Bhilai में 17वीं यूनियन बनीं BSP Non Ex Employees Union, वोट देने के बाद मिला धोखा, युवा कर्मचारियों ने बिछाई सियासी बिसात

  • एनजेसीएस में सिर्फ निर्वाचित कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व दिलवाना तथा माइंस, सीएमओ, एसआरयू, कॉरपोरेट कार्यालय का भी प्रतिनिधित्व दिलाने का उद्देश्य।

अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के भिलाई स्टील प्लांट से एक बड़ी खबर है। युवा कर्मचारियों ने एक नई यूनियन का गठन कर लिया है। इस खबर को Suchnaji.com ने कुछ माह पूर्व ही प्रमुखता से प्रसारित किया था। अब यूनियन ने आकार ले लिया है। पदाधिकारियों का नाम घोषित कर दिया गया है। इसकी सूचना बीएसपी प्रबंधन को दी गई है। आइआर विभाग को सोमवार दिन में यूनियन गठन की पूरी जानकारी लिखित में दी गई है।

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मीडिया प्रभारी निशांत सूर्यवंशी ने बताया कि बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ यानी बीएसपी नॉन एक्स इम्प्लाइज यूनियन (BSP Non Ex Employees Union) का रजिस्ट्रेशन हो गया है। बीएसपी के 3 हजार नए-पुराने कर्मचारी व डिप्लोमा इंजीनियर का समर्थन लेने के बाद यूनियन का गठन किया गया है।

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निशांत ने कहा कि युवा कर्मचारियों ने अपने वोट से एक यूनियन को जीत दिलाई। लेकिन धोखा मिला। युवा कर्मचारी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इसलिए युवाओं ने नई यूनियन बनाने का फैसला लिया था, जो अब मूर्तरूप ले चुका है। सेल (SAIL) की अन्य इकाइयों में भी इसकी तरह यूनियन गठन की प्रक्रिया चल रही है।

टाटा वर्कर्स यूनियन तथा आफिसर एशोसिएशन की विचारधारा से प्रभावित होकर भिलाई इस्पात संयंत्र तथा उसके माइंस के कर्मचारियों ने नवगठित यूनियन की शुरुआत की है। नवगठित यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा है कि यह पुर्णतः लोकतांत्रिक यूनियन है, जिसके पदाधिकारियों का चयन गुप्त मतदान प्रणाली के माध्यम से होगा। संगठन का संविधान ऐसा बनाया गया है कि कोई भी कार्यरत कर्मचारी इस संगठन का नेतृत्व गुप्त मतदान प्रणाली के माध्यम से निर्वाचित होकर संभाल सकेगा।

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वहीं, यूनियन गठन में भिलाई इस्पात संयंत्र के सभी प्रमुख वर्गों जैसे आईटीआई, डिप्लोमा, वरिष्ठ कर्मियों, छत्तीसगढ़ी, गैर छत्तीसगढ़ी समूहों का पर्याप्त समर्थन मिला है। जिसे कार्यकारिणी सदस्यों तथा पदाधिकारियों का नाम देखकर पता किया जा सकता है।

साथ ही प्रत्येक 300 कर्मचारियों पर एक कार्यकारिणी सदस्य का पद स्वीकृत किया गया है। कार्यकारिणी सदस्य का चयन भी उक्त विभाग/अनुभाग/सेक्शन के कर्मचारियों द्वारा गुप्त मतदान प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। कार्यकारिणी सदस्यों के द्वारा उपाध्यक्ष, उपमहासचिव तथा उप कोषाध्यक्ष पद हेतु गुप्त मतदान प्रणाली के माध्यम से निर्वाचन किया जाएगा।

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जानिए यूनियन गठन का उद्देश्य

