- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ और सरकार पर गुस्सा उतारा जा रहा है।
- न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग की जा रही है, लेकिन अमल नहीं हो सका।
- सरकार से आश्वासन मिला है। लेकिन मंत्रालय स्तर पर कोई पहल नहीं हो सका।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। देश के बुजुर्ग खासकर EPS 95 Pensioners व्यवस्था से त्रस्त हो गए हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Pension – EPFO) और केंद्र सरकार के रवैये पर भड़के हुए हैं। उम्र के इस पड़ाव में भद्दा मज़ाक के सिवाय कुछ नहीं है। प्रचंड बहुमत की बीजेपी सरकार और मुखिया पीएम मोदी से उम्मीद लगाए पेंशनभोगी के सब्र का बांध अब टूट चुका है।
नाराज पेंशनभोगी सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक के समीकरण देखा जा रहा है। किस वर्ग से उन्हें अधिक से अधिक वोट मिल सकते हैं। बुजुर्ग EPS 95 Pensioners उनके लिए अपनी उम्र पूरी कर चुके असहाय, बूढे और लाचार उन जानवरों का एक छोटा सा समूह है, जिसका कोई उपयोग उनकी पार्टी और सरकार के वोट बैंक के लिए नहीं है।
एक पेंशनभोगी ने यहां तक लिख दिया कि उन्हें चिंता सिर्फ विधायक, सांसद और मंत्रियों व नौकरशाहों की समय-समय पर पेंशन, भत्तों और विलासितापूर्ण सुविधाओं में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हेतु राजकोष में फंड जुटाने की पड़ी है, ताकि अगला चुनाव भी वह प्रचंड बहुत से जीतकर अपनी मनमानी कर सकें।
उन्हें मानवीय मूल्यों और मानवता से दूर दूर तक कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें युवाओं को रोजगार और बुजुर्ग EPS 95 PENSIONERS को पेंशन की नहीं, वोट बैंक के दृष्टिगत कभी महिला सम्मान निधि, कभी किसान निधि और कभी मुफ्त राशन बांट कर युवाओं को आकर्षित करना है। ऐसे अनैतिक, पक्षपाती और अहंकारी व्यवस्था से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है।