- स्टील सचिव की अध्यक्षता में SAIL की समीक्षा बैठक सम्पन्न। बीएसपी को मिला ठेका मजदूरों की संख्या घटाने का नया लक्ष्य।
- विशेषज्ञों का मानना है कि ठेका श्रमिकों में कमी से उत्पादन प्रभावित होगा तथा नियमित कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्यभार पड़ेगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल में ठेका मजदूरों की संख्या भी कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है। मैनपॉवर कास्ट कम करने के लिए युद्धस्तर पर अभियान छेड़ दिया गया है।
सेल के भिलाई स्टील प्लांट की ट्रेड यूनियनों का दावा है कि प्रबंधन को 5 प्रतिशत ठेका मजदूरों की संख्या कम करने का लक्ष्य दिया गया था।
अप्रैल 2025 से जुलाई 2025 के बीच 8.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसी अवधि में गेट पास की संख्या 30,238 से घटाकर 27,739 कर दी गई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक 25 प्रतिशत तक ठेका मजदूरों की संख्या कम करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस्पात मंत्रालय के आदेश पर यह हो रहा है।
बताया जा रहा है कि स्टील सचिव की अध्यक्षता में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में संगठन की भविष्य की रणनीतियों एवं योजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक का मुख्य एजेंडा SAIL की आउटसोर्सिंग रणनीति, SAIL का विस्तार योजना, कांट्रैक्ट श्रमिकों की संख्या में कमी की रूपरेखा, पावर सप्लाई के आउटसोर्सिंग संबंधी प्रस्ताव था।
8.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई
भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) में प्रबंधन द्वारा अप्रैल 2025 से जुलाई 2025 के बीच 8.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसी अवधि में गेट पास की संख्या 30,238 से घटाकर 27,739 कर दी गई है।
गंभीर चिंता का विषय मान रहे श्रमिक नेता
बीएसपी के श्रमिक नेताओं का कहना है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि नियमित कर्मचारियों की संख्या में कमी करने के बाद अब प्रबंधन ठेका श्रमिकों की संख्या घटाने पर भी ज़ोर दे रहा है।
इस तरह के कदम से जहाँ एक ओर कास्ट कंट्रोल के नाम पर कार्मिक विभाग प्रशंसा बटोरता है। वहीं, दूसरी ओर इसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।
ठेका श्रमिकों में कमी से उत्पादन प्रभावित होने का डर
विशेषज्ञों का मानना है कि ठेका श्रमिकों में कमी से उत्पादन प्रभावित होगा तथा नियमित कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्यभार पड़ेगा, जिससे उनके स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
कास्ट कंट्रोल की यह नीति अल्पकालिक लाभ तो पहुँचा सकती है, परंतु संगठन की दीर्घकालिक स्थिरता और श्रमिकों के हितों की दृष्टि से यह निर्णय उचित नहीं कहा जा सकता।