- यूनियन नेता बोले-विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के 5000 साथियों की रैली जब गंगवरम पोर्ट पर प्रदर्शन किया तो अडानी विशाखापट्टनम स्टील प्लांट खरीदने से पीछे हट गए। अब जिंदल इस प्लांट में घुसना चाहता है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की संयुक्त ट्रेड यूनियन ने RINLके निजीकरण के विरोध में चलाए जा रहे धरने के 1000 दिन पूरे होने पर इंटक ऑफिस में सभा कर ट्रेड यूनियन आंदोलन का समर्थन किया।
विशाखापट्टनम स्टील प्लांट (RINL) में संघर्ष के 1000 दिन पूर्ण हो गए हैं। इस एकजुटता कार्यक्रम में इंटक, सीटू, एटक, एचएमएस, ऐक्टू, बीएमएस इस्पात श्रमिक मंच, स्टील वर्कर्स यूनियन शामिल हुए।
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श्रमिक नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा विशाखापट्टनम स्टील प्लांट RINL को बेचने की कोशिश के खिलाफ शुरू हुआ संघर्ष आज 8 नवंबर 2023 को 1000 दिन पूरा कर लिया।
इन संघर्षों के दौरान विशाखापट्टनम स्टील प्लांट की यूनियनें, ऑफिसर्स एसोसिएशन संयंत्र के लिए जमीन दिए लोग, संयुक्त मोर्चा के बैनर तले अपने संयंत्र को बचाने के लिए अनेकों आंदोलन को अंजाम दिया। हर दिन संयंत्र के गेट पर धरना दिया जाता है।
विशाखापट्टनम से शुरू हुआ यह आंदोलन अब 6 जिलों में फैल चुका है। जन जागरण हेतु डेढ़ हजार किलोमीटर का मोटरसाइकिल जत्था निकाला गया। सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्राएं हुई। रात्रि जागरण कार्यक्रम, छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं, बड़ी-बड़ी आम सभाओं से लेकर हर तरह के गतिविधियों को लगातार संचालित किया जा रहा है।
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विशाखापट्टनम स्टील प्लांट को निजीकरण होने से बचने के लिए किया जा रहा संघर्षों का यह श्रृंखला एवं सिलसिला अपने आप में बेमिसाल है।
केंद्र सरकार हर हाल में बेच देना चाहता है विशाखापट्टनम प्लांट को
श्रमिक नेताओं का गुस्सा केंद्र सरकार पर उतरा। नेताओं नेकहा- मौजूदा केंद्र सरकार अपने पहले कार्यकाल में ही देश के सार्वजनिक उद्योगों को बेचने के सूची में विशाखापट्टनम स्टील प्लांट का नाम डाल चुका था।
भिलाई इस्पात संयंत्र के बाद सोवियत रूस के मदद से निर्माण किया गया विशाखापट्टनम स्टील प्लांट, स्टील बनाने के क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर चुका है।
वर्तमान में 7.4 मिलियन टन उत्पादन की क्षमता विकसित कर लिया है। किंतु केंद्र सरकार किसी भी कीमत पर अपने कॉरपोरेट घराने के मित्रों को इस उद्योग एवं उसे उद्योग के जमीन को सौंप देना चाहती है।
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वास्तविकता यह है कि विशाखापट्टनम में स्थित गंगवरम पोर्ट को अडानी को दिया गया है। गंगवरम पोर्ट के रास्ते ऑस्ट्रेलिया से लाया हुआ कोयला को डंप करने के लिए इस इलाके की जमीन की आवश्यकता है।
इसीलिए गौतम अडानी विशाखापट्टनम स्टील प्लांट को खरीद कर उस जमीन को अपने डंपिंग यार्ड के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था।
अडानी के बाद अब जिंदल घुसना चाहता है विशाखापट्टनम स्टील प्लांट में
यूनियन नेता अपनी बात रखते हुए बोले-विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के 5000 साथियों की रैली जब गंगवरम पोर्ट पर प्रदर्शन किया तो अडानी विशाखापट्टनम स्टील प्लांट खरीदने से पीछे हट गया, उसके बाद अभी जिंदल इस प्लांट में घुसना चाहता है।
पिछले दिनों टाटा ने नीलांचल स्टील को खरीद लिया। यह बात सामने आ रही है कि जिंदल ने नगरनार प्लांट को गुपचुप तरीके से ले लिया है, उसके बाद से जिंदल की नजर विशाखापत्तनम स्टील प्लांट पर है और विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के कर्मी एवं जनता “जिंदल गो बैक” के नारे के साथ आंदोलनरत है
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