SAIL अधिकारियों पर 50% आवास टैक्स छूट संग सबकुछ न्यौछावर, कर्मचारियों से भेदभाव के परिवाद पर ठन गई RIKKS और RSS में

  • हिमांशु बल बोले-राउरकेला श्रमिक संघ (RSS) ने 26 और 31 जुलाई को पत्र लिखकर RIKKS के परिवाद का ही विरोध कर दिया।

अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) -सेल (SAIL) के अधिकारियों और कर्मचारियों में भेदभाव किया जा रहा है। राउरकेला स्टील प्लांट की पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन राउरकेला इस्पात कारखाना (Rourkela Steel plant) कर्मचारी संघ और वर्तमान मान्यता प्राप्त यूनियन राउरकेला श्रमिक संघ में ठन गई है। कर्मचारियों के मुद्दे को लेकर दोनों यूनियनों में जुबानी जंग तेज हो गई है। खींचतान इतनी बढ़ चुकी है कि पत्र लिखने तक बात आ गई है।

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RIKKS के अध्यक्ष हिमांशु बल (Himanshu Bal) ने प्रबंधन (Management) और राउरकेला श्रमिक संघ पर जुबानी हमला बोला है। अध्यक्ष का कहना है कि SAIL में अधिकारियों को वरिष्ठता के हिसाब से क्वार्टर दिया जा रहा है। घर में पर्दे लटकाने और सोफा के पैसे और घर के पर्क्स टैक्स पर 50% छूट तक दी जा रही। लेकिन श्रमिकों को उनके वरिष्ठ दर्जा के अनुसार कोई तिमाही नहीं और आरएसपी (RSP) की मान्यता प्राप्त यूनियन को परक्विसाइट टैक्स (Terquisite Tax) पर छूट मांगने का समय नहीं।

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हिमांशु बल ने कहा-जब RIKKS ने डिप्टी सीएलसी (Deputy CLC) के पास परिवाद दायर किया तो राउरकेला श्रमिक संघ (RSS) ने 26 और 31 जुलाई को पत्र लिखकर प्रबंधन का पक्ष लिया और हमारे परिवाद का ही विरोध कर दिया। कर्मचारियों को लाभ से वंचित करने का हथकंडा अपनाया गया।

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डिप्टी सीएलसी (Deputy CLC) ने मामले को सीएलसी (CLC) के पास भेजा है, क्योंकि इन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर का बताया है। राउरकेला श्रमिक संघ (Rourkela Labor Union) ने पत्र लिखकर मांग किया है कि RIKKS की बातों को न सुना जाए।

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RIKKS का पक्ष पढ़ा, अब राउरकेला श्रमिक संघ का जवाब पढ़िए

राउरकेला श्रमिक संघ के जनरल सेक्रेटरी प्रशांत कुमार बेहरा (Prashant Kumar Behara) ने RIKKS के आरोपों पर हिमांशु बल को ही घेर लिया। पीके बेहरा का कहना है कि Code of Discipline के तहत ही काम किया जाता है। RIKKS जब मान्यता में थी, उस वक्त हमारी यूनियन महिला कर्मचारियों की समस्याओं, लाइन ऑफ प्रमोशन आदि को लेकर डिप्टी सीएलसी (Deputy CLC) के पास जाती थी, तब RIKKS ने आपत्ति दर्ज कराया था।

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RIKKS के नेताओं ने डिप्टी सीएलसी को कहा था कि कर्मचारियों के सामूहिक विषय पर मान्यता प्राप्त यूनियन ही पक्ष रख सकती है,इसलिए राउरकेला श्रमिक संघ की बात को न सुना जाए। आज RIKKS की बात पर ही अमल करते हुए यूनियन ने अपना पक्ष रखा है, तो इसमें बुरा मानने की क्या बात है।

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पीके बेहरा का कहना है कि एनजेसीएस (NJCS) का मुद्दा है। मुद्दा वहां हल कराना है। सीएलसी के पास पॉवर ही नहीं है। एनजेसीएस की मीटिंग होगी, वहां लड़ेंगे। जो फोरम है वही जाना है। अगर, फोरम पर मामला हल नहीं होता है तो कोर्ट जाएंगे। कर्मचारियों को भड़काने से काम नहीं चलेगा। कर्मचारी सबकुछ जानते हैं।

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