- देशभर के पेंशनर्स अपने मन की बात सरकार तक पहुंचाने के लिए खुलकर पोस्ट कर रहे हैं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। PM Modi और डॉ. जितेंद्र सिंह के हाथों में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय है। नरेंद्र मोदी के समर्थक और विरोधी पेंशन को लेकर क्या सोचते हैं? कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) के सदस्य कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) की न्यूनतम पेंशन के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
ईपीएफओ (EPFO) पर आरोपों की बौछार हो रही है। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) 7500 रुपए कब से मिलेगी? इन तमाम सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। सरकार की तरफ से भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। लेकिन, सोशल मीडिया पर पेंशनभोगी सरकार को लेकर क्या सोच रहे हैं, इसकी झलक आपको यहां दिख जाएगी।
PM Modi और डॉ. जितेंद्र सिंह के हाथों में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की कमान होने से कितनी उम्मीदे हैं या नहीं, इस पर पेंशनर्स देवराज जोसेफ ने कहा-2014 से 2024 (10 वर्ष) तक बिना किसी सकारात्मक परिणाम के चुपचाप गुजर गए। और यह ‘जुमला’ अगले पांच वर्षों तक जारी रहेगा। कोई उम्मीद नहीं है…।
इनके पोस्ट पर कमेंट करते हुए हराधन बनर्जी ने लिखा-देवराज जोसेफ हम सब चले जाएंगे, लेकिन मुझे लगता है कि कोई सकारात्मक परिणाम नहीं होगा…।
एरियर के साथ पेंशन कब मिलेगी?
पेंशन आंदोलन में खोलकर लिखने वाले विजय प्रसाद सिंह ने लिखा-सुप्रीम कोर्ट 4 नवंबर 2022 को आया ऑर्डर कब तक लागू होगा? पीपीओ कब तक निरस्त होगा? ईपीएफओ कर्मचारी (EPFO Employee) के बैंक खाते में एरियर के साथ पेंशन कब तक भेजेगा? क्या पेंशन टैक्स फ्री होगी? कर्मचारी को उसकी मौत के बाद बची रकम का भुगतान आश्रित को किया जाएगा? क्या पेंशनन DA से लिंक होगा? पूछता है कर्मचारी…।
हायर पेंशन को लेकर दर्द भी छलका
सुबोध कुमार सिंघल ने पेंशन मंत्रालय (Pension Ministry) पर ही सवाल उठा दिया है। लिखा-पेंशन मंत्रालय मेरे विचार से सरकारी और तथ्यों के बारे में कार्य करता है। वहीं, एक अन्य पोस्ट में सदानंदन एवी ने अपने मन की बात लिखी कि यह मोदी का आखिरी कार्यकाल है। अब पेंशन विभाग उनके पास है। वे भाजपा को सत्ता में बनाए रखने के लिए कोई भी दांव खेल सकते हैं।
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ईपीएफओ की कठोर कार्रवाई हमारे फंड में हेरफेर करना और अपने खर्च के लिए उसका इस्तेमाल करना है, जो उनके निर्देशानुसार है और बहुत सारे घोटालों को छुपाना है। इसलिए हमारी उच्च पेंशन को नकारना ईपीएफओ के अस्तित्व का मुद्दा है। कई ईपीएस पेंशनभोगियों (EPS Pensioners) ने भाजपा को वोट दिया, अगर हम एकजुट होते और भारत के लिए वोट करते तो परिदृश्य अलग होता।
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