  1. भिलाई इस्पात संयंत्र मे औद्योगिक विवाद अधिनियम, कारखाना अधिनियम, औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा कानुन का पुर्णतः अनुपालन कराना।
  2. वेतन समझौता विसंगती को दुर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहे उसके लिए उच्चतम न्यायालय तक क्यों नहीं जाना पड़े।
  3. फिटमेंट एरियर और पर्क्स एरियर के लिए कार्यपालिका तथा न्याय पालिका के हर स्तर तक जाना।
    4.नॉन सैचुअरिटी लाभो (ऋण तथा एडवांश ) को रिवाइज्ड करवाना तथा बाकि महारत्ना कंपनियों के समक्ष दिलवाना।
  4. सभी यूनिटों में एक यूनिट एक यूनियन का प्रचलन को बढ़ावा देना।
  5. एनजेसीएस में सिर्फ निर्वाचित कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व दिलवाना तथा माइंस, सीएमओ, एसआरयू, कॉरपोरेट कार्यालय का भी प्रतिनिधित्व दिलवाना।
  6. अधिकारी वर्ग की तर्ज पर कर्मचारी वर्ग को भी आरआईएनएल से एक ग्रेड अधिक नियुक्ति करवाना तथा एक ग्रेड बढ़वाकर प्रत्येक ग्रेड का अलग अलग पदनाम दिलवाना।

जानिए यूनियन के पदाधिकारियों के नाम

अध्यक्ष: अमर सिंह, एसएमएस-3
उपाध्यक्ष: उमाकांत कन्हाई,
महासचिव: अभिषेक सिंह, एसीटी यूआरएम, बिहार निवासी
उप महासचिव: नवीन कुमार ध्रुव, एसपी-3
कोषाध्यक्ष: नवीन कुमार-बीआरएम
उपकोषाध्यक्ष: टिकेंद्र पटेल-
सचिव: अजय रत्न वासनिक-पीबीएस-1

जानिए क्या कहना है पदाधिकारियों का…

अध्यक्ष अमर पटेल का कहना है कि मैनेजमेंट कर्मचारियों के बीच संवादहीनता की काफी बुरी स्थिती को देखकर हम सभी कर्मचारी यूनियन गठन किए हैं। यह पूरी तरह तथा कर्मचारियों के सभी वर्गों को लेकर यूनियन बनाया गया है, जो पुर्ण लोकतांत्रिक है। हमारा मानना है कि सभी कर्मचारी शांति से नौकरी करने आए हैं। अगर श्रम कानूनों द्वारा निर्धारित सुविधा मिल जाए तो कोई भी कर्मचारी अपनी ही कंपनी के खिलाफ धरना प्रदर्शन, हड़ताल करने पर मजबुर नहीं होगा। टाटा स्टील उदाहरण है जहां 1956 के बाद कोई भी औद्योगिक विवाद नहीं हुआ है।

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पहले बात फिर न्यायालय की शरण में

महासचिव अभिषेक सिंह ने कहा कि अभी हमारा पूर्ण ध्यान पर्क्स तथा फिटमेंट का एरियर, 15% MGB और 35% पर्क्स को हासिल करना है। इसके लिए हम चेयरमैन, इस्पात मंत्री, इस्पात सचिव, डीपीई सचिव, श्रम मंत्री, इस्पात संसदीय कमेटी के सदस्य, इस्पात शहरों से जुड़े सांसदों से मिलकर प्रबंधन पर दवाब बनाएंगे। फिर भी बात नहीं बनी तो हम अपने हक के लिए न्यायालय की शरण मे जाएंगे।

कोषाध्यक्ष नवीन मिश्रा ने कहा कि हम आईडी एक्ट के नियमों के तहत मैनेजमेंट के साथ वार्ता की शुरुआत करेंगे, जिसमे कुछ लोगों की साजिश के कारण सजा भोग रहे अपने कर्मचारी साथियों की सजा समाप्त का पहल, घर वापसी, कमेटी काउंसिल के बैनर तले प्रबंधन से वार्ता कर स्थानीय मुद्दे जैसे अस्पताल, नगर सेवा, कैंटीन, सुरक्षा, वेलफेयर जैसे मुद्दों का समाधान का प्रयास करेंगे।