
- देरी पेंशनभोगियों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।
- सरकार और ईपीएफओ से इस मुद्दे पर स्पष्टता और तेजी से कार्रवाई की माँग।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर, 2022 को कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 (Employee Pension SCheme 1995) के तहत उच्च पेंशन के विकल्प को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। इस फैसले में कोर्ट ने ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation)) को पात्र कर्मचारियों को उनकी वास्तविक सैलरी के आधार पर उच्च पेंशन का लाभ देने की अनुमति दी थी।
इसके बावजूद, ईपीएफओ द्वारा इस आदेश को पूरी तरह लागू न करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन, Grok ने कुछ कारणों को बता दिया है। दुनिया भर में Grok को लेकर चर्चा है। ऐसे में पेंशनभोगियों के सवालों का जवाब Grok के पास क्या है? इसको जानने के लिए इस स्टोरी को आप पढ़ें।
प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियाँ
ईपीएफओ के पास लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का डेटा है। उच्च पेंशन लागू करने के लिए पुराने रिकॉर्ड्स की जाँच, सैलरी डेटा का सत्यापन और बकाया राशि की गणना जैसी प्रक्रियाएँ जटिल हैं। कई मामलों में नियोक्ताओं से सही डेटा प्राप्त करना और उसे सत्यापित करना समय लेने वाला काम है।
आवेदन प्रक्रिया में देरी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ईपीएफओ ने उच्च पेंशन के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की थी। 17 लाख से अधिक सदस्यों ने इसके लिए आवेदन किया, लेकिन 28 जनवरी, 2025 तक केवल 1,65,621 को डिमांड नोटिस जारी किए गए और 21,885 को ही पेंशन भुगतान आदेश मिले। यह प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है, जिससे पूर्ण कार्यान्वयन में विलंब हो रहा है।
वित्तीय बोझ का आकलन
उच्च पेंशन लागू करने से ईपीएफओ पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि संगठन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि पेंशन फंड लंबे समय तक टिकाऊ रहे। इसके लिए नए फॉर्मूले पर विचार किया जा रहा है, जैसे कि पूरी सेवा अवधि के औसत वेतन के आधार पर पेंशन निर्धारण, जो मौजूदा फॉर्मूले से कम राशि दे सकता है।
नियोक्ताओं की भूमिका
उच्च पेंशन के लिए नियोक्ताओं को भी योगदान बढ़ाना पड़ सकता है। कई मामलों में नियोक्ताओं ने आवेदनों को मंजूरी नहीं दी या जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए, जिसके कारण ईपीएफओ को प्रक्रिया आगे बढ़ाने में कठिनाई हो रही है।
बार-बार समयसीमा बढ़ाना
ईपीएफओ ने उच्च पेंशन के लिए आवेदन की समयसीमा को कई बार बढ़ाया है (जैसे कि 3 मई 2023 से 26 जून 2023 तक)। इसके बाद भी डेटा संग्रह और सत्यापन के लिए अतिरिक्त समय माँगा गया, जैसे कि 31 मई 2024 तक। यह बार-बार समय माँगना कार्यान्वयन में अनिश्चितता को दर्शाता है।
कानूनी और नीतिगत अनिश्चितता
कुछ पेंशनभोगियों और संगठनों का कहना है कि सरकार या ईपीएफओ इस फैसले को पूरी तरह लागू करने के बजाय नए नियम या कानून लाने की तैयारी कर सकता है, जिससे उच्च पेंशन का लाभ सीमित हो जाए। यह अनुमान भी देरी का एक कारण हो सकता है।
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देरी पेंशनभोगियों के लिए परेशानी का कारण बनी
ईपीएफओ द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू न करने की वजह प्रशासनिक जटिलताएँ, वित्तीय व्यवहार्यता की चिंता, और नियोक्ताओं से सहयोग की कमी जैसे कई कारक हो सकते हैं। हालाँकि, यह देरी पेंशनभोगियों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है, और इसे लेकर असंतोष बढ़ रहा है। सरकार और ईपीएफओ से इस मुद्दे पर स्पष्टता और तेजी से कार्रवाई की माँग की जा रही है।
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