CITU वाले SAIL चेयरमैन से ये क्या-क्या बोलकर चले आए, पढ़ें पूरी खबर

  • चेयरपर्सन का पदभार ग्रहण करते समय 3 माह में वेतन समझौता से जुड़े सारे मुद्दे हल कर लेने की बात कही थी, जिससे कर्मियों में एक नई उम्मीद जागी थी, लेकिन अभी भी निम्नलिखित मुद्दों का अभी भी कोई हल नहीं निकाला जा सका है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सीटू का 2 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष विजय कुमार जांगड़े और सहायक महासचिव एसएसके पनीकर ने सेल चेयरपर्सन से मुलाकात की। पत्र सौंप कर कहा कि सेल के एनजेसीएस वेतन समझौता के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सर्वसम्मति के बजाय बहुमत से मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग हस्ताक्षर करवाया गया, हस्ताक्षर हुए मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग को भी आधे अधूरे तरीके से कर्मियों पर लागू किया गया। अभी भी मेमोरेंडम आफ एग्रीमेंट लंबित है। आप चेयरपर्सन का पदभार ग्रहण करते समय 3 माह में वेतन समझौता से जुड़े सारे मुद्दे हल कर लेने की बात कही थी, जिससे कर्मियों में एक नई उम्मीद जागी थी, लेकिन अभी भी निम्नलिखित मुद्दों का अभी भी कोई हल नहीं निकाला जा सका है।

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यह मुद्दे अभी भी है लंबित

1) 39 माह का एरियर्स लंबित है।
2) प्रबंधन द्वारा एक तरफा निर्णय लेकर थोपे गए नए ग्रेच्युटी फॉर्मूला के खिलाफ समाधान निकाला जाना लंबित है।
3) रात्रि पाली भत्ता लंबित है।
4) हाउस रेंट अलाउंस का मुद्दा लंबित है।
5) पर्क्स का 18 माह का एरियर्स लंबित है।
6) ठेका श्रमिकों का वेतन समझौता लंबित है।
7) ट्रांसफर हुए कर्मियों को वापस लाने का मुद्दा लंबित है।
8) पदनाम का मुद्दा लंबित है।

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कर्मियों के उत्साह एवं मनोबल में लगातार आई है कमी

सीटू नेताओं ने कहा कि कई मुद्दे लंबित है। इतने लंबित मुद्दों के बावजूद कर्मी पूरे लगन से उत्पादन कर रहे हैं एवं सेल के इतिहास में सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने का भागीदार बने हैं। ऐसे में लंबित मुद्दों को हल किए बिना कर्मियों के मनोबल को लंबे समय तक बनाए रखना संभव नहीं है।

साजिश पूर्वक बहुमत बनाकर वेतन समझौते पर हस्ताक्षर कराया गया और यूनियनों के साथ-साथ कर्मियों से भी धोखा किया गया,जो किसी भी ऑर्गेनाइजेशन के लिए अच्छा नहीं है। इसीलिए इस कार्यकाल में कर्मियों के उत्साह और मनोबल में कमी देखी गई है। इसीलिए नए चेयर पर्सन को पदभार देते समय इन लंबित मुद्दों के निराकरण के संदर्भ में भी आवश्यक कदम उठाने पर चर्चा करने की बात कहकर यह पत्र चेयर पर्सन मैडम को सौंपा गया।

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इतिहास में हमेशा दर्ज रहेगा ऐसा ऐतिहासिक वेतन समझौता

अध्यक्ष विजय कुमार जांगड़े ने कहा कि ऐतिहासिक वेतन समझौता करने की आड़ में सबसे ज्यादा नुकसान इसी वेतन समझौता में हुआ,जबकि सेल के इतिहास में सबसे ज्यादा लाभ इन्हीं तीन सालों में कमाया गया। वहीं, वेतन समझौता के लिए कर्मियों को मिला सस्पेंसन, ट्रांसफर, सबसे लम्बा वेतन समझौता, कर्मियों के ग्रेच्युटी में 31/10/2021 के प्री रिवाइज बेसिक डीए के आधार पर सिलिंग, 39 महीने का एरियर अधर में, नाइट शिफ्ट अलाउंस, एचआरए का मुद्दा, पर्क्स का एरियर्स का अभी भी पता नहीं, ट्रेनिंग पीरियड का स्टायफंड S-1 के मूल वेतन देने के बदले कम कर दिया गया।

मंथन करना होगा-किस दिशा में बढ़ रहा है सेल

कर्मियों की भर्ती के स्थान पर आउट सोर्सिंग, निजीकरण इसी कार्यकाल में हुआ। नई भर्तियां लगभग बंद हुई। वहीं, एक-एक विभाग का आउट सोर्स जारी है। यह मंथन का विषय है कि आखिर किस दिशा में लेकर जा रहे हैं सेल को। हॉस्पिटल, टाउनशिप, एजुकेशन की बद से बदतर हालत हुआ है। कोरोना काल में 250 से अधिक कर्मियों-अधिकारियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी। लेकिन सेल के अस्पताल में डाक्टर और सुविधाओं का अभाव बरकरार है।

कोई ठोस नीति नहीं बना पाए ठेका मजदूरों के लिए

इसी दौरान यह देखने को मिला कि जहां एक तरफ संयंत्र के अंदर ठेकाकरण एवं आउटसोर्सिंग को तेजी से बढ़ाया गया। वहीं, ठेका मजदूरों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई। एनजेसीएस स्तर पर बैठकर तो बुलाई गई। लेकिन जानबूझकर मुद्दों को उलझा कर रखा गया। ठेका मजदूरों का वेतन में वृद्धि करना तो दूर उल्टा पहले से निर्धारित वेतन को भी ठेका मजदूरों के हाथों तक पहुंचाने में नाकाम रहे हैं।