- वामपंथी पार्टियों भाकपा, माकपा व भाकपा (माले) लिबरेशन और श्रमिक संगठनों एटक, सीटू व ऐक्टू के पदाधिकारी सड़क पर उतरे।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भारत छोड़ो आंदोलन के सूत्रपात वाले दिन अर्थात 9 अगस्त को भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों और वामपंथी पार्टी के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। बजट के खिलाफ वामपंथी संगठनों ने किया प्रदर्शन।
वामपंथी पार्टियों भाकपा, माकपा व भाकपा (माले) लिबरेशन और श्रमिक संगठनों एटक, सीटू व ऐक्टू द्वारा केंद्र की मोदी सरकार के जन विरोधी, मजदूर विरोधी और किसान विरोधी आम बजट के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन के सूत्रपात वाले दिन अर्थात 9 अगस्त को शाम 6:00 बजे से सेल परिवार चौक, सेक्टर 6, भिलाई में विरोध प्रदर्शन किया।
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आम जनता की लूट, कार्पोरेट को छूट वाला है ये बजट
वित्त मंत्री द्वारा पेश वर्ष 2024-25 की आम बजट में सरकार अपनी राजस्व की वृद्धि आम जनता की जेब को लूट कर करना चाहती है। इस वर्ष के बजट में सरकार ने 4 लाख करोड़ रूपया अतिरिक्त राजस्व आय का लक्ष्य रखा है, जिसमे से 2 लाख 26 हजार करोड़ रुपए आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डालकर वसूल करेगी।
वर्ष 2015-16 में कुल कर राजस्व का 31 प्रतिशत हिस्सा कॉर्पोरेट से आता था, जो वर्ष 2023-24 में घटकर सिर्फ 26 प्रतिशत रह गया है। वर्ष 2017-18 में जी एस टी मद में आम जनता से राजस्व का 23 प्रतिशत वसूल की थी जो वर्ष 23-24 में बढकर 28 प्रतिशत हो गया है।
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राजस्व में व्यक्तिगत आयकर का हिस्सा ज्यादा है कॉर्पोरेट कर से
वर्ष 2023-24 में कॉर्पोरेट कर का हिस्सा कुल राजस्व का सिर्फ 26.6 प्रतिशत था, वही व्यक्तिगत आयकर का हिस्सा 30.9 प्रतिशत है। सरकार के राजस्व आय में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन यह राजस्व आय में कॉर्पोरेट घरानों की कर के अपेक्षा व्यक्तिगत आयकर से ज्यादा हुई है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार कॉर्पोरेट कर बाबद जितनी राजस्व आय करती है उससे 19 प्रतिशत अधिक व्यक्तिगत आयकर से राजस्व आय करती है।
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कॉर्पोरेट कर में 5 वर्ष से मिल रहा है, छूट किन्तु नहीं पैदा हुए रोजगार
निवेश में वृद्धि और रोजगार सृजन के नाम पर कॉर्पोरेट कर में 5 वर्ष पहले से यह छूट देना चालू हुआ था लेकिन कर में इन छूट के बाद भी निवेश और रोजगार में कोई वृद्धि नही हुई है। बजट के ही रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा कॉर्पोरेट कर में दी गई इस छूट के कारण इस मद से सरकार के राजस्व में 1.45,लाख करोड़ रुपए की कम आय हुई है। पिछले 5 वर्षों में कॉर्पोरेट कर में छूट के कारण 8.7 लाख करोड़ रुपए की कम आय हुई है।
बजट में ही इस बात का उल्लेख है कि कॉर्पोरेट कर से प्रति वर्षआय की वृद्धि दर सबसे कम 2.3 प्रतिशत है जबकि व्यक्तिगत आयकर से प्रति वर्ष वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत है।
सामाजिक क्षेत्र की आवंटन में हुई है कटौती
गरीब कल्याण कार्यक्रम में वित्तीय वर्ष 2022-23 में बजट में 2,72,000 करोड़ रूपए था, जो घटकर 2023-24 में 2,12,000 करोड़ रुपए एवं इस वर्ष की बजट में महज 2,07,000 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति मद पर वर्ष 2022-23 में बजट में 12,681 करोड़ रुपए था इस वर्ष कटौती कर 12,467 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। ज्ञात हो कि शिशु पौष्टिकता में दुनिया में भारत का स्थान नीचे की पायदान पर है।
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स्मार्ट सिटी के लिए पिछले वर्ष 8000 करोड़ रुपए आवंटित थे, इस वर्ष सिर्फ 2400 करोड़
मध्यान्ह भोजन बजट में कटौती का प्राथमिक शिक्षा पर पड़ेगा नकारत्मक प्रभाव। बच्चों के मध्यान्ह भोजन के लिए पिछले वर्ष 60,000 करोड़ रुपए आवंटित थे, जो इस वर्ष घटकर 45,000 करोड़ रुपए किया गया है। बच्चों की प्राथमिक शिक्षा में इस कटौती का नकारत्मक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
आदिवासी बहुल राज्य में मधान्य भोजन गरीब आदिवासी परिवार के बच्चो को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करता है इस मद पद हुई भारी कटौती इन गरीब परिवार के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के अधिकार से दूर करेगा।
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बढ़ती बेरोजगारी के विपरीत मनरेगा बजट में हुई कटौती
ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन की रोजगार की गारंटी देने वाला मनरेगा में तीन वर्ष पहले बजट में जहा 90,000 करोड़ रुपए आवंटित किया गया था वही इस वर्ष सिर्फ 85,000 करोड़ रुपए ही आबंटित किया गया है। जबकि देश में बेरोजगारी की दर को देखते हुए इस मद पर सरकार को अधिक राशि आबंटन करने की आवश्यकता थी।
ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की स्थिति और भयावह आकार धारण करने वाली है। मनरेगा ग्रामीण परिवारों को कुछ राहत देने का काम कर सकती थी लेकिन बजट में किए गए आबंटन इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। जबकि सरकार के ही कथन के अनुसार इस बीच मनरेगा में मजदूरों की पंजीयन में भारी वृद्धि हुई है।
कृषि क्षेत्र भी उपेक्षित
बजट में कृषि क्षेत्र सबसे अधिक उपेक्षित हुआ है। कृषि क्षेत्र में कुल बजट का सिर्फ 3.15 प्रतिशत यानि 1.52 लाख करोड़ रुपए आबंटित हुआ है 140 करोड़ आबादी वाली इस देश का 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। मोदी के शासनकाल में कृषि क्षेत्र में लगातार आवंटन राशि में कटौती हुआ है। कृषि क्षेत्र में वर्ष 2019-20 में बजट का 5.44 प्रतिशत आबंटित था, जो घटकर 2021-22 में 4.26 प्रतिशत, 2022-23 में बजट का 3.23 प्रतिशत हुआ है।