स्टील प्रोडक्शन में कोकिंग कोल पर लोकसभा में उठा मुद्दा, सरकार का ये जवाब

The issue of coking coal in steel production was raised in Lok Sabha, this is the government's answer
इस्पात क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए रणनीति, कार्य योजना और रोडमैप तैयार किया गया है।
  • स्वदेशी कोकिंग कोल के उपयोग को बढ़ाने, ऊर्जा दक्षता में सुधार और स्टील क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी पर फोकस।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। स्टील प्रोडक्शन (Steel Production) में कोकिंग कोल के इस्तेमाल पर लोकसभा में सवाल पूछा गया। एक सांसद ने इस्पात मंत्री से प्रश्न पूछा। इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने लिखित उत्तर दिया।

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इस्पात राज्य मंत्री ने कहा-स्टील एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है, इसलिए स्टील संयंत्रों में तकनीकी प्रगति के बारे में निर्णय स्टील कंपनियों द्वारा तकनीकी-वाणिज्यिक विचारों और बाजार की गतिशीलता के आधार पर लिए जाते हैं।

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स्वदेशी कोकिंग कोल के उपयोग को बढ़ाने, ऊर्जा दक्षता में सुधार और स्टील क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी (डीकार्बानाइजेशन) लाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं।

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कोयला कंपनियां और स्टील उद्योग कोयले की राख की मात्रा को कम करने और इसे स्टील उद्योग में उपयोग के लिए अनुकूल बनाने के लिए घरेलू कोयला धुलाई क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। स्टील प्लांट में स्टैम्प चार्ज्ड कोक ओवन बैटरी का भी उपयोग किया जा रहा है जिससे घरेलू कोकिंग कोल का उपयोग बढ़ेगा।

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इस्पात मंत्रालय ने वर्ष 2024 में “भारत में इस्पात क्षेत्र को हरित बनाना: रोडमैप और कार्य योजना” शीर्षक से एक व्यापक रिपोर्ट जारी की, जिसमें इस्पात क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन के लिए विभिन्न तरीकों पर चर्चा की गई है। इस्पात क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए रणनीति, कार्य योजना और रोडमैप तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट इस्पात मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

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