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जुमा-जुमा 4 दिन भी नहीं हुआ इस्पात मंत्री बने, HD Kumar Swamy के पास पहुंचा SAIL के 47 हजार कर्मचारियों का दुखड़ा

जुमा-जुमा 4 दिन भी नहीं हुआ इस्पात मंत्री बने, HD Kumar Swamy के पास पहुंचा SAIL के 47 हजार कर्मचारियों का दुखड़ा
  • दुर्ग, आसनसोल, दुर्गापुर, ओडिशा, झारखंड के सांसदों के पास भी शिकायती पत्र भेजा गया। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी ने लिखी चिट्ठी।
  • बीएकेएस बोकारो ने कहा-सेल कर्मचारियों के साथ सेल प्रबंधन द्वारा किए जा रहे भेदभाव पर संज्ञान लें इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। जुमा-जुमा 4 दिन भी नहीं हुआ…इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी को पदभार संभाले। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल की बुराइयां मंत्रीजी के पास पहुंचनी शुरू हो गई। कोई एक्स पर पोस्ट कर रहा तो कोई कर्नाटक के सांसदों के जरिए सेल की पोल खोल अभियान में लगा हुआ है।

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बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने बोकारो इस्पात संयंत्र सहित सेल की सभी यूनिटों में सेल कर्मियों का साथ भेदभाव किए जाने पर केंद्रीय इस्पात मंत्री को शिकायत पत्र भेजा है। उक्त पत्र की प्रतिलिपि केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री, धनबाद (बोकारो, चासनाला कोलियरी), दुर्ग, सुंदरगढ़ (राउरकेला), आसनसोल, वर्द्यमान/दुर्गापुर, सिंहभूम (किरुबूरु/मेघाताबूरु/चिड़िया/गुआ), सेलम, शिवमग्गा, विशाखापत्तनम से नवनिर्वाचित सांसदों को भी पत्र भेजा है।

बीएकेएस बोकारो महासचिव दिलीप कुमार का कहना है कि हमारी यूनियन ने बोकारो इस्पात संयंत्र सहित सेल के गैर कार्यपालक कर्मचारियों के साथ किए जा रहे शोषण और भेदभाव पर संज्ञान लेने की मांग अपने पत्र में किया है ।

– सेल प्लांट और खदानों के 47 हजार कर्मचारियों का जिक्र

सेल की पांच प्रमुख यूनिट, बोकारो (झारखण्ड), भिलाई (छत्तीसगढ़), राउरकेला (ओड़िसा), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) एकीकृत इस्पात संयंत्र वाला यूनिट है। इसके अतिरिक्त वीआईएसएल भद्रावती (कर्नाटक), एसएसपी सेलम (तमिलनाडू) , सीएफपी चँद्रपुर (महाराष्ट्र) तथा एएसपी दुर्गापुर में स्पेशल स्टील बनाने की इकाई है।
इसके अलावा झारखण्ड, ओडिशा तथा छत्तीसगढ़ राज्य स्थित आयरन ओर माइंस, कोयला खदान, राँची कार्यालय, सीएमओ कार्यालय, दिल्ली कारपोरेट कार्यालय भी संचालित है। उपरोक्त सभी यूनिट मे लगभग 47000 गैर कार्यपालक कर्मचारी कार्यरत है।

– एनजेसीएस पर फिर चला तीर

स्टील पीएसयू में कार्यरत गैर कार्यपालक कर्मचारियों के मामलों का निपटारा करने का लिए एनजेसीएस का गठन किया गया है। जिसमे शामिल 25 यूनियन नेताओं में से 20 नेता गैर निर्वाचित तथा वर्षों से कर्मचारी प्रतिनिधि बने हुए हैं।

इन यूनियन नेताओं को प्रभावित कर सेल प्रबंधन द्वारा, गैर कार्यपालक कर्मचारियों के मुद्दों को कई दशक से अटकाया जा रहा है, जो कि निम्नलिखित बिंदुओ का अध्ययन कर समझा जा सकता है।

जानिए सेल कर्मचारियों की तकलीफ क्या है…

अधूरा वेज रीविजन

21-22 अक्टूबर 2021 को एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन कर तथा गैर निर्वाचित नेताओ की सहायता से वेज रीविजन का सिर्फ एमओयू किया गया। सेल के इतिहास में पहली बार बगैर एमओए किए ही वेतन समझौता को प्रभावी बना दिया गया।

जिसके कारण सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियां को, सेल अधिकारी वर्ग तथा अन्य महारत्न कंपनियों की तुलना में 2% कम मिनिमम गारंटी (MGB) बेनिफिट तथा 8.5% कम Perks पर तथाकथित समझौता का दिखावा कर भुगतान किया जा रहा है। इसके कारण प्रत्येक सेल कर्मचारी को प्रति माह कई हजार रुपया वेतन कम बन रहा है।

एरियर का भुगतान नहीं

सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियो का 39 माह का फिटमेंट एरियर तथा 58 माह का पर्क्स एरियर का भुगतान अभी तक नही किया गया है ।

एडवांस और छात्रवृत्ति

Non Statutory Benefit को न तो रिवाईज्ड तथा न ही बंद सुविधाओं को शुरू किया जाना। आवास लोन तथा वाहन लोन को 2012 से बंद किया गया है तथा फेस्टिवल एडवांस एवं छात्रवृत्ति भुगतान को 2009 से संशोधित नहीं किया गया है।

– अधिकारियों के मुकाबले सुविधा देने में भेदभाव

सेल अधिकारी वर्ग को पदनाम तथा पे स्केल अपग्रेडेशन मे महारत्न स्टेटस के अनुसार एक ग्रेड अधिक का लाभ दिया जा रहा है, जबकि गैर कार्यपालक कर्मचारियों को अभी पुराने नियम के अनुसार ही सुविधा दी जा रही है।

सेल अधिकारी वर्ग को फर्नीचर एडवांस, लैपटॉप एडवांस, मोबाइल, मोबाइल सीम तथा रिचार्ज की सुविधा दी जा रही है। परंतु कर्मचारी वर्ग को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है।

वहीं, सेल अधिकारी वर्ग को कंपनी को हुए कर पूर्व लाभ का 5% Performance Related Pay (PRP) के रूप में वार्षिक लाभ दिया जाता है, जबकि कर्मचारी वर्ग को बाहरी तथा गैर निर्वाचित नेताओं को प्रभावित कर 22-23000 रुपया एक्सग्रेसिया के रूप में भुगतान कर कोरम पूरा किया जा रहा है।

– सुरक्षित कार्यप्रणाली का अभाव

सेल के स्टील प्लांट में प्रत्येक वर्ष कई कार्मिक (ठेका मजदूर सहित) कार्यस्थल पर हुए दुर्घटना से मृत्यु के शिकार हो रहे है। स्थाई अपंगता से भी पीड़ित हो रहे है। वार्षिक दुर्घटना रिपोर्ट के अध्ययन कर जाना जा सकता है। सुरक्षा पर करोड़ों रुपया खर्च होने के बावजूद, लगातार दुर्घटना होना तथा मैनपावर में हानी होना, कहीं न कहीं सिस्टम में गंभीर खाँमियों को प्रदर्शित कर रहा है।

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