- कथानक के मुताबिक एक कलाकार अवसाद की स्थिति में नींद में होता है तो स्वप्न में उसकी कृति आती है और उसे रंगों के माध्यम से जीवन दर्शन का बोध कराती है और अवसाद से उबारती है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। रंगों के माध्यम से जीवन दर्शन का बोध कराने अंचल के शास्त्रीय नृत्य (Classical Dance) में पारंगत कलाकारों ने रविवार शाम महात्मा गांधी कला मंदिर (Mahatma Gandhi Kala Mandir) के मंच पर नृत्य नाटिका ‘कलाकार का स्वप्न‘ की भव्य प्रस्तुति दी। कृष्ण प्रिया कथक केंद्र की छह से लेकर 25 साल की उम्र तक की इन कलाकारों ने शास्त्रीय और उप शास्त्रीय नृत्यों के माध्यम से गीत-संगीत और रोशनी व रंगों के संयोजन के बीच ऐसी सधी हुई प्रस्तुति दी कि अतिथियों सहित दर्शकगण भी वाह-वाह करते रहे। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच दर्शकों ने इन कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
कृष्ण प्रिया कथक केंद्र (Krishna Priya Kathak Center) की संचालक उपासना तिवारी ने अतिथियों के स्वागत के उपरांत भूमिका में बताया कि रंगों की अपनी दुनिया है।
एक कलाकार इन रंगों को किस नजरिए से देखता है और हकीकत में ये रंग होते कितने रंगीन हैं, इनके बीच का फर्क बड़ा ही महीन है। इसे दर्शकों के सम्मुख कलाकार साकार करेंगे। कथानक के मुताबिक एक कलाकार अवसाद की स्थिति में नींद में होता है तो स्वप्न में उसकी कृति आती है और उसे रंगों के माध्यम से जीवन दर्शन का बोध कराती है और अवसाद से उबारती है।
करीब घंटे भर की सधी हुई प्रस्तुति की शुरुआत वंदना से हुई। इसके बाद मंच पर कलाकारों ने रंगो की दुनिया का जादू बिखेरना शुरू किया। सूत्रधार के तौर पर एक कलाकार और उसकी कृति के बीच संवाद के साथ-साथ बैंगनी, हरा, पीला, नीला, केसरिया, लाल और सफेद रंग की दुनिया से दर्शक रूबरू होते गए। जिसमें उत्कृष्ट संगीत और नृत्य के संयोजन ने दर्शकों को बांधे रखा। इस अवसर पर डॉ. ममता शुक्ला, अरविंद जैन, कनिका जैन, प्रभंजय चतुर्वेदी, डॉ. आलोक दीक्षित, गुरमीत धनई सहित अन्य विशिष्ट अतिथि मौजूद थे।
इस नृत्य नाटिका में सूत्रधार के तौर पर कलाकार की भूमिका शुभि जैन (Shubhi Jain) और कृति की भूमिका महेंद्र ठाकरे (Mahendra Thakare) ने निभाई। इसमें कृति को उपासना तिवारी (Upasana TIwari) और कलाकार को महेंद्र ठाकरे ने अपनी आवाज दी।
वहीं, संगीतकार रवींद्र कर्मकार, गायन रवीश कालगावकर, सुनील सोनी और सपना, संगीत संयोजन वीके सुंदरेश, रिकॉर्डिंग, मिक्सिंग व मास्टरिंग बिन्नी पॉल का था। संयोजन टीम में डॉ. दिव्या राहटगांवकर, सेजल चौधरी, अवनि अग्रवाल, देविका दीक्षित, नीलम वासनिक ने सहयोग दिया। कृष्ण प्रिया कथक केंद्र दुर्ग-भिलाई की संचालिका उपासना तिवारी ने अंत में आभार व्यक्त किया।