- अवैध और मनमाने ढंग से प्रो-राटा लागू कर रहा है ईपीएफओ।
- ईपीएफओ आनुपातिक दर (Pro-Rata) लागू किए बिना पीएफ पेंशन में वृद्धि प्रदान कर चुका है।
- पिछले वर्ष तक पेंशन सेवा अवधि को विभाजित किए बिना दी जाती थी।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएफओ (EPFO) EPS 95 के अंतर्गत देश भर में वयोवृद्ध पेंशनभोगियों को उच्च पेंशन के वैधानिक और न्यायिक अधिकार से वंचित करने के लिए पिछले सात-आठ वर्षों से लगातार चालें चल रहा है। यह बात पेंशनर्स कल्याण कुमार सिन्हा ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर किया है।
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उनका कहना है कि ईपीएफओ उच्चत्तम न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसलों के बावजूद अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी कर पेंशनरों को उच्च पेंशन के लाभ से वंचित करने की चालें चल रहा है।
ज्वाइंट ऑप्शन के आधार पर ईपीएफओ द्वारा जारी डिमांड नोट के आधार पर रकम जमा करने के बावजूद रकम लौटाने, फ़ार्म लौटाने जैसे हथकंडों के साथ ही यह प्रो-राटा का अवैध प्रावधान यह साबित करता है कि ईपीएफओ पेंशनरों को उनके न्यायपूर्ण पेंशन से वंचित रखने की कोशिशें लगातार जारी रख रहा है।
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पेंशनर्स ने केरल के समाचार पत्र ‘मलयाला मनोरमा’ की रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर बताया है कि ईपीएफओ ने पिछले साल तक प्रो-राटा पद्धति लागू किए बिना उच्च पेंशन की अनुमति दी।
उच्च पेंशन की गणना
हालांकि ईपीएफओ स्वयं मान भी चुका है कि पेंशन योजना में सामान्य पेंशन मामलों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रो-राटा आधार के अलावा उच्च पेंशन की गणना करने के लिए कोई अलग फॉर्मूला नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी…
उच्च पेंशन के पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) ईपीएफओ के पेंशनर्स पोर्टल पर भी उपलब्ध है। पेंशन मामले में 4.11.2022 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ऐसी उच्च पेंशन दी गई है। पिछले महीने तक ये पेंशन उसी दर पर दी जाती रही। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि उच्च पेंशन योजना के लिए आनुपातिक प्रावधान (प्रो-राटा) का उद्देश्य बिल्कुल भी नहीं था।
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