- नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी में बहुत से मजदूर विरोधी संयंत्र विरोधी क्लाज दर्ज है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 25 जून 2021 को पूरे 3 वर्ष बीत चुके हैं। यह दिन भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) के कर्मियों के लिए काला दिन बन चुका है, जिस दिन तत्कालीन मान्यता प्राप्त यूनियन एवं भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के बीच नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी (Non Executive Promotion Policy) पर हस्ताक्षर हुआ था, जिसके लागू होने से कर्मियों के पदोन्नति एवं कार्य क्षमता से लेकर संयंत्र के कार्य क्षमता पर प्रतिकूल असर पडना तय था। इसका सीटू शुरू से ही विरोध कर रहा था। अब इसका असर प्रत्यक्ष रूप से दिखाना शुरू हो गया है।
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सबसे खतरनाक था बी अथवा सी रेटिंग को प्रमोशन एवं अपग्रेडेशन से
सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी का कहना है कि वैसे तो इस नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी (Non Executive Promotion Policy) में बहुत से मजदूर विरोधी संयंत्र विरोधी क्लाज दर्ज है, उसमें से मजदूरों के प्रदर्शन एवं उपस्थिति पर मूल्यांकन के आधार पर दिए जा रहे रेटिंग एवं उस रेटिंग के आधार पर प्रमोशन एवं अपग्रेडेशन को जोड़ना सबसे खतरनाक क्लाज है जिसमें दर्ज है कि क्लस्टर के भीतर पदोन्नति के लिए 3 वर्षों के प्रदर्शन मूल्यांकन पर विचार किया जाएगा।
जिन कर्मियों के पास पिछले तीन मूल्यांकन वर्षों में प्रदर्शन या उपस्थिति में कोई सी रेटिंग है। वह किसी भी उन्नयन के पात्र नहीं होंगे। वहीं, एक क्लस्टर से दूसरे क्लस्टर के बीच पदोन्नति के लिए 3 वर्षों के प्रदर्शन मूल्यांकन पर विचार किया जाएगा, जिन कर्मियों के पास पिछले तीन मूल्यांकन वर्षों में प्रदर्शन या उपस्थिति में कोई सी रेटिंग है या जिनके पास पिछले तीन मूल्यांकन वर्षों में सभी बी रेटिंग है। वह किसी भी पदोन्नति अथवा नियमितीकरण के लिए अयोग्य होगा।
कर्मी प्रतिवर्ष नहीं देख पाएंगे अपना मूल्यांकन (अप्रेजल)
अधिकारी अपने मूल्यांकन को स्वयं से भरकर उच्च अधिकारी के पास जमा करते हैं। उच्च अधिकारियों द्वारा दो अपने कनिष्ठ अधिकारियों द्वारा जमा किए गए मूल्यांकन का अध्ययन करते हैं एवं रेटिंग देते हैं। हर अधिकारी उनके उच्च अधिकारी द्वारा किए गए मूल्यांकन एवं दिए गए रेटिंग को हर वर्ष देख सकता है एवं रेटिंग में संतुष्टि ना होने पर अपील भी कर सकता है।
किंतु यह सुविधा कर्मियों के लिए किए गए नॉन एग्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी (Non Executive Promotion Policy) में नहीं है। अर्थात कर्मी को क्या रेटिंग दिया जा रहा है, यह हर साल नहीं देख सकते हैं। किसी कर्मी को बी अथवा सी रेटिंग मिलने पर एवं उसके प्रमोशन अथवा अपग्रेडेशन में उस रेटिंग के चलते बाधा उत्पन्न होने पर उस रेटिंग के संदर्भ में उस कर्मी को प्रबंधन द्वारा उचित माध्यम से सूचित किए जाने पर ही वह कर्मी अपने रेटिंग को देख सकेगा।
कर्मियों एवं अधिकारियों के बीच रेटिंग देखने के संदर्भ में इस तरीके का भेदभाव ठीक नहीं है। सीटू यह मानता है कि रेटिंग देना प्रबंधन की मर्जी पर निर्भर करेगा अर्थात किसी अधिकारी द्वारा किसी कर्मी को पसंद न करने पर अपनी नाराजगी निकालना का मौका मिल जाएगा।
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एसपीवी को ही कर दिया गया समाप्त
सहायक महासचिव टी. जोगा राव का कहना है कि इस नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी में यह भी दर्ज है कि पहले के एसपीवी को समाप्त कर दिया जा रहा है। पहले व्यवस्था यह थी कि संयंत्र में कितने सैंक्शनिंग पोस्ट है, उस सैंक्शनिंग पोस्ट में पोजीशन पर कितने कर्मी कार्यरत है एवं सैंक्शनिंग के अनुसार कितने वैकेंसी (पोस्ट खाली) है। यह सब दर्ज रहता था।
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किंतु NEPP के अनुसार अब जितने पद पर कर्मी नियुक्त है उतने ही पद माने जाएंगे, जिसके चलते 40000 पद घटकर एक ही झटके में 12000 पद रह गए। अब जैसे-जैसे कर्मी सेवानिवृत्ति होते चले जा रहे हैं वैसे-वैसे पदों की संख्या घटती जा रही है।
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जूनियर इंजीनियर पदनाम पर पड़ेगा इसका असर
सीटू नेता ने कहा कि प्रबंधन ने नये पदनाम को NEPP से जोड़कर लागू कर रहा है। यदि NEPP जारी रहा तो जिन नौजवान कर्मियों ने जूनियर इंजीनियर पदनाम (Junior Engineer Designation) के लिए लम्बा संघर्ष किया है। वे NEPP के चलते वंचित रह जाएंगे, क्योंकि पदनाम को लेकर प्रबंधन के परिपत्र के अनुसार डी क्लस्टर में चीप मास्टर टेक्निशियन अथवा चीप मास्टर आपरेटर पद पर पहुंचे कर्मी ही जूनियर इंजीनियर बन सकते हैं।
एक अनुमान के अनुसार एस-3 में भर्ती नौजवान कर्मी डी क्लस्टर में पहुंचते पहुंचते सेवानिवृत्ति आयु तक पहुंच जाएगा। अर्थात उस उम्र में जूनियर इंजीनियर पदनाम पाने की प्रबल इच्छा नहीं रह जाएगी। इसीलिए NEPP को रद्द करने के साथ पदनाम को किस ग्रेड से देना है। इस पर फिर से जल्द से जल्द मंथन कर नतीजे पर पहुंचना जरूरी है।