रावघाट आयरन ओर माइंस: कैंटीन, शिक्षा प्रतिपूर्ति, हाउस एलाउंस, चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में BSP कर्मचारी

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  • नियुक्ति के समय प्रारंभिक बेसिक वेतन के 10% एचआरए के रूप में मिल रहा है, जोकि वर्त्तमान महंगाई के हिसाब से काफी कम है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के रावघाट आयरन ओर माइंस के कर्मचारियों की लंबित समस्याओं को लेकर भिलाई स्टील प्लांट शेड्यूल्ड ट्राइब एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन ने दौरा किया। भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी के नाम मांग पत्र रोहित हरित-AGM, HR (Iron) को सौंपा।

कैंटीन, शैक्षिक प्रतिपूर्ति, मेडिकल सुविधाओं की दरकार और एचआरए में संशोधन की मांग उठाई गई है। कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन की उदासीनता उनके कार्यक्षमता और मनोबल को प्रभावित रही है।क्योंकि एक साल पूर्व तत्कालीन निदेशक प्रभारी और कार्मिक अधिकारी ने रावघाट माइंस का दौरा किया था, उस समय भी कर्मचारियों ने हो रही संबंधित समस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराया था।

बहुत जल्द इसके समाधान करने का भी आश्वासन मिला था। परन्तु एक साल के बीत जाने के बाद भी कोई भी ठोस सार्थक कदम नहीं उठाए गए, जोकि कर्मचारियों के प्रति उदासीनता को दिखाता है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप टोप्पो ने कहा कि रावघाट माइंस में कैंटीन की सुविधा का अभाव कर्मचारियों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। क्योंकि लगभग 23 नियमित कर्मचारी और 250 ठेका कर्मचारी रावघाट माइंस में कार्यरत है। दूसरी ओर, बच्चों की शिक्षा शुल्क, ट्यूशन फीस और यूनिफॉर्म भत्ते इत्यादि अन्य खर्च की प्रतिपूर्ति का अभाव आर्थिक बोझ बढ़ा रहा।

नारायणपुर से भिलाई की दूरी और खराब सड़कें गंभीर हालत में राहत पहुंचाने में बाधा हैं। एसोसिएशन ने स्थायी मेडिकल टीम, इंश्योरेंस और स्थानीय क्लीनिकों/स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज खर्च की प्रतिपूर्ति के प्रावधान की मांग की है।

नियुक्ति के समय प्रारंभिक बेसिक वेतन के 10% एचआरए के रूप में मिल रहा है। जोकि वर्त्तमान महंगाई के हिसाब से काफी कम है। एसोसिएशन के महासचिव श्याम सुंदर मुर्मू ने कहा, पत्र की प्रतिलिपि केंद्रीय इस्पात मंत्री, इस्पात राज्यमंत्री, सेल चेयरमैन और क्षेत्रीय अधिकारियों को भी भेजी गई है।

एसोसिएशन के संयुक्त महासचिव (प्रथम) ललित कुमार बघेल ने कहा, कि रावघाट माइंस बीएसपी/सेल की रीढ़ है, लेकिन कर्मचारियों के समस्याओं की यह पुकार अनसुनी नहीं रहनी चाहिए। इसे गंभीरता से लेते हुए प्रबंधन को तत्काल सार्थक और ठोस कदम उठाने चाहिए। जिससे प्रबंधन के प्रति कर्मचारियों का विश्वास बढ़ेगा।