-एसईएसबीएफ के सदस्य विनोद कुमार सोनी के मुताबिक यूपी को-ऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स फेडरेशन लिमिटेड में 50 लाख इंवेस्ट किया गया था।
अज़मत अली, भिलाई। देश में इस वक्त उत्तर प्रदेश काफी सुर्खियों में है। कहीं सकारात्मक तो कहीं नकारात्मक छाप बनती जा रही है। फिलहाल, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (SAIL) यूपी को लेकर काफी तनाव में है। सेल इम्प्लाइ सुपर एन्युएशन बेनीफिशिएशन फंड (एसईएसबीएफ) और बीएसपी सीपीएफ ट्रस्ट का पैसा उत्तर प्रदेश में फंसा हुआ है। जैसे-तैसे पंजाब से फंसी रकम वापस तो आ गई, लेकिन यूपी से पैसा नहीं निकल पा रहा है। बीएसपी सीपीएफ ट्रस्ट का पैसा वापस लाने के लिए हाईकोर्ट तक बात पहुंच चुकी है।
सेल इम्प्लाइ सुपर एन्युएशन बेनीफिशिएशन फंड (एसईएसबीएफ) की पिछले दिनों हुई बैठक में तय किया गया है कि उत्तर प्रदेश से पैसा वापस लाने के लिए कवायद तेज की जाएगी। एसईएसबीएफ के सदस्य विनोद कुमार सोनी के मुताबिक यूपी को-ऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स फेडरेशन लिमिटेड में 50 लाख इंवेस्ट किया गया था।
1998 से अब तक कुछ लाभ नहीं मिला है। रिफंड नहीं मिला है। पैसा वापस लाने की कवायद चल रही है। यूपी सरकार को पत्र लिखा गया है, लेकिन उस पर कुछ पहल नहीं हो सकी। इसलिए एसईएसबीएफ ने तय किया है कि एक कमेटी बनाकर बातचीत का दौर शुरू किया जाएगा, ताकि सेल कर्मचारियों का पैसा वापस लाया जा सके।
दूसरी ओर भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों का कहना है कि बीएसपी सीपीएफ ट्रस्ट के पास 6000 करोड़ का फंड है। करीब 65 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश फाइनेंशियल कार्पोरेशन में इंवेस्ट किया गया था, जहां से वापस वापस नहीं आ सका। ये तो मूलधन था। अब तक के ब्याज की रकम जोड़ दी जाए तो यह राशि 110 करोड़ से अधिक की बताई जा रही है। कर्मचारियों को नुकसान हुआ है। मामला हाईकोर्ट इलाहाबाद में भी चल रहा है। सीटू ने मान्यता में आने के बाद यह मुद्दा उठाया, तब लोगों को पता चला कि पैसा यूपी में फंसा हुआ है।
बता दें कि एसईएसबीएफ ने अडानी केस से सबक लिया है। देश के मौजूदा हालात को देखते हुए SESBF ने तय किया है कि कर्मचारियों और अधिकारियों के पैसे को सुरक्षित रखने की गारंटी तय की जाए। अब कहीं भी ऐसी जगह, निवेश नहीं किया जाएगा, जहां नुकसान होने का खतरा रहे।
सेल कार्मिकों के करोड़ों रुपए को सुरक्षित करने के लिए तय किया गया है कि नेशनल हाइवे में 8 करोड़ रुपए इंवेस्ट किया जाएगा। साथ ही राज्य सरकार और म्यूनिसिपल कारपोरेशन, नगर निगमों में कोई पैसा इंवेस्ट नहीं किया जाएगा।
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