SAIL NEWS: राउरकेला इस्पात संयंत्र में Sustainable Steel Production पर मंथन

SAIL NEWS: Brainstorming on Sustainable Steel Production in Rourkela Steel Plant
कार्यपालक निदेशक (खान) सह अतिरिक्त प्रभार कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अलोक वर्मा ने सत्र की अध्यक्षता की। इस्पात उत्पादन पर संबोधित किया।
  • वृत्तीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) की अवधारणा को भी विस्तार से समझाया गया।

सूचनाजी न्यूज, राउरकेला। सेल राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) (SAIL Rourkela Steel Plant) के कार्यपालक निदेशक (संकार्य) सम्मेलन हॉल में 1 नवंबर 2024 को “सतत इस्पात उत्पादन (Sustainable Steel Production)” पर एक व्यावसायिक वार्ता आयोजित की गई।

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कार्यपालक निदेशक (खान) सह अतिरिक्त प्रभार कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अलोक वर्मा ने सत्र की अध्यक्षता की। निदेशक (प्रौद्योगिकी), आरएसबी मेटलटेक, आरएसबी समूह, पुणे, पूर्व कुलपति (बीपीयूटी) और आईआईटी, खड़गपुर के प्रोफेसर, ओमकार नाथ महंती अतिथि वक्ता थे। संयंत्र के कई मुख्य महाप्रबंधक और विभागाध्यक्ष कार्यक्रम में शामिल हुए।

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विश्व इस्पात परिदृश्य का सामान्य अवलोकन प्रस्तुत करते हुए अतिथि वक्ता ने बताया कि किस तरह से इस्पात उद्योग के बड़े खिलाड़ी कार्बन फुटप्रिंट को कम करने, हरित इस्पात उत्पादन तकनीकों को अपनाने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से अनुसंधान में निवेश कर रहे हैं।

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उन्होंने एडवांस्ड हाई स्ट्रेंथ स्टील (एएचएसएस) (Advanced High Strength Steel (AHSS)) और ऑटोग्रेड स्टील (Autograde Steel) में वैश्विक विकास पर चर्चा की, जो अपनी मजबूती और कम वजन के कारण ऑटोमोटिव क्षेत्र में तेजी से मांग में हैं।

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इस दौरान वृत्तीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) की अवधारणा को भी विस्तार से समझाया गया और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए वृत्तीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को शामिल करने की प्रवृत्ति को भी समझाने की कोशिश की गई।

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सड़क निर्माण, सीमेंट निर्माण और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में उपयोगिता क्षमता रखने वाले एलडी स्लैग और ब्लास्ट फर्नेस (बीएफ) स्लैग जैसे उप-उत्पादों के वाणिज्यिक उपयोग पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया जिन दोनों के ऊपर अब बड़े पैमाने पर शोध किए जा रहे हैं।

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सत्र का समापन विचार विमर्श के साथ हुआ कि, कैसे आरएसपी इस्पात उत्पादन में नवाचार के मामले में सबसे आगे रहते हुए अपनी मौजूदा विशेषज्ञता और बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाकर इन वैश्विक प्रयासों में और योगदान दे सकेगा।

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