- आर्किंग सूट फेस शिल्ड हेलमेट दस्ताने अथवा एप्रोन ना पहनने की बात सामने आती है, जिसका इस्तेमाल करने से इलेक्ट्रिक फ्लैश दुर्घटना से बचा जा सकता है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) में 6 फरवरी को हादसा हुआ था। एमएसडीएस-2 के सब स्टेशन 28 (I) में इलेक्ट्रिक फ़्लैश से हुई दुर्घटना की जांच करने के बाद सीटू की टीम महाप्रबंधक (पावर सिस्टम डिपार्टमेंट-2) से मुलाकात कर पूरी दुर्घटना पर चर्चा किया। चर्चा के दौरान दुर्घटना के कारणों पर यूनियन एवं प्रबंधन ने अपने-अपने प्रारंभिक अवलोकन को साझा किया।
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जरूरी है आर्किंग सूट पहनना
इलेक्ट्रिक कार्य के दौरान फ्लैश होने की आशंका वाले हर जगह में आर्किंग सूट पहनना जरूरी होता है। किंतु फ्लैश वाले दुर्घटना के बाद अक्सर यह देखा जाता है कि आर्किंग सूट फेस शिल्ड हेलमेट दस्ताने अथवा एप्रोन ना पहनने की बात सामने आती है, जिसका इस्तेमाल करने से इलेक्ट्रिक फ्लैश दुर्घटना से बचा जा सकता है।
सीटू की टीम ने कहा कि इसे (एप्रोन) फ्लैश दुर्घटनाजन्य वाले हर जगह पर पहनना अनिवार्य होना चाहिए। यह सूट पहनने से गर्मी के कारण पसीने से लथपथ होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। किंतु फ्लैश होने के सूरत में यही सूट कर्मी को फ्लैश के चपेट में आने से बचाता है। हालांकि संयंत्र में फ्लैश से बचाने वाले सुरक्षा उपकरणों की कमी है, किंतु प्रबंधन द्वारा इस कमी को दूर करना जरूरी है।
सीटू ने उठाया केबल चोरी का सवाल
सीटू की टीम ने कहा कि संयंत्र के अंदर रेल मिल हो या एसएमएस, प्लेट मिल हो या कोक ओवन, ब्लास्ट फर्नेस हो या पावर सिस्टम डिपार्टमेंट, अक्सर केबल चोरी होने की घटना संज्ञान में आते रहती है।
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जांच के दौरान सीटू की टीम ने पाया कि जिस जगह दुर्घटना हुई है, वहां का भी कंट्रोल केबल कुछ दिनों पहले चोर काट कर ले गए, जिसके चलते कंट्रोल पैनल के सिग्नल नहीं दिख रहे हैं।
संयंत्र में हो रही चोरियों पर सीटू ने पहले भी सीआईएसएफ की निगरानी एवं गश्त बढ़ाने सहित गेटों के अंदर चोरों के आसानी से आने जाने के संबंध में कई सवाल उठाए हैं, जिसका अभी तक कोई ठोस निराकरण नहीं निकल पाया है।
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ऊपर से नीचे फ्लो होता है अनुशासन
कार्य के दौरान सुरक्षित कार्य प्रणाली अपनाना सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना आदि उच्च अनुशासन का हिस्सा होता है। सीटू का मानना है कि अनुशासन हमेशा ऊपर से नीचे की तरफ फ्लो होता है। इसीलिए उच्च अधिकारियों एवं विभाग के उच्च पद पर आसीन कर्मियों को चाहिए कि वह अपने अधीनस्थ कार्य करने वाले कर्मी अथवा ठेका श्रमिकों को इस अनुशासन का सख्ती से पालन करवाएं ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
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पूरे प्लांट में है चार्जमैन और मैनपावर की कमी
नई आर्थिक एवं औद्योगिक नीतियों के लागू होने के बाद संयंत्र के अंदर लगातार मैनपॉवर घटता चला गया। कभी भिलाई इस्पात संयंत्र में 60000 कर्मी काम किया करते थे, जो अब घटकर मात्र 12000 रह गए हैं। वहीं, ठेका श्रमिकों की संख्या बढ़कर 25000 के पार हो गई। इसी दरम्यान पिछली मान्यता प्राप्त यूनियन ने प्रबंधन के साथ मिलकर जिस नॉन एक्जीक्यूटिव प्रमोशन पॉलिसी पर हस्ताक्षर करके कर्मियों पर लागू करवाया, उसके परिणाम स्वरूप नए चार्जमैन के पद सृजन होना पूरी तरह से बंद हो गई।
अब S1 ग्रेड के एसीटी से लेकर S-11 में कार्यरत सभी कर्मी अपने विभाग में आवश्यकता अनुसार चार्जमैन जैसा कार्य कर रहे हैं, जो कि नियम अनुसार गलत है।
दुर्घटना के बाद नहीं होना चाहिए लीपापोती
सीटू की टीम ने यह भी कहा कि जब भी कोई दुर्घटना होती है सीटू कर्मियों से लेकर उच्च स्तर के अधिकारियों तक उसे दुर्घटना के संबंध में चर्चा करते हैं। कई बार यह देखा जाता है कि दुर्घटना की जिम्मेदारी को अपने ऊपर आने से बचने के लिए पूरी घटना की लीपापोती की जाती है। इससे हम सबको बचना चाहिए, ताकि सही बात सामने आ सके एवं उसे दुर्घटना के केस स्टडी करके वैसी दुर्घटना दोबारा ना हो इसकी तैयारी की जा सके।