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भारतीय रेल के किसी भी विभाग या संसाधन का निजीकरण नहीं होने देंगे।
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हम संगठित संघर्ष और कर्मचारी एकता के बल पर रेलवे को जनता की सम्पत्ति बनाए रखेंगे।
सूचनाजी न्यूज, वाराणसी। इंडियन रेलवे एम्प्लॉयी फेडरेशन (IREF) ने कपूरथला में अपना 5वां राष्ट्रीय अधिवेशन सफलतापूर्वक आयोजित किया। आयोजन में IREF के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली का आश्वासन दिया।
यह अधिवेशन IREF एवं AICCTU के तत्वावधान में 16 मार्च को रेशमग्राम, रेल कोच फैक्ट्री परिसर कपूरथला में कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में रेलवे कर्मचारियों की भलाई, श्रम कानूनों में सुधार, निजीकरण के खतरे एवं OPS बहाली सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
एनई रेलवे मेंस कांग्रेस के केंद्रीय कोषाध्यक्ष सह-राष्ट्रीय प्रवक्ता दुर्गेश पाण्डेय ने बताया यह आयोजन ट्रेड यूनियनों की साझा ताकत को दर्शाता है और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना की बहाली हेतु आश्वस्त करता है। कपूरथला में OPS बहाली और सामाजिक आर्थिक मुद्दों को लेकर यह मंच महत्वपूर्ण था।
इंडियन रेलवे एम्प्लॉयी फेडरेशन (IREF) के 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन (कपूरथला) में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब अखिलेश पाण्डेय-अध्यक्ष एनई रेलवे मेंस कांग्रेस एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष – इंडियन रेलवे एम्प्लॉयी फेडरेशन (IREF) ने रेलवे के निजीकरण को रोकने हेतु अपने दृढ़ संकल्प को पुनः दोहराया।
कर्मचारियों के हित, मान सम्मान, स्वाभिमान एवं उनके अधिकारों के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष करने का वचन दिया। उक्त अवसर पर AICCTU के महासचिव राजीव डिमरी, NMOPS के महासचिव अमरीक सिंह इत्यादि ने प्रमुख रूप से सभा को संबोधित किया।
अखिलेश पाण्डेय का संकल्प:
“भारतीय रेल के किसी भी विभाग या संसाधन का निजीकरण नहीं होने देंगे। हम संगठित संघर्ष और कर्मचारी एकता के बल पर रेलवे को जनता की सम्पत्ति बनाए रखेंगे।”
इंडियन रेलवे एम्प्लॉयी फेडरेशन (IREF) के 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन (कपूरथला) में केंद्रीय कोषाध्यक्ष/ एनई रेलवे मेंस कांग्रेस ने श्रमिक विरोधी नीतियों और चार लेबर कोड के खिलाफ एक प्रखर आवाज बुलंद की।
केंद्रीय कोषाध्यक्ष की हुंकार:
“नए श्रम संहिताएं (लेबर कोड) मज़दूरों के हक़ पर हमला हैं। इन्हें हर हाल में वापस लिया जाए। हम हर प्लेटफॉर्म पर इनका विरोध करेंगे। संसद से सड़क तक संघर्ष होगा!”
उद्देश्य और मांगें:
1. रेल निजीकरण पर पूर्ण विराम।
2. संविदा प्रथा समाप्त हो।
3. पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल हो।
4. स्थायी पदों पर नियमित भर्ती शुरू हो।