बधाई हो: मैत्री बाग में जल्द आएगा तेंदुआ और भालू का जोड़ा, जाएगा 24 सांभर

A pair of leopard and bear will soon come to Maitri Bagh, 24 Sambhars will go
  • डॉ. नवनी कुमार जैन ने कहा, “आज अधिकांश वन्य प्रजातियां हमारे जंगलों से विलुप्त हो रही हैं।
  • चिड़ियाघरों की भूमिका अब केवल प्रदर्शन की नहीं, संरक्षण की बन गई है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। वन्यजीव संरक्षण और जन-जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL – Bhilai Steel plant) के नगर सेवाएं विभाग (Municipal Services Department) के अंतर्गत उद्यानिकी अनुभाग द्वारा संचालित मैत्री बाग चिड़ियाघर अब तेंदुए और भालू के जोड़े का स्वागत करने जा रहा है।

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इनके लिए विशेष रूप से निर्मित बाड़ों की तैयारी पूर्ण हो चुकी है, जो भारतीय केंद्रीय ज़ू प्राधिकरण (सीज़ेडए) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं। यह नया समावेश न केवल जैव विविधता को बढ़ावा देगा, बल्कि मैत्री बाग को शैक्षणिक और मनोरंजक दृष्टि से और अधिक समृद्ध बनाएगा।

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सीज़ेडए से अनुमोदन प्राप्त, पशु आवास तैयार

मैत्री बाग के प्रभारी एवं महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ. नवीन कुमार जैन ने जानकारी दी कि यह पशु-विनिमय प्रक्रिया केंद्रीय ज़ू प्राधिकरण द्वारा विधिवत अनुमोदित की जा चुकी है। बाड़ों का निर्माण, वातावरण का अनुकूलन और पशुओं के स्वागत की समस्त पूर्व तैयारी पूर्ण कर ली गई है। नए जीवों के आगमन के उपरांत उनकी सतत निगरानी की जाएगी, जिससे उनकी अनुकूलता और स्वास्थ्य की स्थिति सुनिश्चित की जा सके।

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नंदनवन जंगल सफारी, नया रायपुर से पशु-विनिमय

तेंदुए और भालू का यह जोड़ा नंदनवन जंगल सफारी, नया रायपुर व बिलासपुर चिड़ियाघर से विनिमय के अंतर्गत प्राप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व मैत्री बाग द्वारा सफेद बाघों का एक जोड़ा नंदनवन को सौंपा गया था।

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इस तरह के अंतराज्यीय चिड़ियाघर सहयोग न केवल आनुवंशिक विविधता को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि विभिन्न प्रजातियों का समान वितरण सुनिश्चित करते हैं। वर्तमान में मैत्री बाग में सात सफेद बाघ हैं, जिससे यह भारत के प्रमुख सफेद बाघ संरक्षण केंद्रों में से एक है।

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विनिमय योजना के तहत, 24 सांभर हिरण भी नंदनवन भेजे जाएंगे, जिससे प्रजातीय आदान-प्रदान और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा मिलेगा।

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पशु आहार, देखभाल और वातावरण

डॉ. जैन के अनुसार, मैत्री बाग में पशु कल्याण के उच्चतम मानकों को अपनाया गया है। प्रत्येक प्रजाति को उसकी पोषण आवश्यकताओं और पसंद के अनुसार संतुलित भोजन उपलब्ध कराया जाता है। सामान्यतः प्रातः एक बार भोजन दिया जाता है, जो उनके पाचन चक्र के अनुकूल है।

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मौसमी तनाव से निपटने के लिए गर्मी के दिनों बाड़ों में टायफा मैट, स्प्रिंकलर प्रणाली, ग्रीन नेट्स, कृत्रिम झरने और मड बाथ जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं। गर्मी के मौसम में बंदरों और शाकाहारी जीवों के आहार में तरबूज, खीरा और खरबूजा जैसी ठंडी और रसीली चीज़ें जोड़ी जाती हैं। सर्दियों में संवेदनशील जीवों के लिए लकड़ी की अलाव की व्यवस्था की जाती है।

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वर्तमान में मैत्री बाग में लगभग 340 वन्य जीव निवासरत हैं। इनके रखरखाव के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र के दो स्थायी चिड़ियाघर परिचारक (ज़ू कीपर) कार्यरत हैं, जिन्हें 30 ठेका कर्मियों का सहयोग प्राप्त है। पूरे परिसर और बाड़ों की दिन में दो बार सफाई की जाती है, जिससे संक्रमण की संभावना न्यूनतम रहे।

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पशु-चिकित्सा देखरेख चिड़ियाघर प्रबंधन का अभिन्न अंग है। नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, आवश्यकतानुसार विटामिन और कैल्शियम युक्त सप्लीमेंट्स, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करने वाली योजनाएं लागू की जाती हैं।

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संरक्षण और सार्वजनिक शिक्षा की धरोहर

मैत्री बाग, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व की प्रतिबद्धता का मूर्त उदाहरण है। पूर्व में भी यहाँ से मुकुंदपुर (रीवा), महाराजा बाग (नागपुर), राजकोट, इंदौर और बोकारो के चिड़ियाघरों के साथ सफेद बाघों का विनिमय किया जा चुका है, सभी सीज़ेडए की निगरानी में।

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डॉ. जैन ने कहा, “आज अधिकांश वन्य प्रजातियां हमारे जंगलों से विलुप्त हो रही हैं। चिड़ियाघरों की भूमिका अब केवल प्रदर्शन की नहीं, संरक्षण की बन गई है। यदि हम लोगों को जागरूक करें, तो यही स्थल वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण आश्रयस्थल बन सकते हैं।”

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वैज्ञानिक पद्धतियों पर आधारित पशु देखभाल, मजबूत संरक्षण कार्यक्रमों और सार्थक जनसंपर्क के माध्यम से, मैत्री बाग देश में उत्तरदायी और नैतिक चिड़ियाघर संचालन का एक आदर्श मॉडल बनकर उभर रहा है। आने वाले समय में तेंदुए और भालू का यह नया अध्याय इस परंपरा को और भी समृद्ध करेगा।

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