- ओपन लिंक्स फाउंडेशन (OLF) की ओर से ‘बोलेगा बचपन with सोनाली कुलकर्णी’ इस ऑनलाइन सत्र का आयोजन किया गया।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं का बॉलीवुड व मराठी फिल्मों की अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी से सीधा संवाद हुआ। ऑनलाइन वर्चुअल प्लेटफॉर्म से कई टिप्स साझा किए। ऑनलाइन सत्र “सोनाली कुलकर्णी के साथ-बोलेगा बचपन” का आयोजन किया गया हैं।
बोलेगा बचपन: सोनाली कुलकर्णी के संग कहानी और सृजन की बहार
“जब तक हम दिल से एक-दूसरे से जुड़ने की ख्वाहिश नहीं रखते, तब तक असली विकास कैसे हो सकता है?” इस सवाल के साथ सोनाली कुलकर्णी ने छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के साथ अपने संवाद की शुरुआत की।
अवसर था ओपन लिंक्स फाउंडेशन (OLF) की ओर से आयोजित ‘बोलेगा बचपन with सोनाली कुलकर्णी’ इस ऑनलाइन सत्र का। अपने सहज और प्रेमपूर्ण अंदाज से सोनाली ने सभी को काफी प्रभावित किया।
सबसे पहले OLF के संस्थापक एवं सीईओ संजय डालमिया ने सोनाली कुलकर्णी का औपचारिक परिचय कराया। सोनाली ने फिर अपने मृदुभाषी और आत्मीय स्वभाव से शिक्षकों और बच्चों के दिलों को जीत लिया। यह कार्यक्रम सरकारी स्कूलों के बच्चों को रचनात्मक लेखन और कथाकथन के गुण सिखाने की एक खूबसूरत पहल थी।
अर्शिया इक़बाल, गिरीवर और चन्नू लाल दुर्ग जिले से जुड़े
इस अवसर पर दुर्ग ज़िले से शिक्षिका अर्शिया इक़बाल, शिक्षक गिरीवर लाल साहू और चन्नू लाल साहू भी अपने एक-एक विद्यार्थी के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके विद्यार्थियों ने अपनी स्वयं लिखी कविताएँ सभी के सामने प्रस्तुत कीं, जिन्हें सुनकर उपस्थित शिक्षक और बच्चे रोमांचित हो उठे। यह पल कार्यक्रम की शोभा को और भी बढ़ा गया।
हर बच्चे के मन में अनगिनत कहानियां
शिक्षकों ने बड़े रोचक सवाल पूछे-कैसे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएं? कैसे उनकी कहानियों में जान डालें? सोनाली जी ने बताया कि बच्चों को सुनना सबसे जरूरी है, क्योंकि हर बच्चे के मन में अनगिनत कहानियां होती हैं। कहानी को एक यात्रा समझो, जैसे सूरज उदय से अस्त तक चलता है, और उस सफर के हर मोड़ पर नए पात्र और घटनाएं जन्म लेती हैं।
कहानी सुनाते वक्त श्रोताओं से आंख मिलाएं
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “लेखन में ब्लॉक आने पर उसे दिल पर न लें, क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है। उस समय का भी कुछ सर्जनशील करने में उपयोग करें। वह समय भी निकल जाएगा, और फिर कहानी अपने आप बहने लगेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि “बच्चों के मन में सपने जगाने के लिए प्रेरणादायक कहानियां, फ़िल्मी और खेल जगत के नायक उनके लिए उदाहरण बन सकते हैं। बच्चों को बताएँ कि कहानी सुनाते वक्त वे श्रोताओं से आंख मिलाकर बोलें, अपने हाव-भाव को सरल और सहज रखें, ज़रूरत से ज्यादा अभिनय न करें।”
‘म्याऊँ म्याऊँ करने वाला तोता’
कार्यक्रम में बच्चों ने भी दिल छू लेने वाली कहानियां सुनाईं। खासकर ‘म्याऊँ म्याऊँ करने वाला तोता’ की कथा ने सबका दिल हँसी से भर दिया। शिक्षकों ने भी रंग-बिरंगे व भावपूर्ण संवादों से कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
सीख, मस्ती और अपनत्व का रंग
इस आयोजन में ओपन लिंक्स फाउंडेशन की सह-संस्थापिका रीना डालमिया और OLF की पूरी टीम मौजूद थी, जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। शिक्षकों ने गदगद होकर कहा कि उन्हें OLF की वजह से एक सिलेब्रिटी से रूबरू होने का मौका मिला।
उन्होंने ओपन लिंक्स फाउंडेशन का तहेदिल से धन्यवाद किया और एक-एक कर अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। इस अपार स्नेह को देखकर सोनाली जी भी भावुक हो गईं।
कार्यक्रम के दौरान विजय वावगे की सजीव और प्रभावशाली हिंदी प्रस्तुति ने हर किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। बोलेगा बचपन के इस कार्यक्रम में सीख, मस्ती और अपनत्व हर रंग में बिखरा था, जिसने हर एक प्रतिभागी के दिलों को छूकर एक नई प्रेरणा दी।













