमुखता से खबर प्रसारित होते ही बीएसपी की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू सक्रिय हो गई। सीटू प्रतिनिधियों ने चार्टर्ड अकाउंटेंट्स से बात करने के बाद कहा इनकम टैक्स रिटर्न भरने को लेकर कर्मी न घबराए।

AD DESCRIPTION

ये खबर भी पढ़ें: Bokaro Steel plant: कर्मचारियों-अधिकारियों ने किया कंपनी का नाम, भावी SAIL चेयरमैन के हाथों मिला इनाम

टैक्स का लाभ लेने के लिए Tax Regime का Declaration देना है। अगर, Tax Regime का Declaration नहीं देते हैं तो खुद-ब-खुद नई कर व्यवस्था के दायरे में आपको मान लिया जाएगा।
सीटू (CITU) के प्रतिनिधि डीवीएस रेड्डी एवं अशोक खातरकर चार्टर्ड अकाउंटेंट विजय कुमार से बात करने के बाद कर्मियों से कहा कि इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय घबराने की आवश्यकता नहीं है।

ये खबर भी पढ़ें:  SAIL, NMDC अधिकारियों का लाखों का मामला: DASA, PRP, बकाया पर्क्स, HRA, एरियर, लीज नियमतीकरण और 30% सुपरएनुएशन बेनिफिट पर SEFI-BSP OA ने स्टील सेक्रेटरी को सौंपी फेहरिस्त

यदि आप इनकम टैक्स पोर्टल में जाकर खुद ऑपरेट करके इनकम टैक्स भर सकते हैं तो नए अथवा पुरानी इनकम टैक्स रिज्यूम अर्थात कर व्यवस्था में अपनी गणना करने के पश्चात किस व्यवस्था में इनकम टैक्स देना है। यहां आप चुन सकते हैं। अन्यथा किसी जानकार अथवा चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास जाकर अपना आयकर रिटर्न भरवा सकते हैं। हालांकि दो-दो व्यवस्थाएं सामने रहने पर घबराहट होना स्वाभाविक है। किंतु इन व्यवस्थाओं को बारीकी से पढ़ने की आवश्यकता है, जिससे आप खुद ब खुद तय कर पाएंगे कि आपको कौन सी व्यवस्था में आयकर रिटर्न भरना है।

ये खबर भी पढ़ें:  सुकृति लिखी होंगी SAIL की कार्यवाहक चेयरमैन, आदेश आने तक स्टील सेक्रेटरी एनएन सिन्हा देख रहे कामकाज

वेतन भोगी कर्मी हर साल चुन सकते हैं नई या पुरानी कर व्यवस्था

सीटू प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट विजय कुमार ने कहा व्यापारी वर्ग के लिए यह बाध्यता है कि वहां एक बार यदि नई व्यवस्था में आयकर रिटर्न भरने के लिए चुनाव करते हैं तो वे पुराने व्यवस्था में वापस नहीं जा सकते। किंतु वहीं पर आयकर देने वाले वेतन भोगी कर्मी हर साल यह तय कर सकते हैं कि उन्हें इस साल नए अथवा पुराने किस व्यवस्था से आयकर रिटर्न भरना है।

अर्थात कोई कर्मी इस वर्ष नई व्यवस्था में यदि आयकर भरता है एवं अगले साल महसूस करता है कि वह पुरानी व्यवस्था में आयकर भरने से ज्यादा फायदे में रहेगा तो वह नई व्यवस्था से पुरानी व्यवस्था में जा सकता है। वहीं, उसके अगले साल उसे महसूस होता है कि नई व्यवस्था में आयकर भरना ज्यादा फायदेमंद है तो वहां फिर नई व्यवस्था में आकर आयकर रिटर्न भर सकता है। इस तरह वह हर साल आयकर रिटर्न भरने के लिए व्यवस्था चुन सकता है। वही यह चुनाव करने की व्यवस्था व्यापारी वर्ग के लिए नहीं है।

ये खबर भी पढ़ें:  Rourkela Steel Plant में तेज रफ्तार गाड़ियों पर नकेल कसेगा रेड लाइट वॉयलेशन डिटेक्शन सिस्टम, अब नहीं बचेंगे कर्मचारी-अधिकारी


क्या है पुरानी टैक्स पद्धति

पुरानी टैक्स पद्धति में 2.5 लाख तक कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है। 2.5 लाख से 3 लाख तक 5%, 3 लाख से 10 लाख तक 20%, एवं 10 लाख से ऊपर 30% इनकम टैक्स लगता है। इस पद्धति में 80सी के तहत सीपीएफ, वीपीएफ, पीपीएफ, एजुकेशन फीस जैसे विभिन्न मदो पर 1.5 लाख तक की छूट मिलती है। हाउसिंग लोन के ब्याज पर अधिकतम दो लाख तक सीधा ग्रास से घटाने की छूट, 80जी के तहत दिए गए डोनेशन को सीधा ग्रास से घटाने की छूट, एचआरए एलटीए पर छूट, मेडिकल प्रीमियम पर 25000 तक सीधा ग्रास से घटाने की छूट, एजुकेशन लोन के ब्याज को सीधा ग्रास से घटाने की छूट प्राप्त है, जिसका कर्मी भरपूर लाभ लेते हैं।

ये खबर भी पढ़ें:  SAIL कर्मचारी-अधिकारी दें ध्यान, वरना लाखों का नुकसान, CPRS पर दीजिए Tax Regime का Declaration

क्या है नई टैक्स पद्धति

नई टैक्स पद्धति के तहत 3 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगता है। 3 लाख से 6 लाख तक 5%, 6 लाख से 9 लाख तक 10%, 9 लाख से 12 लाख तक 15%, 12 लाख से 15 लाख तक 20% एवं 15 लाख से ऊपर 30% इनकम टैक्स लगता है। इस नए पद्धति में कोई छूट का प्रावधान नहीं है। केवल सरकार द्वारा घोषित 50000 स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया गया है।

ये खबर भी पढ़ें:   तबीयत से विरोध करके देखिए जनाब, SAIL में लड्‌डू नहीं, मिलती है दीवार घड़ी

एक बात नहीं है आयकर कटवाना एवं आयकर रिटर्न भरना

सीटू नेता ने कहा कि हर साल आयकर कटता है। किंतु हमें वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद आयकर रिटर्न भरना पड़ता है। प्रबंधन फिलहाल यह पूछ रहा है कि आप नई व्यवस्था के तहत आयकर कटवाना चाहते हैं या पुरानी व्यवस्था के तहत आयकर कटवाना चाहते हैं। तय करके बता दें। लेकिन वास्तविकता यह है कि आप किसी भी पद्धति से आयकर कटवाएं आप रिटर्न भरते समय जिस पद्धति को चुनेंगे उसी के तहत आपका रिटर्न भरा सकते हैं। उस पद्धति के अनुसार निर्धारित होने वाले टैक्स आयकर विभाग में जमा होगा बाकी पैसा आप रिफंड ले सकेंगे।