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प्रबंधन ले रहा है हड़ताली कर्मियों से बदला।
भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने क्लस्टर प्रमोशन रोककर दे रहा है कर्मियों को नए साल की बधाइयां?
सीटू का मानना है कि प्रबंधन द्वारा उठाए जा रहा यह कदम औद्योगिक अशांति का खुला आमंत्रण है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel plant) के कर्मचारियों का नया साल चौपट गया है। नए साल के जश्न पर प्रबंधन ने पानी फेर दिया है। प्रमोशन ऑर्डर जारी होने की उम्मीद थी, लेकिन हड़ताल में शामिल होने की सजा दे दी गई।
भिलाई इस्पात संयंत्र में एक जनवरी प्रमोशन का दिन होता है। कुछ कर्मियों को 4 साल का रेगुलर प्रमोशन मिलता है तो कुछ कर्मियों को क्लस्टर चेंज प्रमोशन तीन अथवा साढ़े तीन वर्ष में मिलता है। भिलाई इस्पात संयंत्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि क्लस्टर चेंज प्रमोशन के लिए कर्मियों ने ट्रेड टेस्ट दिया, क्लस्टर चेंज के लिए पास भी हुए। किंतु वर्क्स मैनेजमेंट के प्रमुख के द्वारा मौखिक आदेश से हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मियों का क्लस्टर चेंज प्रमोशन रोक दिया गया है।
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यह कार्यवाही सीधे-सीधे हड़ताली कर्मियों से बदला लेने एवं सबक सिखाने जैसी भावना के साथ की जा रही प्रतीत होती है। सीटू ने प्रबंधन को पत्र देकर ऐसी कार्यवाहियों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की।
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अवैध नहीं थी 28 अक्टूबर की हड़ताल
सीटू सहायक सचिव एसपी डे ने कहा कि अपने मांगों को लेकर प्रबंधन के सामने जायज मांगों को रखने एवं उन मांगों के समर्थन में विभिन्न कार्रवाई को करने के बाद भी जब प्रबंधन उन मांगों को नहीं मानता है, तो 14 दिन का नोटिस देने के बाद हड़ताल की कार्यवाही की जाती है।
इन सब नियमों का पालन करते हुए 28 अक्टूबर का हड़ताल किया गया। प्रबंधन ने लाख कोशिश करने के बाद भी उस हड़ताल को अवैध करार नहीं करवा पाया। इसीलिए 28 अक्टूबर का हड़ताल ना केवल वैध है बल्कि विधि सम्मत भी है
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औद्योगिक शांति को बिगाड़ने का काम कर रहा है प्रबंधन
उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी का मानना है कि प्रबंधन भिलाई को लेकर हमेशा से ही औद्योगिक शांति की दुहाई देते रहा है। किंतु जब-जब मौका मिला है, प्रबंधन खुद ही औद्योगिक शांति को बिगाड़ने का काम किया है। वर्तमान में क्लस्टर प्रमोशन रोकना भी प्रबंधन के इन्हीं कामों में से एक है। कर्मियों की मांगे 8 साल से लंबित है।
प्रबंधन उन मांगों को पूरा नहीं करना चाहता है, लेकिन, जब कर्मचारी हक की आवाज उठाते हैं। आंदोलन करते हैं तो बदले की कार्रवाई की जाती है। प्रबंधन की यह कोशिश औद्योगिक संबंध को बिगाड़ सकता है। सीटू का मानना है कि प्रबंधन द्वारा उठाए जा रहा यह कदम औद्योगिक अशांति का खुला आमंत्रण है।
वेतन समझौता को लेकर तानाशाही पर उतर आई है प्रबंधन
महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा-वेतन समझौता लंबित हुए पूरे 8 साल अर्थात 96 महीने बीत चुके हैं। बहुमत का सहारा लेकर आधे-अधूरे तरीके से एमओयू किया गया, उस आधे-अधूरे एमओयू को भी कर्मियों पर आधे-अधूरे तरीके से लागू किया गया। बहुमत का हवाला देकर बोनस पर कैंची चलाई गई। एचआरए का निर्णय नहीं हो पाया। रात्रि पाली भत्ता के साथ खिलवाड़ किया गया।
पेंशन फंड एवं EPS 95 पेंशन दोनों अधर में लटके हुए हैं और वेतन समझौता के इन तमाम मुद्दों को लेकर प्रबंधन तानाशाही पर उतर आई है।
कर्मियों के ग्रोथ के साथ खिलवाड़ ना करें उच्च अधिकारी
सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा कि कर्मियों के ग्रोथ एवं पदोन्नति के साथ खिलवाड़ ना करें। ग्रोथ एवं पदोन्नति कर्मियों का हक है, जिसे नियम अनुसार दिया जाना चाहिए, कर्मियों के क्लस्टर प्रमोशन रोके जाने के संदर्भ में कार्मिक विभाग से बात करने पर उनका कहना है कि मौखिक रूप से उच्च अधिकारियों से हमारे पास आदेश आया है, जिसे हम पालन कर रहे हैं।
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प्रमोशन ना मिलने पर अधिकारियों का शुरू हो जाता है तांडव
सीटू नेताओं ने कहा कि जब-जब अधिकारियों का प्रमोशन का समय आता है, उस समय जिन अधिकारियों को प्रमोशन नहीं हो पाता है। उन अधिकारियों का संयंत्र के अंदर बात करने के लहजे से लेकर काम करने की विधान तक जो स्थितियां निर्मित होती है।
वह ना कर्मियों से छिपा है, ना ही उच्च अधिकारियों से छिपा है। कहीं-कहीं पर तो प्रमोशन न पाने वाले अधिकारियों का तांडव बड़े स्तर पर नजर आने लगता है। वहीं, अधिकारी वर्ग आज कर्मियों के क्लस्टर प्रमोशन को रोकने का निर्णय लेकर मौखिक आदेश जारी किया है, जिसे अभिलंब वापस लिया जाना चाहिए।