- विश्व आदिवासी दिवस पर एकजुटता का नारा। समाज की बेहतरी के लिए सबको मिलजुलकर काम करने का आह्वान।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। शोषण के खिलाफ आदिवासी समाज ने आक्रोश जाहिर का सिलसिला बंद नहीं किया है। विश्व आदिवासी दिवस पर आक्रोश रैली निकाल कर देश के विभिन्न अंचलों में हो रहे बहन बेटियों के शोषण एवं अत्याचार तथा आदिवासियों के अधिकारों का हनन के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।
नेहरू सांस्कृतिक भवन सेक्टर 01 भिलाई में कार्यक्रम हुआ। प्रथम सत्र में प्रमुख अतिथि विधायक देवेन्द्र यादव रहे। विशेष अतिथि सुनिल रामटेके–सेल एसी-एसटी इम्प्लाइज फेडरेशन, विजय साहू-निदेशक अक्षय ऊर्जा विभाग छत्तीसगढ़ रहे। दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि महादेव कावरे-संभाग आयुक्त दुर्ग, विशिष्ठ अतिथि पवन कुमार-अधिशासी निदेशक भिलाई इस्पात संयंत्र, बारेलाल चन्द्रवंशी, प्रमुख वक्ता के रूप में डाक्टर लक्षमण यादव-प्राध्यापक दिल्ली यूनिवर्सिटी थे।
सुनील कुमार रामटेके ने मूलनिवासियों को एक साथ संगठित होकर बाबा साहेब अंबेडकर के बताए मार्ग पर चलकर समाज विरोधी ताकतों का प्रतिकार करने का आह्वान किया। डॉक्टर लक्ष्मण यादव ने महान शहीद तिलका मांझी, शहीद वीर नारायण सिंह, जयपाल मुंडा, डॉक्टर अंबेडकर पेरियार महान पुरुषों को याद करते हुए मणिपुर की घटना पर ध्यान आकर्षित किया।
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उन्होंने कहा-आज देश में संविधान खतरे में, आज देश में एसी-एसटी समुदाय के हक और अधिकारों को छिना जा रहा है। मणिपुर की घटना से बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा असफल हो चुका है। जहा महिला सुरक्षित नहीं है। देश में बुनियादी सुविधाएं जैसे आज भी जल जंगल जमीन के नाम पर एससी-एसटी, ओबीसी तथा वर्गों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। ऐसा लग रहा है मानो लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ गुमराह किया जा रहा है।
मुख्य अतिथि महादेव कावरे ने कहा कि आज हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखने में हमें अहम भूमिका निभानी होगी, तभी सफल हो सकेंगे। इस दरमियान आने वाले कल एकजुटता का परिचय देना होगा।
बीएसपी के ईडी पीएंडए पवन कुमार ने कहा कि हमें बहुत खुशी हो रही है कि हम एससी एसटी ओबीसी इस विश्व आदिवासी दिवस पर हम अपनी परंपरा को बनाए रखने में और अपनी संस्कृति को बचाए रखने में पहचान बनाई। एसी-एसटी इस देश के मूल निवासी हैं, जो विश्व आदिवासी दिवस पर दिखाई पड़ती है।
कार्यक्रम का संचालन शोभराय ठाकुर ने किया। कार्यक्रम में एचएल नायक, पीएन मरावी, जेएस कोशिमा, हेमंत नेताम, मंथिर खालेंद्र, डीएस ध्रुव, मणिभूषण पन्ना, सुशील भगत, अशोक कंगाली, चंद्रकला तारम, तामेश्वरी ठाकुर, चंद्रिका रावत, भागीरथी ठाकुर, भोलाराम मरकाम, सागर पारघी, मालती ठाकुर, चंद्रभान ठाकुर, ईश्वरी नेताम, जमुना ठाकुर, सेवन ठाकुर, विनय नेताम, संजीव नेताम आदि मौजूद रहे।