- ललित कला अकादमी नई दिल्ली के एक्जीक्यूटिव बोर्ड मेम्बर व भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी डॉक्टर अंकुश कुमार देवांगन समकालीन भारतीय मूर्तिकला जगत के एक सशक्त स्तम्भ हैं।
अज़मत अली, भिलाई। चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की सफलता से देशभर में अभूतपूर्व राष्ट्रीय एकता (National Unity) का सूत्रपात हुआ है और अब सूर्ययान आदित्य एल 1 (Surya Yaan Aaditya L 1) की बारी है। विकसित देश की राह पर चल रहे भारत की इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार व बीएसपी कर्मचारी (BSP Employee) अंकुश देवांगन (Ankush Devangan) ने मात्र 5 दिनों में भारत के महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट (Great Scientist Aryabhata ) की विशालकाय प्रतिमा (Statue) बनाकर सबको हैरत में डाल दिया है।
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ललित कला अकादमी (Lalit Kala Academy) नई दिल्ली (New Delhi) के एक्जीक्यूटिव बोर्ड मेम्बर (Executive Board Member) व भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) के कर्मचारी डॉक्टर अंकुश कुमार देवांगन समकालीन भारतीय मूर्तिकला जगत के एक सशक्त स्तम्भ हैं। दल्ली राजहरा में छः मंजिली दुनिया का सबसे बड़ा लौहरथ, रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन में सबसे लंबा भित्ति चित्र एवं दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियां बनाने के लिए उन्हें लिम्का तथा गोल्डन बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकार्ड (Limca and Golden Book of World Records) का एवार्ड प्राप्त है।
उन्होंने इसरो के उपलब्धिपूर्ण कार्यों पर वैज्ञानिकों (Scientist) को इस कला के माध्यम से बधाई दी है। वे कहते हैं कि अब समय आ चुका है कि विश्वगुरु कहलाने वाले भारत का प्राचीन गौरव फिर से प्राप्त हो सकेगा। भारतवर्ष में पहले से ही आर्यभट्ट जैसे महान ऋषि-मुनियों की एक लंबी परंपरा रही है, जिन्होंने अंतरिक्ष पर हजारों वर्ष पहले व्यापक शोध किए थे।
उन्होंने ही सर्वप्रथम पूरी दुनिया को अवगत कराया था कि पृथ्वी अपनी ही धुरी पर घूमती है। गणित और ज्योतिष (Mathematics and Astrology ) के अनेकानेक सिद्धांतो का उन्होंने प्रतिपादन किया था, जिसके कारण भारत के प्रथम उपग्रह (First Satellite) का नाम आर्यभट्ट रखा गया है। आदित्य एल 1 का प्रक्षेपण 2 सितंबर को इसरो द्वारा किया जाएगा, जिस पर न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई है।
आर्यभट्ट की इस भव्य प्रतिमा को उन्होंने सीमेंट कांक्रीट से बनाकर इसरो को समर्पित किया है और सूर्ययान आदित्य के सफलता की दुआएं मांगी है।