- ओपीएस संपूर्ण पेंशन देयता नियोक्ता द्वारा उत्पन्न की जाती है, जहां ईपीएस में नियोक्ता देयता नियमों के अनुसार ईपीएस में योगदान देने तक सीमित है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। OPS और EPS की अवधारणा एक ही है, क्योंकि EPS पेंशन फार्मूला (EPS Pension Formula) सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना (old pension scheme) से उधार लिया जाता है। यानी 50% पेंशन योग्य वेतन सेवा, सदस्यता प्राप्त करने के बाद पेंशन के रूप में। व्यवहार में मूल अंतर है।
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ईपीएस में पिछले 12/60 महीने का औसत वेतन उस सूत्र में अपनाया जाता है, जहां OPS में पिछले वेतन पर विचार किया जाता है। ओपीएस में पेंशन योग्य वेतन में कोई सीमा निर्धारित नहीं है, जबकि ईपीएस सीमा Rs.5000/6500/15,000 है।
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इसी तरह ओपीएस संपूर्ण पेंशन देयता नियोक्ता द्वारा उत्पन्न की जाती है, जहां ईपीएस में नियोक्ता देयता नियमों के अनुसार ईपीएस में योगदान देने तक सीमित है और ईपीएस में उस योगदान का 8.33% को हर महीने अधिकतम 417/541/1250 रुपये के अधीन करता है।
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यदि उन सीमाओं को हटा दिया जाता है, तो एक ईपीएस सदस्य को 33 साल के बाद पेंशन के रूप में पेंशन योग्य वेतन का 50% मिल सकता है। एक पेंशनर्स ने लिखा-मेरी राय में, ऊपर की पेंशन फार्मूला एक योगदान वाली पेंशन योजना के अनुकूल नहीं है। योगदान वाली पेंशन योजना में, योगदान ही पेंशन के निर्धारण के लिए मानदंड होना चाहिए।
पेंशन सूत्र को तदनुसार संशोधित किया जाना चाहिए। सरकार कम पेंशन योग्य वेतन और पेंशन योग्य सेवा वाले लोगों को कल्याण उपाय के रूप में न्यूनतम पेंशन देने के लिए कुछ और जोड़ सकती है।
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