- यदि संशोधित पेंशन को बकाया सहित भुगतान करने के लिए तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वर्तमान सरकार को आगामी विधानसभा चुनावों में एक और गंभीर झटका लग सकते हैं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) को घेरने वालों की कमी नहीं है। केंद्र सरकार पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 (Employees Pension Scheme 1995) का लाभ लेने के लिए सरकार पर दबाव डाला जा रहा है। सोशल मीडिया पर हर दिन कुछ न कुछ कमेंट पढ़ने को मिलता है। एक पेंशनभोगी सी. उन्नीकृष्णन के पोस्ट ने हड़कंप मचा दिया है।
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उन्होंने लिखा, अभी-अभी गूगल न्यूज़ में सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट और सिफारिशें पढ़ीं। लेकिन खेद है कि ईपीएस पेंशन वृद्धि के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को आए 18 महीने बीत चुके हैं।
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नियोक्ताओं को ईपीएफओ को विवरण प्रस्तुत करने के लिए 31 मई अंतिम तिथि दी गई थी। पेंशनभोगी गंभीरता से उम्मीद कर रहे थे कि चुनाव की तिथि घोषित होने से पहले उनकी न्यूनतम पेंशन में वृद्धि होगी और सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के निर्णय को लागू किया जाएगा। लेकिन कुछ नहीं हुआ।
इन सबके साथ ही, यदि संशोधित पेंशन को बकाया सहित भुगतान करने के लिए तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वर्तमान सरकार को आगामी विधानसभा चुनावों में एक और गंभीर झटका लग सकता है, जो इस वर्ष अक्टूबर के आसपास होने जा रहे हैं। मोदी/भाजपा का वर्तमान रवैया और वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा भी लोकसभा चुनावों में उनके खराब प्रदर्शन का एक कारण था।
उन्हें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए। आशा है कि वे अधिक समय गंवाए बिना कुछ सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे।
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