BSL हड़ताल होगी या कोई और सियासी दांव, बोकारो की चौखट पर 14 को चौपाल

Will there be a Strike in BSL or Some other Political Pove ALC-Management-BAKS Meeting in Bokaro on October 14
  • गेंद अब सेल मैनेजमेंट के पाले में। कर्मचारियों का भरोसा बढ़ेगा या आक्रोश।
  • पूरे सेल की निगाहे 14 अक्टूबर की त्रिपक्षीय मीटिंग पर।
  • बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने अपने अगले कदम की ओर बढ़ाया कदम।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल बोकारो में हड़ताल को लेकर सारी कवायद फिलहाल, थम गई है। अब सबकी नज़र 14 अक्टूबर को होने वाली बैठक पर टिकी है। बीएकेएस का कहना है कि 14 अक्टूबर 2025 को सहायक श्रमायुक्त धनबाद, बोकारो इस्पात प्रबंधन और बीएकेएस के मध्य बोकारो इस्पात संयंत्र के प्रशासनिक भवन में त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित होने के मद्देनजर 10 अक्टूबर को आयोजित हड़ताल को स्थगित किया गया है।

धनबाद में सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में देर रात तक चली मीटिंग के बाद बीएसएल प्रबंधन और सहायक श्रमायुक्त के द्वारा वार्ता के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने के प्रस्ताव पर बीएकेएस ने एक मौका देते हुए हामी भरा है। बीएकेएस के द्वारा दिए गए हड़ताल के 30 मुद्दे पर अगर प्रबंधन ने कोई सटिक निर्णय नहीं लिया तो बीएकेएस उसी दिन अगले हड़ताल की तिथि घोषित कर देगी फिर आगे कोई वार्ता नहीं करेगी।

पूर्व में विभिन्न वार्ताओं तथा सेल प्रबंधन की नकारात्मक भूमिका को देखते हुए यूनियन ने सेल प्रबंधन को अंतिम अवसर दिया है। उसके बाद यूनियन आगे न तो सेल/बोकारो प्रबंधन और न ही श्रमायुक्त के किसी बातों पर भरोसा करेगी तथा न ही साथ देगी।

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यूनियन के अनुसार 30 प्रमुख मुद्दों में से बोनस तथा इंसेंटिव फॉर्मूला में सुधार यूनियन की हिट लिस्ट में है। कई मुद्दे सिर्फ गैर आर्थिक मुद्दे है, जिसको लागू करने से सेल/बीएसएल प्रबंधन पर कोई भी आर्थिक भार नहीं आएगा। फिर भी सेल/बीएसएल प्रबंधन कर्मचारियों को शोषित रखने के उद्देश्य से लागू नहीं कर रही है।

यूनियन नेताओं ने कहा-प्रबंधन के इस रवैये के कारण अब एक भी कर्मचारी प्रबंधन के किसी आश्वासनों पर भरोसा नहीं करता है। जिस तरह कर्मचारियों के भीतर आक्रोश व्याप्त है, उससे तय है कि आगे बड़ा जन आंदोलन का सामना सेल प्रबंधन को करना होगा। बोकारो इस्पात संयंत्र से निकली आंदोलन की यह लौ सेल के दूसरे यूनिट में भी जाने वाली है।

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बीएकेऐस बोकारो अध्यक्ष हरिओम ने कहा-यह दुर्भाग्य है कि इस्पात मंत्री, इस्पात राज्य मंत्री, इस्पात सचिव, सेल चेयरमैन, निदेशक कार्मिक तथा उच्च अधिकारियों की बातों/आश्वासनों का कोई महत्व नहीं रह गया है।

एक संस्थान के उच्च अधिकारियों पर कंपनी के कर्मचारी जब भरोसा नहीं करते है तो संस्थान को काफी छति पहुँचता है। अब गेंद सेल और बोकारो प्रबंधन के पाले में है कि वह कर्मचारियों के भरोसे को किस तरह आगे बढ़ाए, नहीं तो हमारी यूनियन जमीन से लेकर अदालत तक संघर्ष को और आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।